क्रमिक और अक्रम मार्ग

  • 19 hours ago
What is the ultimate goal of the human life? Liberation! But what are the different ways of attaining that? And, how are they different from one another? This video throws more light on the traditional and stepless path of liberation.
Transcript
00:00एवल्यान में क्रमिक और अक्रमिक मार्क दोनों भी देखा था
00:17तो उन्होंने उस वक्ष्य में क्रमिक मार्क के लिए किसी शिष्यन को सतव पड़े या नहीं करेंगे।
00:26वो तो बॉस को पूछने की ज़रूरत है, आपने ऐसा क्यों किया?
00:32नहीं, पर शिश्यों को...
00:34आपने जो किया सही किया, आपकी आज्या बताये, हम आज्या में ही रहेंगे.
00:40ये तो समझने के लिए बड़बर है, पर ऐसा क्यों किया?
00:45बहुत बड़ा...
00:47ये मुझे कहने का मुझे नहीं, पीछे आने वाले पाँच्वे आरे के लिए...
00:52ये है कि मन वचन कहा है कि एकात्मयोग है, वहां तक क्रमिक मार्ग से पूरार्णा हो सकती है.
01:00एकात्मयोग तूट गया, तो फिर अक्रम अपवाद मारग खुला हुआ.
01:05उस टाइम पे मन वचन कहा है कि एकात्मयोग दिये.
01:08उनको बताया देह चुदा है, आप आत्मा हो तो फिट हो जाता था, और बस आत्मा स्वरुप से रहके केवल ग्नान तक पहुंच सकते थे.
01:15अब यहाँ देखो, मन में देव उपवास में है आज, और मन में होज सोचते है, केक फ्रीज में रखो, कल में खाओंगा.
01:25एकता तूट गयी है, तीस काल में मन वचन कहा है कि एकात्मयोग तूट गया है, तो फिर धर्म भी फल नहीं दे सकता है.
01:34इसके लिए अबवाद रूप से अकरम विज्ञान खुला हुआ, समझ में आया नहीं, यहने भगवान के दिल में था, मगर उस टैम पे प्राप्त कराने का कोई जरुरत ही नहीं थी, तो फिर वो बात रहे गई, बाकि हुआ है.
01:49रुषब देव भगवान ने भरत चक्रवर को दिया था, करिष्ण भगवान ने अर्जुन को दिया था, जनक विदही को भी ऐसा मिला था, इसे बहुत है, बहुबली जी ने भी दिक्षा नहीं ली थी, उनका परिड़ाती बदल गई, तो केवल ग्नान हो गया उनक

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