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बुद्धि और सूझ को किस तरह से पहचान सकते है? इन दोनों के बीच का भेद कैसे समजे?
Transcript
00:00बुद्धी और सूज में डिमार्केशन नहीं हो पाता है, कंफ्युजन हो जाता है।
00:15बुद्धी हमें सब प्राफिट लोस बताती है, फाइदा, नुखसान, मेरा फाइदा कैसे, दूसरे का जो होने वाला होईगा, मेरा फाइदा होना चाहिए।
00:22और सूज वाला है, हार्टील ही रहता है, कि सभी को कैसा फाइदा होई, किसी को नुखसान नहीं हो जाए, किसी को दुख नहीं हो जाए, हर पल उसको जागरती रहती है, और बुद्धी वाला तो मेरा फाइदा, मुझे फाइदा होना चाहिए।
00:36और सूज सचमुझ तो, जहां बहुत बड़ा कंफिजन हो रहा है, अभी क्या होईगा, कैसे सॉल करूँ प्रब्लेम को, तो भीतर में इंटिविशन आता है, नहीं, ये रस्ते जाओ, ऐसा जाओ, ऐसा करूँ, ऐसा करूँ, तो भीतर में एक आजात, नहीं, ये करें�
01:06और नफा, नुक्सान, फाइदा, नुक्सान, वो बताईगी, परौफिट और लोज, मेरा, तेरा, भेत कराईगी, तो ये बुद्धी का काम है.