• 3 years ago
चाचा को साधने की कोशिशों में लगे अखिलेश यादव !
शिवपाल सिंह की अहमियत अब आ रही है समझ !
हर हाल में प्रसपा को साथ लाने की कोशिश जारी !
आगामी विधानसभा चुनावों में नुकसान का सता रहा डर !
शिवपाल के अलग होने से पार्टी को हुआ है ज्यादा नुकसान !
अब हर नुकसान की भरपाई की कोशिश कर रहे अखिलेश !
चाचा को साथ लेने से होगा सपा को डबल फायदा !
सत्ताधारियों के लिए भी चुनौती पेश करना होगा और आसान !


उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए नफा नुकसान के आंकलन का दौर चल रहा है और जिस दल को जहां नुकसान दिख रहा है वो वहीं से खुद की मजबूती के लिए काम भी कर रहा है…बात की जाए सपा की तो सपा की तरफ से भी लगातार कोशिशें की जा रही है कि जो गलतियां हुईं हैं उनको न दोहराया जाए और हर हाल में पार्टी की स्थिति को मजबूती के साथ पेश किया जाए…जिसके तहत जहां रूठो को मनाने का दौर चल रहा है वहीं दूसरे दलों के नेताओं का भी दिल खोलकर स्वागत किया जा रहा है…सपा की स्थिति की अगर बात करें तो सपा में शिवपाल सिंह यादव की कमी अब साफ महसूस की जा रही है और इसी के चलते अब सपा के वरिष्ठ नेता जल्द से जल्द शिवपाल सिंह यादव के साथ कोई न कोई फैसला करवाना चाहते हैं…वहीं नुकसान का अंदेशा देख अखिलेश यादव भी चाहते हैं कि चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी स्थितियों को बेहतर कर लिया जाए ताकि आगामी वक्त में उसका फायदा लिया जा सके…हालांकि चाचा जी भी इस कोशिश में है कि भतीजे के साथ मामला फिट बैठ जाए लेकिन अब तक कवायद का हर किसी को इंतजार है…चर्चा ये भी है समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल यादवे को भी आने वाले दिनों में पार्टी से जोड़ने की कवायद करने जा रहे है जिससे करीब पांच साल से परिवार के बीच चला आ रहा विवाद खत्म हो और समाजवादी पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में दोहरा फायदा मिले. अभी तक शिवपला यादव के अलग होने से पार्टी को नुकसान ही सहना पड़ा है. शिवपाल यादव भी अखिलेश यादव से मेल के कयासों के बीच अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगे है.शिवपाल आगामी चुनावों के मद्देनजर अपना एक मोर्चा तैयार करने में जुटे हैं जिसमे सुहैलदेव समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह और एएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी अपनी सहमति दे चुके है. कहा जा रहा है कि अगर शिवपाल और अखिलेश में मेल होता है तो ओवैसी को छोड़कर सभी दल समाजवादी पार्टी से हाथ मिला सकते है.एक तरफ विपक्षी पार्टियां भारतीय जनता पार्टी के पारंमपरिक वोटरों को अपनी तरफ खीचने की फिराक में है तो इस बचने करने के लिए सूबे की सत्तधारी पार्टी अपने पैंतरे चल रही है. कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनावो को देखते हुए कोई भी सियासी पार्टी अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती. हर लिहाज से जातीय समीकरण से लेकर क्षेत्रीय राजनीति को साध लेना चाहती है ताकि इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा आने वाले चुनावों में लिया जा सके…ब्यूरो रिपोर्ट

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