अपेक्षा कम तो शांति ज्यादा

  • 19 hours ago
जिसे शांति चाहिए उसे कोई अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए। अपने पास जो है उसे शांति से भुगतो।
Transcript
00:00पासर खामड़ां करना वालैं würde
00:07क्या ऄच्छी पतनी का लकषण यही है
00:09कि पती से कुछ एक्सपेक्ट नहीं करें
00:11या बच्यों से कुछ एक्स्पेक्ट नहीं करें
00:13भीना एक्सपेक्टिशन से करते झाए
00:16अच्छी पतनी के बदले
00:17जिसको शान्ती चाहिए, टेंशन नहीं चाहिए, उसने कोई एक्सपेक्टिशन रखने की जुरुद नहीं है।
00:27अगर बिल्कुल कुछ नहीं पूछे, तो कहते हैं बिल्कुल आम्बीशन ही नहीं है, मैं बहुत जल्दी सन्तुष्ट हो जाती हूं।
00:33आपकी शान्ती तो बनी रहती है न? हाँ, मेरी शान्ती बनी रहती है। बस बहुत हो गया, जिसको जो कहना है कहने दो। वो दिन रात है तो जलते हैं और आपको जलाने आते हैं, आप मत जलो।
00:56क्या एंबीशन है, क्या कौन बड़ी एंबीशन लेके फिर रहा?
01:03मैं घर में रहना चाहती हूँ, बच्चों के साथ, बच्चों को संभालना चाहती हूँ, तो क्या उसमें थोड़ी एक्स्पेक्टेशन रखना गलत है, कि बच्चें मेरी भी थोड़ी सुने, पती मेरे भी थोड़ी सुने?
01:14सुनेंगे नहीं, आप रखो एक्स्पेक्टेशन, पत कोई सुनेगा नहीं, और फिर आपको दुख होगा, जब नहीं सुनेंगे तब, तो उससे बैज़ाएँ, नो एक्स्पेक्टेशन फिर सुनें या ना सुनें, नो परॉबलेम्, विदाउट एक्स्पेक्टेशन करो �
01:44कभी किसी के अपेक्षा पूरी नहीं होती है, एक पूरी होती है, तो दुसरी आती है, दुसरी पूरी आती है, तो तीसरी आती है, सारी ज़िन्दी यही चलता है, और कभी शान्ती नहीं मिलती है, चैन नहीं पढ़ता है, तो बेटर बाजू में रखो इन अपेक्षाओं क
02:14करने के लिए.