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  • 2 days ago
Shiv promises Parvati that her fast will not be broken because of him in the future again. Parvati goes to a secluded spot and begins her tapasya. Vishnu appears before Parvati and fulfils her wish: Parvati will bear a child who bears all the qualities of the Shiv, Vishnu, and Brahma.

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00:00बिन्हर का श्री गडेशा, श्री गडेशा, श्री गडेशा
00:05आज मेरे व्रत के आरम का शुम मूरत बीत किया
00:21मेरा व्रत आरम होने के पूर्फ ही खंडित हो गया
00:25मुझे शमा करना परिये, भूल हुई, आप अपना व्रत कल भी प्रारम कर सकती है, मैं वचन देता हूँ, अब मेरे खारंड, आपके व्रत में कोई विगर नहीं होगा
00:55सत्य ना कहना तो हमें आता नहीं, और असत्य वो भाता नहीं, इस क्यलाश में है कोई ऐसा गण, चुकि वल तुम्हारी बात सुन सके, और आज तो नंदी ने तुम्हारे व्रत में ही विगन डाल दिया, ऐसे ही विगन होता रहेगा तो, तो कैसे पून करोगी तुम अपना व
01:25किसी एक कांथ स्थान में करोगी, जहां उसमें विगने डालने वाला कोई नहीं होता
01:32ओम नमो भगवते वासुदेवाई
02:02ओम नमो भगवते वासुदेवाई
02:32झाले वासुदेवाई
02:37झाले वासुदेवाई
02:41यहां वासुदेवाई
02:46प्रूदेवाई
02:51यह तुम्हारी नहीं मेरी भी परिक्षा है पार्वती
03:17तुमसे दूर रहना तो मेरे लिए भी अत्यन खठिन है
03:20तुम्हारे भीना तुम्हे भी अपूर्ण हूँ पार्वती
03:50अम नमो भग्वते वासुदेवाई
04:00अम नमो भग्वते वासुदेवाई
04:04अम नमो भग्वते वासुदेवाई
04:09अम नमो भग्वते वासुदेवाई
04:16अम नमो भग्वते वासुदेवाई
04:30विश्वाकारं भुजगशयनं अत्मनाबं सुरेशं विश्वाकारं डदिर्सक्रिशं मेगवर्णं सुधांगं लक्ष्मी कान्तं कमलनयनं योकिर्द ध्यान गम्यं वन्दे विश्णुंभव भयहरं सर्वलो कैकनातं
05:00देवी पार्वती के इतनी परिक्षा क्यों ना जाने स्वामी योग नित्रा से कब जागेंगे
05:06ओम नमो भगवते वासुदेवाई
05:30नास देवी पार्वती का व्रत पूर्ण होने का समय निकट आ गया है
05:36और कितनी प्रतीक्षा करनी होगी उन्हें
05:43देवी पार्वती
06:11रुषी से उन्हें
06:30शांताकारम भुजगशयनम् पढ्मनाबम् सुलेशम्
06:36विश्वा कारं जगन सद्रिशं मिल्ग वर्णं शुभांगं लक्ष्मी कांतं कमल नयनं योकिर्द ध्यान गम्यं वन्दे विश्णुम् भवभय हरं सर्व लोग कर्वांग तीवी पार्वती आपका व्रत सफल हो आपने द्रड़ता और निष्ठा के सार पुन्यक व्रत प�
07:06आपके इच्छा पूर्ती करने को मेरा कर्तव भी है आप जो भी वर्दान मागने हो मैं वो अवश्यत होगा
07:14प्रभू मुझे एक ऐसी संतान का वर्दान दीजिए जो ब्रह्मदेव की तरह ज्यानी है आपकी की तरह तेजस्वी और निपुनी
07:31और मेरी स्वामी शिवशंकर के समार निर्मर और स्नेही अर्थात त्रीमूर्थी के समक्ष कुर्मोसा
08:01निलकंड निलकंड नन्हे पक्षी मेरा एक कारे करोगे मेरे स्वामी
08:22मेरे महादेव से जाके कहोगे कि उनकी पार्वती अत्यान शुप समाचार लेकर उनके निकट लोड रहे
08:31जाओ निलकंड जाओ
08:34पार्वती है
09:04मुझे आभास हो गया
09:07हमारे विरा के पनपीत गए
09:10आप लौट रही है
09:13आपका स्वागत है प्रिये
09:16आपका स्वागत है
09:26आपका स्वागत है
09:34आपका स्वागत है
09:38आपका स्वागत है
