The small town of Shirdi, is visited by a man clad in simple attire. His arrival catches the attention of the inhabitants of Shirdi. The young man starts meditating under a tree. His presence is met with hostility by Vaidya Kulkarni. When Sai Baba preaches that all gods are one, Vaidya pokes fun at him and makes it clear that he should leave Shirdi.
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00:00आई यो
00:30श्रीडी गाओं की हवाओं में बाबा की यादें आज भी बसी हुई हैं
00:35यहां के भक्ति पूर्ण वातावरण में हर कोई साईं के चर्णों में लीन होकर आपसी भेदभाव भूल जाता है
00:42यह लेंडी बाग यह द्वार का माई यह चावडी मारुती मंदिर और यह खंडोबा मंदिर
00:51जब लोग बाबा के नाम की आर्थी उतारते हैं तो इन निमारतों की दिवारें आज भी खोशी से गूँज उपती हैं
00:58लगभग डेड़ साल पहले इन्हें ने बाबा के आने की पहली आर्ट सुनी
01:04चलो देखें मद्द उनीस्वी शताब्दी के शिर्टी जहां उस साई ने अपना सारा जीवन विताया
01:34मत्त वहतिब्द विश्वी आ हाउ डी कर आगे बाद मदक जयाया ऑशी ने
02:04आश्चर बाईजा आप तक गुरुवार का भोग लेके नहीं पहुचे
02:14अवश्य कोई कारण होगा
02:17ये हैं बाईजा शेड़ी के पाटल की पत्नी
02:23साहीं के पहली बार शेड़ी में प्रकट होने पर
02:27जिन लोगों ने उनके दिविरूप को सबसे पहले पहचाना और सुईकार किया
02:31उनमें बाईजा प्रबंग नहीं
02:33बाईजा
02:49अरे बाईजा कोम करन की नीद रेके सोई है क्या
02:57अरे दिवा ये जाग गया और मैं सोती रहे गई
03:02बाईजा आले सातु बाई
03:04अब तक तो खंडोबाजी की आरती भी हो गई होगी
03:08पता नी मैं इतनी देर तक कैसे सोती रहे गई
03:10उस सपने का मतलब तो नहीं समझी मैं
03:18प्रणंत सुक था उसमें
03:22सुपरवाद
03:23आपने स्नान भी कर लिया मुझे जगाया क्यों नहीं
03:29जगाया था पर आपने ऐसा धक्का दिया के
03:34धक्का?
03:37नहीं कब दिया?
03:40मुझे तो याद भी नहीं है
03:41अब याद भी कैसे होगा
03:43इतनी घहरी नीम में सो रहे थी कि
03:46मुझे ख्शमा कर दीजेगा
03:48पाईजा
03:53पहली बार आपने थोड़ी सी जाधा नीन ले ली
03:57कोई जर्म नहीं किया है
04:00धके हुए शरीर को आराम की सुरत होती है
04:04शरीर की थकान नहीं एक सपनी की उडान थी
04:09मैं इच्छाओं के उस आस्मान पर थी
04:13जहां जाकिकद की जमीन बहुत पास लगी
04:16बिल्कुल धन्यक्रिष्णा जैसे पाऊ थी उसके
04:19इसलिए शायद जागने का मनी नहीं किया
04:22पाईजा
04:23आले
04:25पाईजा
04:26संतान्ना होने का सूना पन नधूरा पन
04:35जब आपकी आखों में देखता हो ना
04:40तब इश्वर से पूछने का मन करता है
04:44माना किसी जनम में मैंने
04:48बाप किये होंगे
04:51पर आपको
04:53इस सुक से दूर क्यों रखा इतने वर्षों से
04:58आज खंडोबा जी के मंदिर जाएंगी तो
05:04पूछेगा जरूर
05:06आज तो खंडोबा जी भी नाराज होंगे
05:10किसी बात का जवाब नहीं देंगे
05:13इतने सालों में पहला गुरुवार है
05:17जब मैं देर से पहुँचूंगी भोग लेकर
05:20हो सकता इस देरी के पीछे
05:22घंडोबा जी क्यों कोई मंचाओ
05:24कंगान के եा हुआ इससे कोईफ
05:30नहीं के बात के जो खंडोबा नहीं
05:37अबί sería कि जूआ है
05:41हुआ हुआ है
06:11हुआ है
06:41हुआ है
06:48हुआ है
06:51हुआ है
06:56हुआ है
07:03हुआ है
07:05हुआ है
