बंधन से मुक्ति

  • 19 hours ago
Do you often experience different kinds of bondages in your daily life? Does this hinder your spiritual development? How can one become free from all these? Yes! You are at the right place for your answers.
Transcript
00:00नमस्कार
00:14नमस्कार
00:18क्या पूछना है?
00:20जल्दी से मोक्ष हो जाये
00:22कभी से विचार आया?
00:2615-20 सालों से
00:28तो कहां कहां जाके आये?
00:32काफी अच्छे संथ महापुर्शों के दर्शन हुए
00:36लेकिन कुरी आग्या ना समझी के कारण विचण गया
00:46मुकर बंधन किस चीज़ का है?
00:49आपको मोक्ष चाहिए?
00:51तो बंधन किस चीज़ का है?
00:53हमें मोक्ष चाहिए
00:56हम घर से बंध हुए हर था झानी होगे
01:09तो किस चीज़ से बंध है और देष से बंध होगी थी
01:13तो देश को च्वड़ देशाँ करनाा है
01:15क्या करेंगे?
01:17काम करोद लोब मों कार
01:19काम, क्रोध, लोप, मोह, अंकार। तो आप छोड़ दो उसको। कैसे छोड़ोगे?
01:28दीले दीले हो जाये।
01:3120 साल तो चले गए।
01:35काम, क्रोध, लोप, मोह से बंधन नहीं है। उससे भी आगे बंधन है।
01:40और जब तक वो रफिंद के कारण नहीं मैं होता था महांly बंधन छुटता नहीं है।
01:50बंधन छुटदेगा नहीं तो बळवियवाना मोक्ष दोगा नहीं है।
01:53बंधन का कारण है स्वरूप की अग्यांता,
01:58आप बताते हो, मैं अशोख हूँ, आप सचमुझ अशोख ही हो कि आपका नाम अशोख है।
02:05नाम अशोख है।
02:06हाँ, तो खुद कौन हो?
02:08खुद तो शुदात्म है।
02:10हाँ, मगर कोई, इसने बताया अशोख जी ऐसे है, वैसे है, तो कुछ सफरिंग हो जाता है।
02:16होता है।
02:17अशोख की पोच्च ले ली, तो आप अशोख ही हो।
02:20हाँ.
02:21आप शुदात्म हैं, तो अशोख की पोच्च लेनी नहीं चाहिए, शुदात्म की पोच्च लेनी चाहिए।
02:27हाँ जी.
02:28तो यहां ज़रूरत है कि अशोख जुदा है, और मैं खुद कौन हूँ, उसका रियलाईजेशन होना चाहिए।
02:36और वहाँ से बिगिनिंग होती है मोक्ष. बंदन का कारण थूटता है, मोक्ष की शुरुवात होती है।
02:43और उसको ज्यान प्राप्ती बोलते है, ज्यानता से बंदन हुआ है, तो ज्यान से मुक्ति होगी।
02:51और ज्यान के लिए आप आये हो, तो यहां मिलेगा ज्यान। आज नहीं मिलेगा, पर ज्यान वीदी है, दादा जे की जो जिसमें अशोक जुदा है, आप शुद्धात्मा हो, उसकी जागरती प्राप्त हो जाती है।
03:05और बाद में वो जागरती में रहने के लिए पाँच आज्या करके प्रटेक्शन दिया जाता है। जितने आज्या में रहोगे, उतनी जागरती बढ़ते जाती है, जुदापन, अनुभव में आते रहता है। और एक रोध, मान, मायलोब, अपने अब छुटते जाते हैं,
03:36अभी आप आये हो तो सट्संग के टच में रहना और जबी ग्यानवीदी होगी तभी आप ज़रूर ग्यानवीदी का लाब उठाएएं और वहां तक सट्संग के टच में रहना,
03:50किताबे दादा जी की थोड़ी कुछ पढ़ना ज़रूर।
04:05पड़ते जाते हैं, अब अपने लिए ज़रूर ग्यानवीदी का लाब उठाएएं और वहां तक सट्संग के टच में रहना और वहां तक सट्संग के टच में रहना ज़रूर।

Recommended