09:42इतने वर्षों के तपस्र के बाद भी भादेव नहीं आए
09:46अब मुझे उन्हें विवश करना ही होगा
09:50इरुस्वई गर में सभी सामक्री इस परकार अस्त्विस्क्य पड़ी है
10:08प्रभू हम आपके गण है
10:10प्रभू हमने खीर खाई अवश्च है किन्तु
10:15किन्तु कभी पकाई नहीं
10:17हमें समझ ही नहीं आ रहा है से पकाई कैसे
10:20किन्तु नंदी देवी पारवती ने तुम्हें कितनी बार खीर पका कर खिलाई है
10:29तो तुमने उन्हें खीर पकाते अवश्य देखा होगा
10:32हाँ प्रभू देखा तो अवश्य है किन्तु कभी
10:36कभी समझा नहीं
10:39प्रभू हमारी द्रश्टी तो सदैफ, सदैफ खीर पर होती थी। उसको पकानी की विधी पर नहीं।
10:48शमा करें प्रभू।
10:49इतने वर्षों के तब के बाद यहां लौट रही है देवी पार्वती।
10:54उनका उच्छी स्वागत मेरा कर्तव्य है।
10:58उनके लिए दी खीर मुझे ही पकानी होगी, तो मैं ही पकाऊंगा।
11:06प्रभू खीर पकाएंगे।
11:10अवश्य प्रभू।
11:12कितना कठीन हो सकता है खीर पकाना।
11:16गुड़, दूद, और चावल का ही तो मिश्रण है।
11:21उसे चूले पी रखतो। बस पक गई खीर।
11:24आँ प्रभू, बस ऐसा ही है।
11:27पंदे धिल, पंदे धिल, पंदे धिल, थिल.
11:31तो तियारी आराम कीजिए।
11:33पंदे।
11:36दूद,
11:38पंदे।
11:41गुड़,
11:44चावल,
11:48रभू कदाचि चूले की आज़ पर रखकर इस घोल को हिलाना भी पड़ता है
12:18खीर उमा के लिए बना रहे महर्ज
12:23पग गई खीर इतना सरलकार ये था ये हाँ प्रभू सरलकार था इस खीर को एक पातर में उलटकर सजा दो
12:37मैं ये देखने जा रहा हूं कि अन्या प्रवंद उचित परकार से हुए हैं या नहीं अवश्य प्रभू
12:48कि अन्या जार्ण वाँ वाँ
12:54कि अन्या पराम परल चेया इस खीर के लिए बना परता बना में ।
13:18यहां उचित है यह उचित है यह पुष्ट लड़ियां
13:48कई दिवे वर्षों के कठोर व्रत के बाद कैलाश लाट रही है पारवधी उनके स्वागत के लिए संपून कैलाश को सज्जित कर दो
14:04उससे देखकर वो अपने सभी कश्ट भूल जाने अवश्य प्रभू
14:13अब तो कैलाश के बहुत निकट पहुच गई हुए
14:17सुनो तुमारे कारण मेले तालन तुद्धी होता अप लभू आप नित्मिन लगिए मैं बली तावधानी पूला ताला तालने तलूंगा आप देती है
14:29यह तुमारी साफधानी अभी आनंद उठालो फिर जब पारवती यहां आएगी तो उन्हें पताऊंगा कि उनके पीछे ऐसे ध्यान रख रहे थे तुम कैलाश का
14:45आप नमाख शिवाण नमाख शिवाण नमाख शिवाण
14:59नमाख शिवाण
15:05जिसका जासूर को हम तेवता भी नहीं रोपा है
15:11उसके कठोर तप और दुष्प्रभाव से लिए इस प्रकृति को नष्ट होने से केवल और केवल है देविश्वर महादेव ही रोक सकते हैं
15:41मुझे देखकर आपके मुख पर आये आनत को देखने के लिए ललाई थो मैं स्वामी
15:46राम माता
15:47माता इतने समय के बाद आपके दर्शन पाकर हम धन्य हो गए
15:52आपके स्वागत के लिए प्रभु ने सहम सज्जय कराई है माता
15:56माता जब आप यहां नहीं थी तो हम पल-पल आपका ही श्मरण करते थे
16:02मैं भी आप सभी को देखकर अत्यंत प्रसंत
16:06किन्तु नंदी स्वामी कहा है
16:11माता प्रभु तो यह रहे
16:14कहां
16:16वहाँ तो कोई भी नहीं
16:18माता प्रभु तो यहीं थे पता नहीं कहां चले गए
16:28हो सकता है ध्यान में हो
16:30चाहिए देखकर आईए
16:32जी
16:34माता प्रभु कैलाश में कहीं भी नहीं है
16:58यह व्यर्द की चिंता है
17:08या एक स्थ्री का सहज ग्यान है
17:12क्या कोई आयत
17:14नहीं नहीं
17:16देवादी देव का कोई आयत कैसे कर सकता है