07:09हुआ है
07:10आपके कमर का दर ठीक हुआ
07:12कई दिनों से कोशिश कर रही हूँ
07:14सरकार किसी तरह देख पाए
07:16शिरडी को एक ऐसे वैदराज की जरूरत है
07:18जिसके लिए हर रोगी एक समान हो
07:20धनी भी और निधन भी
07:23भाई जक्का
07:24अच्छा डालने आ रही हो ना
07:26हो हो मंदिर से लौट कर
07:28प्रणाम
07:30यूसुफ भाई
07:37गाई के दूद पे पहला अधिकार बच्डे का है
07:40उसके बाद जो बचे वही पहुचाना हमारे यहां
07:42कम होगा तो भी चलेगा
07:44जी भाई जक्का
07:46इदर आईए प्रसार लीजिए
07:50कल्यान दुस्त
07:51कौन हो तुम बालक
08:10पहले कभी देखा नहीं तुम्हें शेडी में
08:14को
08:16कर्ण्थ नहीं अन्द नहीं
08:18पुष्प नहीं
08:20कि ग्रंथ नहीं, अन्द नहीं, पुष्प नहीं, फल नहीं, किवल एक एट
08:50ये बाल्योगी कुछ भिन्ध है
09:20शमा करना, जी ग्यासक के कारण मैंने, मेरा और कोई उद्देश नहीं था इस
09:38ये मेरे गुरू का शगुन है, तुम्हारे ध्यान में भी विगने डाल दिया मैंने
09:42ध्यान कोई मुद्रा नहीं, ध्यान तो एक अवस्था है, जो कहीं भी, किसी भी हाल में, छूटे नहीं और तूटे नहीं
10:00मालसा पती जी, पहली बार ऐसा हुआ है कि गुरुवार के दिन मैं भोग नहीं
10:30कौन है ये?
10:41जो भी है, कोई साधारन बालक नहीं है
10:45क्या देख रही हो बाईजामा?
10:51जबने हसंतान बाईजा को बाल योगी मा केके पुकारते हैं
11:02तो बाईजा की दभी हुई मंदा सामने आ जाती है
11:05और उसी शन, वो उसे अतना बेटा मान जेती है
11:09आश्चर्य
11:18इस पाल योगी को आपका नाम पता है
11:22मैं बस इतना जानती हूं इसने मुझे माँ का
11:27पिन्हा माँ बने ही
11:45एक इक शड में मात्रत्व के सुख की अनुगुति करवा दे इसने मुझे
11:49तुम जो भी हो
11:54भगवान ता रूपो मेरे लिए
11:57मालसा पती जी ये क्या हो रहे यहां
12:14ये बाल योगी है कोई बड़े अद्भुद्ध
12:21पहली बार शेडी आये हैं और बाईजाक का को नाम से जानते हैं
12:25मा का आये तो मा के घर ने चलोगे
12:31मेरा तो संसार इस व्रिक्ष के नीचे ही है बैजामा इसी की छाओं पाने के लिए तो यहां आया हूं
12:46पनाया तो खंडवा के भोग के लिए था लेकिन इच्छा और ये कि तुम इसे ग्रांट करो
13:00पर अब भाईजाक अब खंडवा को क्या भूग लगांगी आप होग तो आप शाम को ही लगेगा मैं फिर बना लूंगी लोग
13:13लोग
13:14लोग
13:19लोग
13:22लोग
13:25लोग
13:27भाईजाक का
13:37आपने खंडवा का भूग इस धोंगी योगी को दे दिया कुपते को खिला रहा है वो देखो
13:43पाप अधर्म खंडवा का अपमान भूग का अपमान अरे ये क्या कर रहे हूं हमरे उते भूग का अपमान नहीं होगा भगवान का
13:53भगवान को देखा है कभी
13:59अच्छा छोड़ू
14:01नर्सिंग भगवान की कहानी तो सुनी होगी न आप दोनों ने
14:05वो कहां से प्रकट हुए थे
14:08विश्नु भगवान के दस अफ़तार बता सकते हो
14:13मूर्ख समझाए हमें इतना भी नहीं पता होगा
14:17मच्छा कच्छवा वरा हूँ आमन
14:24खंबे में भी भगवान
14:26मच्छी, कच्छवे, वरा हर जगा भगवान
14:31पत्थर में भी भगवान को धून लेने वाला इंसान
14:37उस एक जीव में भगवान को नहीं धून पाता
14:41क्योंकि वो जीव एक कुत्ता है
14:50ब्रम्ह तो एक ही है
14:51भेट तो उसमें दो आखों से देखने वाले करते हैं
14:57एंकार की सरहत को पार करके देखू
15:02वो हर एक को एक ही दिखाई देगा
15:07हर चीज में भई हर जीव में भई
15:14अम्में भी? क्यों नहीं?
