भूतकाल में समजकर या नासमजी से दूसरों को दुःख पहुंचाया हो वह आज बार बार हमारे स्मरण में आते रहता है| इन गलतियों अथवा दुःख दिए जाने के लिए आज जो विचार आते है उनसे हम बाहर कैसे निकल सकते है?
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00:00पास्ट में कुछ ऐसी गल्ट्या की है, किसी को दुख पोचाया है,
00:04बतलब कुछ-कुछ समझ के, कुछ-कुछ ना समझे में किया है,
00:08बतलब आगे वालों के प्रती राग, द्वेश हो या फिर कुछ बज़ा से,
00:12किसी गल्ट्या हुई है, और अभी जब उसके बारे में थौर्ट्स आते मन में,
00:18तो बहुत दुख होता है, और इससे बहार केसे निकल।
00:42इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके
01:12बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इसके बारे में, इ
01:42को दुख न हो जाये, इसे विवार करते रहेंगे. और बाई चांस कोई नुखसान हो गया किसी को, तो फिर प्रतिकण करेंगे, ये दादा, वगवान, ऐसे गलती नहीं करने की शक्ती दो. और प्रत्याख्यान किया, तो अमार ओ लेयर दोया गया, ओक दोश चले जाएगा