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  • 2 days ago
Hanuman has been a true worshipper of Ram and the Lord seems immensely pleased with his devotion. He asks him what his wish is, to which Hanuman replies that he desires to see him entirely in the form of Ram.

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Transcript
00:00तुम्हारी रखुपती भक्ती निरंतर बढ़ती रहे बस
00:30तुम्हार बखुपती रहे बस
00:45झाल, झाल, झाल, झाल, झाल.
01:15झाल, झाल, झाल, झाल.
01:45झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झा
02:15झाल झाल
02:45कि अच्छी नंदन, मेरे समीर इतनी स्त्रियां देखकर भी तुम्हें विस्मय हो रहा होगा
03:13हो तो रहा है प्रभु
03:18कौन है ये माताएं
03:33तुम्हें स्मारण होगा कपीवर रेता युग में अनुजों और सेना सहित मैंने सर्यू नदी में जल समाधी ले लिए
03:51तब से अब तक लाकों वर्षों से तुम निरंतर मेरे नाम का जाब कर रहे हो और कदाचित
04:03तुम्हें भी बोध है वत्स कि वर्तमान द्वापर युग में मैं श्री कृष्ण रूब में इस प्रिफ्वी पर फिर से अफ्थार ले चुका
04:13कर दूब में भी कि अब तक बपर में भी जुख्युक्त
04:33कर दो थार युग में जब में जुख्यक्त
04:42और कदाचित तुम्हें ये भी ग्यात होगा
05:01इस अवतार में मैं 16 सहस एक सो आठ रानियों का स्वामी है
05:08यहां उपस्थित यह सारी स्थ्रियां मेरी विवाहिता है तुम तो सदैव मेरे हिर्दे में वास करते हो प्रीवर तुम तो मेरा सवभाव जानते हूं मैं समदर्शी हूं
05:26सब के साथ समान भाव रखता हूं केवल तुम जैसे भक्तों पर मेरी विशेश क्रिपा रहती है
05:39मैं तुम से बहुत प्रसन्न हूं हनमान मांग पर मांग नाथ यदि आप मुझसे सच मुझ प्रसन्न है
05:59तुम मेरे रिदय में सदैव बसने वाले सीता पती धनुष बानी प्रभूश्री राम के रूप में मुझे पूर्ण दर्शन दीजिए
06:29झाल, झाल, झाल, झाल, झाल
06:59झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, �
07:29प्रोड़ कर दो
07:59तुमसाब दिये, मुझे कोई नहीं अनुमान
08:07मैं सदै तुम्हारा रिणी नहूंगा
08:29देखो हनुमान, अगले कल्प में तुम्हें ब्रह्माजी का दायत्व धारण करके इस स्विष्ठी की रचना करनी होगी
08:44करोगे ना
08:50जैसी प्रभु की आग्या
08:59सुना मित्र सुदर्शन, अभी यहां पर परमवीर हनुमान आने वाले हैं
09:23सावधान रहना, भूलकर भी उन्सों लजनमत नहीं तो
09:27शिराज, वो तो आकर चले भी गए
09:30आकर चले गए
09:31बल ही नहीं, गती में भी वो मुझसे बढ़कर हैं
09:38और मारक शमता में मुझसे भी बढ़कर
09:41मित्रवेंते, मैं शमा चाहता हूँ
09:46आज मैंने व्यर्थी आपके आगया हूंकार किया
09:51नहीं नहीं अस्तर शिरोमनी, भूल मेरी थी, शमा तो मुझसे माल में चाहिए
09:56मैं सब समझ गई ना
10:26कि या समझ कही प्री है यही कि आपने ये सारी लीला मेरा कर्व भंग करने के लिए खेली
10:39रानी सत्यभामा आपके साथ अस्तर शिरोमनी सुदर्शन का भी गर्व भंग हो गया है और पक्षिराज गरूर का भी
10:50मुझे अपने रूप का अभी मान हो गया था स्वामी
11:08मैं ये भी भूल बैठी के आपका भी किसी पर आसक नहीं होते हैं
11:19मात्र लीला करते हैं
11:22मुझे शम्मा कर दीजे ना जहां आंकार होता है वहां प्रेम नहीं रहता
11:38कि अहम के जाते ही भग और भगवान में कोई भेद नहीं रह जाता है
