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आत्मा परमात्मा में क्या अंतर है? क्या आत्मा ही परमात्मा है? परमात्म दशा क्या है और हम वह कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
Transcript
00:00यह कहा जाता है की आतमा परमात्मा से निकलती है
00:04काम, करोड, लोग, कच्चाधि और ऐहञकार
00:07यस्व आतमा के श्यत्रु हैं
00:11यह कब और कैसे आत्मा के पास पौँचे
00:14इन पाँच श्यत्रु ओंके
00:16भर्मानौं हमारे शरीर में कहाह है।
00:19ऐसा है
00:19आत्मा पर्मात्मा से
00:20निकदि if we say Atma 下次 हमारे शरीर में कहा है।
00:21there is nothing as such.
00:22हे आत्मा पर्मात्मा से
00:23अखा आत्मा ही
00:23what you are Human is realised by
00:24पर्मात्मा हे।
00:25आत्मा सो पर्मात्मा
00:27कहाँ जागत कहते हैं
00:29हां
00:31यह इस इनिनिवर्स में बरमाण में है
00:35तब तक वो पर्मातम दशा में नहीं है
00:37यहनेंपरमात्मा呢
00:39कर्मकुलीट
00:41सम्पूलना
00:43मुक्ट होता है
00:44कोई पर्मानों
00:45अगर इक इत Shane Ka Armour क स्तइल नहीं होता है
00:50वो स्तिति परमाना एके में नहीं हो सकती है
00:52क्योंकि यहां परमाणों तो है, जो है, बरुप्प रजक्य है
00:57सिर्फ मोक्ष में एक बरमात्मादशें के स्पित्तिक
01:01और यहां कब होता है कि जब केवल ज्ञान होता है
01:05तब भी ये स्थिति होती है परमात्मदशा के
01:09बुशार्थ से
01:11जन्रली तो सब भी एटेच है परमानों से
01:15आत्मा
01:16ये क्रोध, मान, मायालोब ये
01:19ये
01:20कि शायद जो चार हमारे शत्रुं हैं, बड़े शत्रुं हैं
01:25ये ज्ञान दशा में जो भी कुछ सामने आता है
01:29उसको मैं हूँ और ये मेरा है
01:32ऐसी बिलीव खड़ी हो जाती है
01:36जड़ और छेतन
01:37दो तत्व
01:40पास-पास में ही हैं इसारे युनिवर्स में
01:43एक-दूसरे को चिटके हुए हैं
01:47मिक्षर फार्म में हो गए हैं
01:50उसमें आप खुद आत्मा है
01:53और आपके साथ जो चर्मजीत है
01:55वो सब परमाणों की बनेवी है
01:59दोनों पास-पास में आने से क्या होता है? मिक्षर होता है
02:03तो दो एलिमेंट्स
02:04तो दो एलिमेंट्स
02:06का मिक्षर होता है, तीसरा
02:09भास्यमान होता है
02:11इल्लूजन होता है
02:13थर्ड एलिमेंट दिखता है, ओरिजिनल दो नहीं दिखते हैं
02:16जैसे इसमें गोल्ड और कॉपर दो हैं
02:18लेकिन ये दिखता है तीसरा ही
02:20ये मैं हूँ, ये मेरा है
02:22जो ये मैं हूँ, ये मेरा
02:24मेरा कहते ही
02:26लोब और माया
02:29ये मम्ता
02:30ये खड़ी होती है
02:32तो वो प्रस्तुत्र करती है
02:34तो वो प्रस्तुत्र करती है
02:36तो वो प्रस्तुत्र करती है
02:38तो वो प्रस्तुत्र करती है
02:41मेरा कहते ही
02:43मेरा कहते ही
02:44लोब और माया
02:46ये मम्ता
02:48ये खड़ी होती है
02:50और मैं कहते ही
02:52क्रोध और मान
02:54ये परमाणों
02:56खीचे जाते हैं
02:58और ये सब आत्मा के आसपस
03:00कलेक्ट होते हैं
03:02उसको चिटकते हैं
03:04वो ऐसी
03:06चिटकते रहते हैं
03:08फिर नेक्स लाइफ में
03:10वो निकलते हैं, दूसरी नए आते हैं
03:12पुराने जाते हैं, नए आते हैं
03:14ये चलती रहता है
03:16इसका अंडलेस मैंटर है
03:18जब यह घ्यान होता है
03:20कि मैं ये दो मिक्ष्चर में
03:24दो मिक्ष्चर में से मैं तो
03:26शुदा आत्मा हूँ
03:28जो अनात्मा है
03:30जड़ का पर
03:32वो मैं नहीं हूँ
03:34अभी तो दोनों एक है ऐसा लगता है
03:36फिर दो अलग है ऐसा
03:38घ्यान के बाद होता है कि मैं चुशुदा आत्मा हूँ
03:40तो फिर ये दो
03:42अलग होने से
03:44नया चार्ड नहीं होता है
03:46और नहीं
03:48किसी में मैं हूँ मैं रहा है ऐसा नहीं रखता है
03:50मैं तो शुदा आत्मा हूँ
03:52ये कुछ नहीं है मैं
03:54तो
03:56नया कर्म चार्ड नहीं होता है
03:58नए क्रोधमान मायलोग चार्ड नहीं होते है
04:00और
04:02फिर
04:04ये जो पुराने है
04:06वो सारे
04:08स्लोली स्लोली
04:10वैसे कतम होते जाते हैं
04:12और सब खतम हो गए
04:14तो फिर केवल घ्यान
04:16ही रहता है वही परमात्मदशा
04:18कहते है
04:20फिर वो मोक्ष में जाता है
04:22वह अच्छी अच्छी है