17:19फिर भी मुझे ऐसा आभास क्यों हो रहा है
17:24जैसे कुछ तो आयत कर
17:27कर
17:28गठा
17:45माते
17:46माते
17:47माते
17:48माते
17:49माते
17:50माते
17:51क्या हो गया माते
17:52तुमने मालाए
17:53ताली
17:54इत्वी में अंड़तालतादी आए
17:55यह कैसा संकता
17:56माता
17:57माता
17:58प्रभू कहा है
17:59प्रकाश का अंता
18:01अर्फ़त
18:03श्रिष्टी का अधिवाद
18:04श्रिष्टी का कोई अनिश नहीं हो सकता
18:06आप सभी बाहर जाकर प्रतीक्षा किज़ें
18:09अब सभी बाहर जाकर प्रतीक्षा किज़ें
18:13इस विकर पर स्थिती में मेरे भ्राता विष्णु देव ही मेरी साहता कर सकते है
18:30ब्राता श्री हरी ये कैसा संकट है
18:58संसार में अन्दकार क्यों चागलें
19:02मेरे स्वामी कहा है
19:04उन्हें कुछ हुआ है
19:07गजासूर
19:09ओम नमाशिवाई
19:18गजासूर
19:25मैं तुम्हारे तब से परसंड हूँ
19:29तुम्हारे तब के तेज से तो तीनों लोग आसुरशित हो थे हैं
19:37इसलिए आप अपना तब समाफ करो
19:43प्रणाम भोलेनाथ नजानता थाओ
19:47आप मेरा तब सफल करने अवश्य आएंगे
19:51कहो
19:53क्या वर्दान चाहिए
19:55सब कुछ चाहिए मुझे
19:57आप चाहिए ठोलेनाथ
19:59आप
20:01मेरे उदर में
20:03सदा के लिए
20:05क्या थे तुम मांग रहे हो
20:09उसका क्या परिनाम होगा
20:11क्या थे तुमें
20:13क्या थे प्रभू
20:15कभी तुम मांग रहा हूँ
20:17यदि आप
20:19मेरे उदर में रहें
20:21तो आप की उर्जा से सुरक्षित
20:25निरोग
20:27कमर
20:29और सर्वशक्तिमान बन जाओंगा मैं
20:31क्रश्टि ही नहीं
20:33सर्वत्र ब्रमान
20:35पर राज करूँगा मैं
20:37सर्वत्र
20:39इसमान रखो के जासूर
20:41नालच का परिनाम से सदा पुरा होगा
20:43नालच व्यक्ति
20:45के पतन का कारण बरता है
20:47इसलिए तुमारी फलाई
20:49सी में है
20:51कि तुम कोई अन्य बर मांगगा
21:01इसलिया है मैंने
21:03इसी का पूर कीजिये प्रभो
21:05कैसी दूइदा है ये
21:11इसका वर्दान तो मुझे आपसे
21:13तूर कर देगा उमार
21:25मुझे तुमारे विवेक पर दुख है
21:27किन्तु यदि तुम ये चाहते हो
21:29यही पाऊगे
21:31किन्तु तुमारे इच्छा पून करने के फूर्व
21:33मैं कैलाश जाकर देवी पारवती से भेट करने चाहता हूँ
21:35वह वहां मेरी परतिक्षा कर रही है
21:37नहीं प्रभो
21:39सरु प्रथम आपको मेरा परदान पून करना होगा
21:41बस गजासुर
21:43मैं लंबे समय से पारवती से तूर रहा हूँ
21:45मैं लंबे समय से पारवती से तूर रहा हूँ
21:47मेरा आगरे है
21:49कि मुझे उनसे एक बार पेट करने चाने दो
21:51मैं शिग्र लाता हूँ
21:53मैंने भी वर्शो तक तपस्या कर ये बरदान प्रप किया है
21:57आप इसे अभी पून कीजिए
21:59इसी छण इसी पल्फ
22:01मैंने भी वर्शो तक तपस्या कर ये बरदान प्रप किया है
22:09आप इसे अभी पून कीजिए
22:11इसी छण इसी पल्फ
22:14आप मेरे उदर में स्थित हो जाए
22:17आज आईए प्रभू
22:19आज आईए प्रभू
22:21आज आईए
22:23
22:25आश्रा
22:27आश्रा
22:57ज हो जो जो जुड हो जो जुड कस देड outro टी कना तैटर
23:12तियुड है, जो जो नो DP
23:19झाला जो !
23:23खर्रीषअ के क में
23:25कोई मेरे स्वामी मेरे मौहादेव को मुझसे बिला भी नहीं कर सकता
23:31जब तक पुत्रकार थिके अपने कर्तववे को निभा कर लौट नहीं आता
23:38आपको एक और पुत्र का सुख पराप्त होगा

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