11:49कि भग स्वयम वत्रूप हो जाता है
12:00यह है प्रेम की शक्ति जानती हो सबसे बड़ा प्रेमी कौन है
12:12कौन नाथ
12:21पवन पुत्र हनुमाई
12:29कि अवराई
12:51कि अवराई
12:58स्वामी, आपने महाभली हनुमान से यह क्यों कहा कि मैं तुम्हारा सदैव रिणी रहूँगा
13:09भक्त तो भगवान के जन्म जन्मांतर से रिणी थे और सदैव रहेंगे
13:17परन्तु भगवान भक्त का रिणी हो, यह तो महान आश्चरे का विशे है
13:25कारण ही कुछ ऐसा है कि मैं रिणी हूँ और सदैव रहूँगा
13:33तो बताईए ना प्रभू
13:38बताओं जी बताईए तो सुनू
13:48वीर हनुमान ने मेरे प्राणों की रक्षा की थी
13:56आपके प्राणों की रक्षा मेरी ही नहीं शेशा अफ्तार लक्ष्मन की और 64 करोड बानरों की भी जीवन रक्षा की थी
14:09यह लंका युद्ध की बात है हमारी सेना के अध्वुत पराक्रम से रक्षा सेना तरही तरही करने लगी तो रावन ने अपने मायावी पुत्र मेगनात को युद्ध पूमी में बेचा
14:29यह मेगनात बड़ा ही कुशल योद्धा था उसने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करके हमारी संपूम्न सेना को मनासन कर दिया
14:40मैं अर्थात दशरत नंदन राम शेशा अफ्तार लक्ष्मन और वानर राज सुगरीव सहित सारे योद्धा
14:52सब के सब मूर्चित होकर रित्यों के मुख में जाने लगे तब उद्धीमान जामवान ने तंकट मोचन हनुमान को बुलाया
15:09तात आप ठीक तो है हान संपून सेना की दसा देखो पुत्रे सब के प्राण मंद हो रहे हैं
15:27हाँ तात सूर्य की प्रथम किर्णों के साथ ही यह सभी सैनिकों के प्राण पखेरू हो जाएं
15:39अब केवल तूम ही हम सब की प्राण रक्षा कर सकते हो अनुआ किसी दूसरे में यह योग्यता नहीं है
15:48श्री राम भी इस खड़ी में तुम्हारे पर आक्रम के आस्रे हैं और मेरा पराक्रम ? मेरे प्रभू श्री राम के आस्रे है
15:59मैं जानता हूँ पुत्र, तुम्हें बहुत दूर हिमालय जाना होगा, और ब्रम्हास्त्र के उप्चार के लिए और सधियां लानी होंगी पुत्र.
16:13हिमालय? हिमालय तो यहां से सहस्रो योजन की दूरी पर है?
16:17जाकित नहों राक्षस राज, विलक्षन हनुमान पवन पुत्र है, और पूरी तरह सक्षम, उनके लिए ना तो कोई कारी दुसकर है, और ना ही कोई स्थान दुर्गम, आप और शधियां बताईये ताथ?
16:38उनके नाम है, धान से सुनो पुत्र, मित संजीवनी, विशल्य करणी, सुवन्ड करणी, और संगानी, ये हिमालय पर कहां प्राप्थ होंगी दाथ?
16:51रिशब नामक, सुवन्ड मैं शिखर और संकर जी के निवास, कहलास के बीच द्रोण नामक एक परवत है पुद्ध, जो अपने प्रकास से अलग ही दिखाई देता है, उसी परवत पर ये चारों और शधियां मिलेंगे, जो अपनी विशेश आभा से समकती रहती है।
17:11मुझे आ ग्या देजिये ताथ, सफल होकर लोटो भुद्ध, ज्यान रहे, सूर्य उदय के पूर्वी, मैं अभी औशधियां लेकर आपके सामने उपस्तित होता हूँ,
17:34जै श्री राम!
17:41सूर्य उदय के पूर्वी, त्रोन पर्वत से आशन्या लाना, अती दुष्कर ही नहीं, हसम्थव, वानर सेना के स्थारे के सारे योधद, मेगनाद के प्रम्हास्त्र से आहत भोकर,
18:11मरनासन पड़े हुए है, ये अती तुष्कर कार करेगा,
18:29कौर करेगा,
18:34इस असंभव कारिय को करने का संकल्ब, हनुमान ने ले लिया,
18:43उसी हनुमान ने, जिस ने हमारी सुनेरी लंका को अपनी पूच्च जलाकर काला कर दिया,
18:55कर दिया, ये अती तुष्कर करेगा,
19:13कर दो कि कर दो
19:17कर दो
19:20कर दो

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