आत्मा से परमात्मा तक!

  • 19 hours ago
Have you ever wondered who am I? Am I only this body,a soul or something beyond that? How can one realize his own true Self? Here's an interesting video on the subject.
Transcript
00:00कёмज़मा से हाइ जो प्रहें से � latchern se koi siru kurein se
00:13समजमे आ रहे है कि हम आत्मा है शरीण नहीं है Samanme aa rahe hai ki hum aatma hai shareen nahin hai
00:16फलें आत्म सो परमाथ्मआ हे नहीं बेट रहे हैं falen aatma so parmatma hai nahin bet rahe hain
00:18आत्मा सो परमैत्म कहांना चाहते है,
00:22कि आप किसी की पतणी हो है अतने चाहिए
00:25घर्कत कहते है यो किसी की शादी नहीं किया थ seiner haatma so parmaatm committing commit suicide
00:30ऐसे की क मौसी बहन हो कई किसे अंटि होती हो
00:34प्रस्मुच आंटी हो, बहन हो कर डौटर हो
00:37तो इसके व्यवार से मैं डौटर हूँ, इनके व्यवार से मैं बहन हूँ
00:42ऐसे कौन सा व्यवार है उसके इसाप से आपकी अवस्ता उत्पन होती है
00:47तो जब आत्मा, जब तीन अवस्ता आत्मा की रहती है
00:50जब अज्ञान दशा में है, वहां तक उसको जीवा आत्मा बला जाता है
00:54मो, माया, क्रोध, मान, माया, लोब, राग, वेश में है, वहां तक जीवा आत्मा
00:59और खुदका भाण हो आगा, मैं, क्या नाम, अन्जू नहीं, मैं शुधा आत्मा हूँ
01:04तो ये अंतर आत्मा दशा में आया हो, आप ही की दशा, बदली हुई अंतर आत्मा दशा
01:08और अप्सेलूट स्टेज में आजाओगे, जब रॉंग बिलिफ सब खतम हो जाएगी, केवल मैं आत्मा ही हूँ, ज्ञान सर्व हूँ
01:15तो पुर्ण दशा में आओगे, तो आपकी ही दशा, पर्मात्म दशा, परम दशा आत्मा की, यह नहीं, अप्सेलूट स्टेज में प्योर सूल
01:22पर्मात्मा के ऊपर आवरन क्यों आते?
01:24पर्मात्मा के ऊपर आवरन नहीं आये है, हम पर्मात्मा से जुदा है, पर्मात्मा की अज्ञानता से हम जुदा हो गए, और जुदा दिहा द्यास में आये, मैं ही अन्जू
01:33क्यों, अज्ञान आया है क्यों?
01:34था ही अज्ञान का आवरन, पहले से ही है
01:37पर्मात्मा में आज्ञानता है?
01:38पर्मात्मा में नहीं, पर्मात्मा तो उसके ऊपर जड़ तत्व का आवरन आया है, और एहंकार खड़ा हो गया आज्ञानता से
01:44पर्मात्मा अल्माइटी है, तो आवरन नहीं तोड़ सकते, एक मिलिट में
01:47वो नहीं तोड़ेंगे, वो क्यों, सुर्य के उपर कितने बादल, ये बादल हमारे आ जाते हैं पुर्थ्वी के उपर,
01:53तो सुर्य का प्रकाश हमारे पर नहीं आता है,
01:56तो ये सुर्य नारें क्यों उठाने जाएगा पादल, पवन ऐसा आएगा, एक दिन अठ जाएगा पादल,
02:00तो ये आवरन, घ्यानी मिलने से आवरन तुट्ते, तब जागरती मिलती हो, भगवान तो मेरा स्वरूप है,
02:06नहीं, एक आग्मिन दारूपी है, तो बोले, मैं प्रेसिडन्ट हूँ, बोलेगा कि नहीं,
02:10ऐसे ही है, अग्ञान रुपी, जब बच्चपन से ही अज्यानता का प्रदान होता है,
02:14हन्जू, हन्जू, तो हमें बिलीब भीगर जाती है, मैं हन्जू,
02:17और वही आवरण का कारण आग्ञानता से, बाद में यह अच्छा है,
02:21तो क्यों तेरी खिलोने दुसरे को दे दी, तो हमें रागद्वेश कराते हैं,
02:25नहीं, आत्मा तक समझ में आता है, लेकिन परमात्मा तक समझ में आता है,
02:27परमात्मा तो भीतर में ऐसा ही रहा है,
02:29क्योंकि परमात्मा अल्माइटी है, सब लाइंग्वेज़स जानते हैं,
02:32उनको प्रेजन, पास, फ्यूचर सब मालुम है, हमें तो नहीं मालुम कुछ भी,
02:36परमात्मा को ऐसा मालुम नहीं है, वो जानते भी नहीं है,
02:40क्योंकि लोगों के फ्यूचर पास में गुमे गए,
02:43सची बात क्या है, परमात्मा आपका आत्मा वो ही परमात्मा है,
02:48वो नहीं बैट रहा है, देखो एक सोने की बेंगल है,
02:53तो उसको तोड़के अंगुठी बनाएंगे, तो सोना भीगड गया है,
02:57मिक्षर दूसरी, में भी सोना भीगड गया है,
03:01चान्दी है, कॉपर है, और सोना भी है, सोना शुद्ध ही रहता है,
03:06और अवस्था में रुपांतर नहीं हो सकता है,
03:09ताकि सोना भीगडा है, ऐसा आत्मा वो ही पर्मात्मा है,
03:14और अवस्था में ट्रेन बेट आया गई, तो आपको पेसंजर बोला जाता है,
03:19तो आपको रौंग बिलिफ बेट जाती है, वो रौंग बिलिफ से आपको नुखसान हुआ, पर्मात्मा नहीं भीगडा,
03:24सोने में ज्ञान होगा, तो बोलेगा मैं अंगुठी हूँ, मैं अंगुठी हूँ, मुझे मार के बंगल बनाएंगे, मुझे नेकलेस बनाते हैं,
03:31तो यह बिलिफ भीगड गई है, सोना भीगडा ही नहीं है, ऐसा आत्मा भीगडा ही नहीं,
03:36सिर्फ रांग बिलिफ से ही संसार में हम भटकते हैं,
03:39तो जब तक हमको यह शरीर का आवरण है, तब तक उस पार,
03:42शरीर का आवरण नहीं है, शरीर को मैं हूं माना, वो अज्ञानता से बंदन है,
03:47शरीर में नहीं, मैं आत्मा में हूं, भान हो जाएगा, तब मुक्त हो जाएगा,
03:51यहां वो ही भान हमें प्राप्त हो जाता है,
03:53आत्मा का भान हो जाएगा, लेकिन आत्मा ही परमात्मा है, ये भी भान हो जाएगा?
03:57वो बाद में हो जाएगा, पहले तो मैं आत्मा हूं, शुद्धा आत्मा हूं,
04:01अभी जितनी फाइल है, वो खतम होते जाएगी, तो हमारी दशा उपर आते जाएगी,
04:06हम आत्मा में से परमात्मा तक पहुँचेंगे, एक दवतार लगेंगे, बाद में परमात्मा तक.

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