15:16इत अच्छादो अम्में भगवान जाए दिखें
15:19मिर्ची
15:39मिर्ची यह तो पूरन पूली है यह मीठी होती है
15:48हाँ हाँ बैजामा पूरन पूली का स्वाद मीठा होता है
15:53लेकिन इनके जाहिलपन का स्वाद तो तीखा होगा ना
15:57जोड़त अगर अला मालेक
16:02पूरन पूली के मिर्ची पूली कुलकरणी सर्तार
16:09सरकार की जहां एक तरब बाल योगी मानौता का संदेश दे रहते
16:18का मुख्या और वैद्द कुलकरणी सरकार अपनी जिम्मेदारियां भूलकर
16:23शेडी को अपने हिंकार का खाड़ा समझ रहा था अंग्रेज सरकार के तलवे
16:28चाटकर उसने शेडी की भूली भाली जंता पर अपना वर्चस रस्थापित कर लिया था
16:34शेडी में साई का सबसे बड़ा विरोधी कुलकरणी ही था
16:38अपना प्राइण प्राइण विरोधी की भी खाड़ा विरोधी की भी जिरोधी की भीजिए
17:04अरियो!
17:16जेल, जेल, जेल!
17:34जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जेल, जे
18:04कर दो कर दो
18:34कर दोनों पक्ष के लोग सरकार के सामने प्रस्थ थो
18:40प्रडाम सरकार
18:48हर्योम
18:57नियम के अनुसार प्रथम पक्ष रखने का आउसर पीडित को दिया जाता है
19:03इसलिए शेट गंगाराम आप अपनी व्यथा रखिये अरे लेकिन मुनिम जी यह तो ए
19:13जब मुझे बोलने का अफसर दिया गया है तो बीच में मत बोलना सब्जाएं
19:18सरकार एक प्रथासी चल रही है गरीब अन्याय अन्याय चिलाता है और समाज अमीरों को दोशी समझ लेता है
19:30अमीर होना तो जैसे एक अपराद हो गया है एक अभिशाफ हो गया है जब कि सारा शेड़ी जानता है कि इस किसान ने अधर्म किया है
19:41नहीं सरकार मैंने कोई अधर्म ने किया सरकार
19:44इस दो कौली के किसान ने मेरी बावडी से पानी लेने का अपराद किया है सरकार
19:51उस जल को दूशित कर दिया है इसने अपने अपवित्रे सपर्श से
19:59शास्तरों की अभमानना हुई है
20:03और शास्तरों की अभमानना तो अधर्म है
20:07अज यह तो अपने आप सही सीखा है सरकार
20:12आग लगी थी आमारे केत में सरकार
20:16कर्ज लेकर तो बीच खड़ दे थे
20:21नहीं बुझाते तो जब कुछ गता हो जाता
20:23आरे तो क्या अपना नुक्सान बचाने के लिए दूसरे का नुक्सान कर दो गई यह कहां का दर्म है
20:28आपकी पावडी से थोड़ा पानी ही तो लिया है इसमा अधर्म कहा है
20:33नर्योम
20:34यह ज्यादा कानून मत छाट चुप चुप रहें
20:41सबकार गायवेल के साथ रहकर बैवार की भासा काहां से सी गए एकिसान का बेटा
20:46हुझार्ण हम बानते हैं सारी गल्ती हमारी है
20:50अबकि बावडी को नुपसान पहुचा है हमारे चुने बर से
20:54हमारी फसल होगी उसमें से जितनी चाय फसल ले लीजे हुझार्ण पर हमारी बेटे को माफ कर दीजे सरकार
