• 2 days ago
Peace of mind (मन की शांति) is desired by all. But how do we achieve it? We get agitated if someone insults us and we feel like slapping them in anger. But to get peace of mind, first and foremost we should know 'who we are,' 'who is being insulted,' 'who operates the world and all the things that happen within it.' The pure Soul within every creature always remains pure. The ego has created all the impurity in the world. In this video Pujya Deepakbhai, helps us understand why peace of mind is disturbed and what should we do to obtain it.
Transcript
00:00मन को शान्ती कैसे आएगी। बहुत प्रयत्न करता हूँ। मगर नहीं दो पाता है। नहीं वत पाता हूँ।
00:12जब कोई मुझे कुछ गलत शब्द कहते हैं तो बहुत गुस्सा आता है। तब ऐसा लगता है कि उससे जागता है।
00:18किसी ने बोल दिया गिर्दर गुपाल ऐसा आदमी है, वैसा आदमी है, इसको यह करना चुईए, वो करना चुईए। खराब शब्द बोल दिया, गलत शब्द करना चुईए। मगर नहीं दो पाता हूँ। जब कोई मुझे कुछ गलत शब्द कहते हैं तो बहुत ग
00:48शब्द पर दूसरी बाजु के रूम में बैठे वो लोग, और आप यह रूम में बैठे हैं, और आपके कान में कुछ आवाज आ गया तो उस्सा चालू हो जाता है। और लाश्ट में आदा गंटा तुम्हारे दिल में क्रोज चालू हो गया, और लाश्ट में आप सोचें
01:19इकड़म शांती हो गया
01:22आदा गंटे में ऐसे क्या हो गया आपको शांती हो गया, आपने कुछ दवाई नहीं लगाई, कुछ किया ही नहीं, तो शांती कैसे हो गयी आपको?
01:30दुसरा गिर्दर गोपाल, मैं नहीं, मैं तो बेंगलोर वाला, तो एक रोंग बिलिफ चेंज हो गयी, तो आपका दुख मिठ गया, क्रोज भी चले गया, तो क्रोज बंद करने के बज़ें, बदलें उसकी बिलिफ चेंज करो, आप सचमुझ गिर्दर गोपाल हो, कि आप
02:00गिर्दर गोपाल को हकाल देने का, गिर्दर गोपाल को, चाहिए इनहीं इदर हमारे
02:05ग्रूप में, वो नेगेटिव सेंटेंस आते रहेंगे, अफसेट, अफसेट, अफसेट, पर लाश्ट में एकी सेंटेंस मिला, सुना,
02:14तो यहां भी आप क्या बोलते हो, मैं ही गिर्दर गोपाल हूँ, और आप खुद गिर्दर गोपाल हो, कि आपका नाम गिर्दर गोपाल है? नाम गिर्दर गोपाल है, तो आप खुद कौन हो? मैं तो एक आत्मा हूँ, आ, तो आप गिर्दर गोपाल की सब envelope क्यों ले लेत
02:44हो, मगर वो शब्द से मालुं हुआ, अनुभव से होना चाहिए, शब्द में आपको मालुं हुआ कि शरीर अलग है, मैं आत्मा हूँ, और अनुभव में आना चाहिए, कि गिर्दर गोपाल, वो कोई कुछ भी कहे, शरीर में दुख होता है, नहीं, शरीर को द
03:14अहंकार को दुख होजाता है, और अहंकार
03:18reaction में, मैं तेरे को चाता मार दूँगा, हो जाता है, उसको काभू करने के लिए पंखा को काभू करना है, तो क्या करना पड़ता है,
03:28स्विच्च बंद करना पड़ता है
03:30तो यहाँ पहले
03:32अज्ञान से मुक्ति पानी चाहिए
03:34यह अज्ञानता से करोध हो जाते हैं
03:38अज्ञानता से
03:40कि मैं गिर्दर पपाल हूँ, कि मैं खुद कौन हूँ
03:42फर्स्ट उसको पहचानू
03:44और दूसरी अज्ञानता यह निकाल देनी चाहिए
03:46कौन करता है, कौन कराता है
03:50कौन कराता होगा
03:52अंदर का आत्मा
03:54उसको भी गली बुलाता होगा
03:56अंदर का आत्मा
03:58तो फिर अंदर का आत्मा को माप करना चाहिए
04:00आप तो आत्मा हो, पर्मात्म हो
04:02वो आत्मा उस टाइम पर हाजर ही नहीं रहा है
04:04हाजर ही नहीं
04:06पर अंदर का आत्मा ऐसे गलत सब्द बुलाने को
04:08कोई किसी को प्रेणा करता होगा
04:10नहीं करता है
04:12हाँ आत्मा तो पर्मात्म है, ऐसे क्यों
04:14दूसरी को बोलेगा इसको गलत बोलो
04:16आत्मा नहीं करता है

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