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  • 2 days ago
Kulkarni visits Dwarkamai and accuses Sai of being a fraud. However, Sai plays a trick and stops Dattu from leaving the village. Later, he brings Dattu to Dwarkamai for him to meet his parents. Dattu, however, refuses to go with his parents

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Transcript
00:00साईयो
00:30कि अठाएएश दॉपीन
00:38अठाएपन
00:39अठाएब
00:40चुब सीन
00:55आई ये सरकार
01:12ग्वार का माई में आपका स्वागत है
01:16आप यहां आये हैं
01:20तो बेवजा तो नहीं आये होंगे
01:23हरियोम, हरियोम
01:26सही कहां तुमने फखेर
01:34बेवजन नहीं आया हूँ
01:39विवश होकर मुझे आना पड़ा यहां विवश होकर
01:46क्योंकि मेरी प्रजा को तुम मूर्ख बना रहा है बरसों से लेकिन अब नहीं
01:52इनकी आखों से परदा हटाने के लिए आया हूँ
02:01इन्हें इस सत्य से आउगत कराने आया हूँ कि अब तेरा काला जदु काम नहीं करता
02:11महान तू नहीं महान तो मूले शास्त्री जी है जिनके द्वारा की गई भविश्वानी को तो जूटा सिध नहीं कर
02:20पाया तो हार गया भगेर भाल चंद्र का बड़ा बेटा गाउं छोड़के चला गया
02:29नहीं सरकार मेरा दद तो नारा सोकर गया जरूर है लेकिन वो वापस आ जाएगा वियोग बहुत बड़ी बात होती है और आप जैसा सोच रहे है ऐसा कभी नहीं होगा
02:58तेरे कहने से सत्य बदल नहीं जाएगा उमा संता ने खुद अपनी आखों से देखाए उसे जाते हुए अब तक तो श्रीडी की सीमा पार करके गया होगा जंगल में जहां जंगली जानवर रहते हैं
03:28बड़ी पानी लाना सरा
03:34हरी ओम हरी ओम तुम लोगों से मैं सदव कहता रहां कि ये पाखंडी है
03:48देख लिया तुम लोगों ने सत्त क्या है ये कुछ नहीं कर पाया सरकार
03:56सबूरी दाट्या
04:00याद रखो गुस्सा विवेक को खा जाता है
04:18वो बेल देख रहे हैं आप सरकार
04:40ये तभी भूलेगी फलेगी पड़ेगी जब इसे कोई सहारा मिलेगा
04:58स्रिष्टी का यही नियम है
05:05हम सभी का विकास तभी संभव है
05:10जब हम एक दुसरे का साथ दे
05:16आपस में सहयोग करें
05:24और आज नहीं तो कल इसे इस बात का एहसास होना ही है
05:34जलोना ही है
05:48जलोना ही है
05:52जलोना ही है
05:56
06:02झाल झाल
06:32झाल
07:02खर्योम खर्योम अब बोलने के लिए कुछ नहीं रहा तो खेल खेल रहा है
07:12खर्योम खर्योम झाल
07:42क्योम खर्योम बगल खर्योम भूँ
07:56खर्यो May
08:05तुरी दियर पेंदे में यह से गायता, फिर वांपस्या कैसे पुछ गाजगा?
08:35फिर वही बोजगा, यह कैसे हो रहा है?
08:55ठीति कि में ईही बोजगा, में आधस्या कैसे में जिर वconom exec रहा है?