21:00हर्योम हर्योम
21:18अब रात तुमने किया है और तन्वी तुम ही तै करोगी है
21:28न न सरकार है ऐसी बात दी है
21:30तो कुलकर ने सरकार यहाँ बैठके क्या करें
21:33समाज में किसका क्या स्थान है यह हम नहीं हमारे शास्त्र तै करते हैं
21:43कि शांस्त्रों की उपेक्षा करते हुए तुन्हें सेट गंगाराम के बावरी से जन निकालके उसे अपवित्र किया है
21:53अधर्म है निश्चित रूप से अधर्म है
21:59यदि लोग ऐसे ही अपने लाभ के लिए किसी दूसरे के संपत्ति का नाश करने लेगे तो समाज में आराज अक्ता फैल जाएगी
22:07इसलिए तुम्हें ऐसा दंड दिया जाएगा कि भविष्य में यदि कभी कोई तुमारे स्थान पर हो तो ऐसा पाप करने का दुस्सा हस नहीं करेगा
22:17इसने सेंठ गंगाराम की बावडी को अपवित्र करके नष्ट किया है न्याय के अनुसार इस किसान के खेत नष्ट किये जाए आग लगा के और न्याय में देर नहीं होनी चाहिए इसलिए ये काम आज और अभी हो जाना चाहिए हरियो
22:40हुँँऊँड अए हैं तो या दिलकिन अल्या तो आवम
22:45हुँँड हरुँड हरować हुशूड हो जाए अध्या ने कर्चा चुका थहुम क हीज़ा किसान है फिए नष्यान मार्वाह हो जाएगी
22:50उसुर् पीडिया बर्वाद हो जाएंगे, करजा चुकाते हुजूर् पीडिया बर्वाद हो जाएंगे। उसुर्व नहीं है शते शट्यं समाचरेत।
23:04नहीं हुजूर्
23:08धन्य है सरकार धन्य है आपके होते हुए धर्म की हानी और अधर्म की व्रद्धी हो असंभाव
23:20सरकार सरकार सरकार जादूटोना पुरन बोली कि मिर्ची बोली बात करता है वैदों की पर कहता है आल्ला मालिक
23:31योम किसकी बात कर रहे हो तुम दरो वही ढोंगी जिसके सामने सब परनाम कर रहे थे और जहां इतने प्रतिष्ठित लोग एक योगी को इतना सम्मान देने लगे सारा शिर्ड भी उसे भगवार मानने लगेगा
23:45योम
23:46अहिंगार असुरक्षा का ही एक रूप होता है और ये बात कुलकर्णी में साफ नजर आती थी छोदी सी भी चुनोदी हो कुलकर्णी उसे तुरंत ही जड़ से उखाड भेगने में विश्वास रखता था
24:06यूम
24:36उधर है उधर है उधर है वो क्या देखने रहा है क्या उधर है उधर है उधर है
25:06वो तो है सामने यही तो है वो वो देखो अरियों बालकों से निपटने के लिए मुझे आना पड़ेगा
25:19स्वयम क्यों नहीं संभाल सके उपहास करना चाहते हो मेरा
25:24वापिश्चरों सरकार अब वापस गए तो जीत बालक की समझे जाएगी
25:31देखिये तो उसे ध्यान से ऐसे बन रहा है जैसे आपको देखा ही नहीं
25:38अरियोम जब हमने उसे कहा था सरकार तुषे दंड देंगे तो बोला मैं अपने जादू उटोने से तुषे पोपट बना देखा
25:44आपकंडे
26:08अरियोम जाएगी
