बंधन, अहंकार से!

  • 19 hours ago
The ego arises from a wrong understanding of who am I. To experience true bliss and happiness, it is important to get rid of our ego. But, is it possible to do so? Find out more about the ways to get rid of ego through this video.
Transcript
00:00पात्राकी पीसे सॉकती असन आत्मा
00:13कुछ पहे सभी उन्ह change सांफं जारहाता है
00:24कुछ स्वारिक कूछ से पात्र आत्मा के था
00:27शरीर के द्वारा एहंकार करता है
00:29आत्मा और शरीर से
00:31ग्यानता से जो
00:33खड़ा हुआ एहंकार वो पाप कर्म बानता है
00:35जैसे एक आदमें लकड़ी से मारा
00:37तो लकड़ी को सजा करनी चाहिए
00:39के मारने वाले हाथ को करनी चाहिए
00:41के आदमी को पकड़ती है लोग
00:57उज़े मारा वो एहंकार पकड़ता है
00:59आप भी जो बता थे
01:00मेरी गल्टी निकालता है वो एहंकार ही बोल रहा है
01:02और एहंकार क्यों खड़ा हुआ
01:04मैं ही सागर हूँ
01:05अभी आप सच्मुत सागर नहीं
01:07आप तो शुद्धा आत्मा हो
01:09सागर एक होने से एहंकार खड़ा होता है
01:11मैं जुद्धा हूँ, सागर जुद्धा हूँ
01:13सागर जुद्धा है
01:15यह जागरती रखने से एहंकार चले जाएगा
01:17और बात में जागरती रहेगी
01:19जागरती रहने से क्रोध, मान, मयलोग
01:21खतम हो जाएगे
01:23तो यह एहंकार कर्म बानता है
01:25और वोही एहंकार दूसरी लाइफ में
01:27दूसरा जन्म पाता है
01:29तो वोही देह तो छूट गया
01:31मगर दूसरे देह से
01:33वोही एहंकार को दूख बुगतना पड़ता है
01:35तो एहंकार तो
01:37सिर्फ मानता है कि मैं मर गया,
01:40और खुद तो है ही है, वो दूसरे अवतार में जाता है
01:43वहाँ सरीव द्वारा
01:45या दर्द द्वारा या कोई आक्षेव द्वारा
01:47कोई भी प्रकार से दूख बुगतेगा