09:15कर दो कर दो कर दो
09:45जब कठी नाई छाई तु ही याद आया भटके राही को तुने रास्ता दिखाया तुने भक्तों का बेडा दार लगाया
10:01तेरी महिमा मेरे साई कान जान पाया ओं साई ओं साई ओं साई ओं साई ओं
10:31अग्या साउ में राजा महाराजाओं की बूल बूलयया की कानी सुनाया करते थे
10:43जिसमें कोई अगर एक बार फस जाये तो निकल नहीं पाता था
10:48खूंपिर कर वहीं पहुंच जाता था कहीं मैं भी वैसे ही बूल-बूलयया मैं तो नहीं फस गया हूं
10:55एफगेर
11:14कहां जा रहा है
11:16पहले इन सब के सामने अपनी हार स्विकार कर
11:22और बाद में जहा जाना चाहता है वाजा
11:25अरियोम
11:26बातों में वक्त गवाने वाले
11:30अक्सर कर्म से चूप जाते हैं सरकार
11:33और मैं कर्म करने में विश्वास रखता हूँ
11:38ए फकीर
11:46सरकार ने रुखने के लिए कहा है ना
11:49तो रुख कहां जा रहा है
11:55पीछा करो इसका रुख कोई साही के पीछे नहीं जाएगा
12:02और मैं भी देखता हूँ कैसे मुझे हटा कर जाता है कोई
12:06उन दोनों को संतान नहीं हो रही थी
12:20उन दोनों को संतान नहीं हो रही थी
12:32उस समय हमने तुझे गोद लेने के लिए उन्हें प्रोसाहिद क्या
12:36अगर उन लोगों ने थोड़ा और इंतिजार किया होता तो उनके जीवन में सिर्फ खरी होता
12:41बतानी किस का को ने तु जो ऐसे नं दिखा रहा है
12:44साइब
12:54साइब
12:58साइब
13:14तुम अकेले नहीं हो दद्दू
13:16कभी ऐसा मत सूचना
13:18कि तुम अकेले हो
13:41उमा
13:43क्या ये सच है
13:47किसीने मुझे बताया कि हमारा दद्दू घर छोड़के चला गया
13:51सोला आने सच है भाल-चंद्र
13:53सोला आने सच है तेरा बेटा चला गया तुम्हे छोड़कर
13:57शास्तरी जी जैसे महान विद्वान की बात ना मानकर
14:02ना मानकर एक पाखंडी पर विश्वास की अनत तुने अब भुगा जी अब तु अपने बेटे का मूँ कभी नहीं देख पाएगा
14:12यह दि शास्त्री जी के चरणों में घिर जाता तो हो सकता शास्त्री जी तुमें कोई निदान बताते उपाय बताते
14:21अब पस्ताए होत क्या जब चिडिया चुक गई खेथ नई उमा दिल छोटा मत करो तुम कहती थे ना साइंस सब ठीक कर देंगे तुम उन पर विश्वास रखो सब ठीक हो जाएगा
14:42सबूरी उमा सबूरी हाँ हाँ ठीक तो तब करेगा जब वो यहाँ होगा वो तो पीठ दिखा कर भाग गया
15:00उसे आभास हो गया था कि वो भविश्य को नहीं बदल सकता तो किस मू से रहता यहाँ
15:05आप लोगों की आँखों में धूल छोकर भाग गया वो
15:11अब तुम लोगों के भावनाओं के साथ खेलता था कब समझोगे
15:18तद्दू
15:27मुझे माफ कर दे कि मेने तुझे सच नहीं बताया तद्दू
15:49तद्दू मुझे माफ कर दे कि मेने तुझे सच नहीं बताया लेकिन मेरा विश्वास कर हमने कभी तेरे साथ कोई बेदबाव नहीं किया
16:03कभी कोई पक्ष बात नहीं किया हरी से जादा हमेशा तुझ से प्यार किया है
16:10शुकरिया साही दत्थू चल घर चल शांती से बैठके बात करेंगे
16:23मुझे कहीं नहीं जाना
16:24तो फिर और कहां जाएगा कहीं भी लेकिन आपके घर नहीं
16:31साही यह कैसी बाते कर रहा है
16:34साही आप कुछ भी कहें
16:37लेकिन मैं इनके घर वापस नहीं चाने हुआ है
16:40मैं आपके साथ इसलिए वापस आया क्योंकि मेरे पास जाने के लिए रास्ता नहीं था
16:48इसका मतलब ही है नहीं कि मैं इनके पास वापस चला जाओ
16:52अगर तुम भालचंदर और उमा के साथ नहीं रहना चाहते
17:03तो तुम्हें कोई विवश नहीं करेगा
17:07तुम्हें पुरा हक है इनसे अलग रहने का
17:22साई यहां क्या कह रहें
17:26अगर यह हमारे काथ नहीं रहेगा तो फिर कहा है और वो भी अकेले
17:32हाँ
17:34तथ्ड़ यह भी सोचने वाली बात है
17:40तुम्हार यह गलत नहीं कह रही है
17:42तुम अभी इतने बड़े नहीं हुए हो
17:45कि अकेले रह सको
17:48तुम आज अकेले उस चक्रवियों से निकल नहीं पाए
17:55और जिवन में ऐसे कई उतार जड़ावाएंगे
17:59उनका सामना कैसे करोगे
18:02साही आप सच खेर है
18:11लेकिन ये बात पकी है कि मैं इनके साथ वापस नहीं जाओंगा
18:18अगर तुम चाहो तो यहां द्वारका माई में रह सकते हो
18:25शायद आप लोगों ने तक तुके साथ न्याय नहीं किया
18:34इसलिए ये आपके साथ नहीं रहना चाहता
18:37इसे फिलहाल यहीं द्वारका माई में ही रहने दीजे
18:44यह आप क्या कह रहे हैं? हमने हमारे बच्चे के साथ क्या न्याय किया है?