26:38कि अधियायतो विश्यान अपुन्सा संगस्थे शूपजायते
26:56संगस्थ समझायते कामा कामत क्रोधो अभिचायते
27:05भगवान ने बहुत कुछ दिया है
27:10लेकिन उसमें सुकून ना धूनके
27:15इंसान और और की रट लगाए रहता है
27:20और उसकी ये रट इच्छाओं में बदल जाती है
27:30इनके बंधन में ऐसा कैद हो जाता है
27:34कि इन इच्छाओं के पूरा ना होने पर
27:38उसे क्रोध आने लगता है
27:41ये क्रोध ही सबसे बड़ा दुश्मन है
27:47क्योंकि क्रोध बुद्धी भ्रष्ट करता है
27:53और जहां बुद्धी भ्रष्ट
27:55वहां इंसान नश्ट
27:59तुम जेसे
28:00वला तुसा इर्ख दुकाई लिन्नासी
28:03वला तमसी फिल अर्दी
28:15महरान इनिल्ला युही बुकुला
28:21मुख्तलीन फकूर
28:24लोगों से अपना रुख मत्फेर
28:32और ना ही इस जमी पर इतरा के चल
28:37क्योंकि एहिंकार करने वालों को
28:41वो खुदा भी पसंद नहीं करता
28:44यह इसे योगी समझ रहे हो आपनो
29:04जिसे यह बिस पश्ट नहीं है इसका धन कौन सा है
29:09हर वो धर्म
29:14जो इंसान को इंसानियत सिखाए
29:18वो मेरा धर्म है
29:21इसलिए सारे धर्म मेरे
29:24और सबका मालिक एक
29:30तो थाचना बाजे गना
29:47अपने पूटली उठाओ
29:53शेडी की सिमा से चितनी दूर जा सकते हो निकल जाओ
29:58लिए जाओ
30:01अपने जाओ यहां से निकल जाओ यहां से निकल जाओ
30:17क्या कर रहे हैं आप लोग क्यूं इससे यहां से जाने के लिए कह रहे हैं
30:26अब शिरडी के प्रशासनिक निर्णयों में श्त्रियों का हस्तक्षेप होगा
30:41प्रशासनिक निर्णय होगा आप के लिए
30:47मेरे लिए व्यक्तिगत है
30:48मा कहा है इसने मुझे
30:52और मैंने भी इसे अपने बेटे के रुप में पाया है
30:58और एक मा को संतान का पक्ष लेने से संसार की कोई भी ताकत नहीं रोख सकती है
31:14मैं जानता हूँ
31:16संतान पाने की इच्छा में भावुक्ता की अती हो सकती है
31:24और व्यक्ति अपना विवेख हो सकता है
31:28लेकिन कुलकर्णी सरकार यहां धर्म और न्याय व्यवस्था बनाये रखने के लिए उत्तर दाई है
31:41और कुलकर्णी सरकार की अनुसार यह बालक अगर यहां रहां
31:48तो लोगों की धार्मीक भावनाओं को क्षती पहुचाएगा
31:52सामप्रदाइट तभड़काएगा
31:55इसलिए यह बालक यहां नहीं रह सकता
32:01इसे जाना होगा
32:04मैं जिनकी अनुमती से यहां आया हूँ
32:11उनी के हुप मुसे यहां से वापस जाऊँगा
32:15हरियोम
32:20मैं चानता था
32:25इसके पीछे कोई न कोई अवश्य है
32:29कान है वो?
32:34मेरे गुरू
32:35गुरू?
32:39क्यों भेजा है उसने तुझे?
32:42भेजा नहीं, बुलाया है
32:44यहां
32:45शिरडी में?
32:48उनकी समाधी है यहां
32:49समाधी?