18:54सुना नहीं आपने साही ने क्या खा?
18:58मुझे आपके साथ जाने की कोई जरूरत नहीं है
19:00मुझे अकेला छोड़ दीजी
19:02साही ऐसा क्यों बोल रहे हैं
19:06दद्दु को उसके परिव्यार से अलग करने के पीछे क्या मकसद हो सकता है?
19:12अमा, साही पर विश्वात रखो
19:25वो सब ठीक कर देंगे
19:27यह पाखन दी अवश्य कोई नया खेल खेल रहा है
19:40हरियोम
19:43आओ दुट्टू
19:47ए पाखंडी
19:55आब मैं समझा
19:58मुले शास्त्री जी की भविश्यवानी जूटी सिद्ध नहीं कर पाया
20:02तो माबाप को दोश देकर यह नया नाटक कर रहा है तू
20:10लेकिन सुन तेरा यह बहाना यहा काम नहीं करेगा
20:14मुले शास्त्री जी जैसे विद्वान के सामने तू कभी टिक नहीं पाएगा
20:19मैं तो केवल बेल को उसके हस्तित्व की पहचान कराने लाया हूँ
20:28चलो
20:33पैजानता हूँ ये भकीर हर संभव प्रयास करेगा दक्तु को उसके घर बेजकर शास्त्री जी को जूटा सिद्ध करें
20:49किन्तु इस बार इसे मैं जीतने नहीं दूंगा शास्त्री जी की भविश्यवानी सच होकर रहेगी हरियोम
20:58किन्तु प्रयास करें
21:17किन्तु भादा प्रयास करें
21:27ये फूल भी कितने अनोखे होते हैं न, खिलते पौधों पर हैं, और फिर कहीं और जाकर किसी व्यक्ति या मूर्ती की शोभा बढ़ाते हैं.
21:44पर कोई ये नहीं सोचता, कि जब इन्हें पौधों से तोड़ा जाता होगा, उस समय इन्हें कितनी तकलीफ होती होगी.
21:57लेकिन ये जहां भी जाते हैं, खुशियां ही बिखेरते हैं.
22:11दत्तु, तुम्हें भूख लगी होगी न? आज सुबह तुमने थोड़ा सा ही शीरा खाया था.
22:19केशव, जड़ा देखो तो खाने के लिए कुछ है?
22:29जी साहीं.
22:31केशव, जड़ा देखो तुमने के लिए कुछ होगी होगी होगी.
22:37के लिए कुछ होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होग
23:07साइन, आज तो खाने के लिए कुछ भी नहीं है, और नहीं कोई बनाने की समागती, साइन, क्या मैं घर से कुछ लेके आऊँ?
23:17नहीं, रहने तो, मेरे पास कुछ है, उससे खाना बन सकता है, मैं जब लगडी काटने जंगल गया था, तब मुझे जादूई पत्थर मिला,
23:37अब जादूई पत्थर डालने का समय आ गया है,
23:59साइ, मैंने ऐसे काई मजाक किया है, अब ही मजाकी कार रहना, फले पत्थर से खाना कैसे बन सकता है,
24:07साई, आ, एं,
24:11साई, आ, एं!

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