32:51मैं जानती थी ऐसा ही कोई कारण होगा
32:53अब चैन मिल गया आप लोगों को
32:56हर्योम
32:57हर्योम
32:58हर्योम
33:03हर्योम
33:04शिरडी के अधिकांश निवासी भोले है
33:08विश्वास अंदर विश्वास में अंतर नहीं समझते है
33:15इसका मतलब यह नहीं कि
33:17तुम कुछ भी कहोगे और उसे मैं सच मान लूँगा
33:22जनम सले कर रहा हो शिरडी में
33:25मेरे पुरवज भी शिरडी में ही रहे है
33:31मैंने तो नहीं सुना
33:33शिरडी में किसी की समाधी है
33:38आप लोगोंने सुना है
33:40शिरडी का वैत हूं मैं
33:49शिरडी को रोगों से मुक्त रखना
33:53अपना कर्तव विसमझता हूं
33:56और कौन से रोग को कौन सी आउशदी मारती है
34:00ये भी मुझे पता है
34:03उसके साथ मेरा और एक दाइत्व है
34:07नियाय करने का निश्पक्ष नियाय
34:10तुमारे धर्म का तो पता नहीं
34:16लेकिन मेरे धर्म में सहिशनुता बहुत महत्वपूर्ण है
34:20इसलिए मैं तुम्हे आउसर देता हूं बालक
34:25अपने सत्य को प्रमानिक करके दिखा
34:30बताओ तो तुम्हारे गुरु की समाधिक कहा है
34:34कौन है तुम्हारा गुरु और क्या नाम है उसका
34:39बताओ गुरूर ब्रह्मा गुरूर विष्णु गुरूर देवो महेश्वरा
34:59गुरू साक्षात परब्रह्मा तस्तमैश्री कुरवे नमा
35:07फिर वही चतुराई
35:12सिधा उत्तर दो मेरे प्रश्ण का
35:17कौन है तुमारे गुरू क्या नाम है उसका
35:23अपने सत्य को प्रमानित कर बालक
35:27अपने इस दावे को प्रमानित करके दिखा
35:30अब चुप क्यों है बोलता क्यों नहीं बोल
35:37इस इस इस इस इस इस इस इस मेरे गुरू की समाधी
36:07करें आए और यहां जमीन पर अपने कान लगाए आई आए
36:29मृतिं की हावास
36:39मृतिं की हावास
36:50मृतिं की तथी प्राफ
37:00मृतिं की लगाँ
37:04इस इस इफ इस इस इस इस इस इस इस दो के लिए
37:07कर दो मोईनेश
37:22कर दो कि तर दो
37:26कर दो
37:28प्रोड़ बायकर
37:30कर दो
37:31पलत दो
37:34हुए हुए हुए हुए हुए हुए हुए हुए हुए हुए
37:56है
37:59ओय द्छी नहीं कोई आवाश नहीं
38:04चलो ऐसा करते हैं खूद के देखते हैं यहां पर नहीं देख लेते हैं कौन है अंदर जो मौन बैठा है
38:20नहीं ऐसा करके आप लोग मेरे गुरू का अपमान करेंगे
38:33मान अपमान के प्रभाव से जो तूर है वही योगी होता है जानते हो ना
38:43होदा है करवाओ खोदो यहां पर
39:13हुआ है अजय करें अजय करें तुम्हारे गुरू की समाधी और बनाते हो सबको तुम जैसे पाखंडी का गुरू भी पाखंडी ही रहा होगा
39:39और शारिडी में पाखंडी की समाधिया नहीं बनाएं जाती है
39:46हुआ है अग्यम कि आपको दाइगी जी
39:51अगार हो है का आँ हुआ हुआ हुआ है
40:01चाहिए हुआ हुआ हुआ है
40:03झाल झाल
40:33झाल
41:03अरे दिखो जमीन के अंदर क्यों जम रहे
41:12गुलकरनी जी क्रांती फैल रही है
41:17कुछ युवग भेस बदल कर लोगों को भढ़काने का प्रयास करते हुए पाए गए
41:24गुलकरनी जी क्रांती फैल रही है
41:29कुछ युवग भेस बदल कर लोगों को भढ़काने का प्रयास करते हुए पाए गए
41:34गुलकरनी जी क्रांती फैल रही है
41:42कुछ युवग भेस बदल कर लोगों को भढ़काने का प्रयास करते हुए पाए गए
41:46जिस परकार उस बालियोगी के दर्शन पाने के लिए शिरडी निवासी जा रहे है
41:50है मुझे तो लगता है गोरा साब आपको दंड दे ही देगा तहां है वो वो जाने के लिए नहीं आया था इसमें जरूर आपी का हाथ है
42:02परियोओम