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  • 2 days ago
The most awaited show of Indian Television, Sankat Mochan MahaVali Hanuman begins with the story of Lord Ram and King Ravan's biggest battle. King Ravan's younger brother Vibhishan meets Jambuvant who is worried for Lord Hanuman, post war. Lord Krishna misses Lord Ram's Param Bhakt Hanuman and desires to meet him and sends Garud Dev with a message. Hanuman teaches an unforgettable lesson to Garud Dev. The most unforgettable moment comes when Hanuman meets Lord Ram.

#bhagati ,

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Transcript
00:00पुन्य के पक्ष में थे मर्यादा पुर्शुत्तम अख्मान श्रीराम और पाप का प्रतीक था आतताई राक्षस रामण
00:30बात प्रता यूग किये लंकेश रामण के अत्याचारों से मानोता त्राह त्राह करने लगी थी
00:36तब धर्म की रक्षा के लिए भगवान श्रीराम ने वानर सेना के साथ सागर पार जाकर रामण से संग्राम छेड़ दिया
00:46भगवान राम के अमोग बानों से रामण के प्रधान सेना पती जब मारे जाने लगे तो रामण सेना में सब और हताश अव्याप्त होगे
00:55इस विनाश से चिंतित होकर रामण ने विशालकाय कुंबकान को युद्ध कुमी में भेजा
01:02रूर कर्मा कुंबकान वानरों को गाजर मुली के समान खाने लगा
01:08इस विक्राल स्थिती को देख कर वीर लक्षमन ने भगवान श्रीराम से कुम्बकरन का अंत करने की प्राटना की
01:16धनुर्धारि श्रीराम ने एक वान से उसकी तख्षण भिजा गाली और दूसरे वान से उसका शिर्ष छेल दिया
01:25कुम्भकर्ण की परवताकार देख भूमी पर किरते ही वानर सेना में उल्लास की लहर दोड़ पड़ी और सब और जैघोश होने लगा
01:35अपने भाई कुम्भकर्ण की मृत्यू के पश्चात रामण के सम्मुख अंतिमाशा बची
01:41देवराजिंद्र को भी जीतने वाला उसका पुत्र मेगनाद
01:47धोर कर्मा मेगनाद विभिन अस्त्रशस्त्रों से वानरों का संगहार करने लगा
01:53उसके इस विक्राल पराक्रम से वानर से न विथित हो थी
01:58वो निशाचर इस पर ही नहीं रुका
02:00और अद्रशी होकर मायावी युद्ध करने लगा
02:04अद्रशी शत्रों के साथ हम कैसे युद्ध करें
02:08हम अधर्म नहीं कर सकते
02:10आज हमारा दिन नहीं है
02:12प्रभुश्री राम ने सर्वशक्टिमान होते हुए भी
02:15इस ने शाचर लिला का उत्तर नहीं दिया
02:17और तब युद्ध विशारत में एक नाद में
02:20ब्रम्हास्त्र का आवान किया
02:22ब्रम्हास्त्र के प्रभाव से तच्छनी
02:25समस्त चौसट करोडवानर सेना
02:28युद्ध घुम में माना सन्न होकर गिर पड़ी
02:30शेशावतार श्री लक्ष्मन सहित परात्पर ब्रम्ह के अवतार प्रभु रवननन्दन श्री राम भी
03:00ब्रम्हास्त्र के मतार कि कि ब्रम्हास्त resposta कि यूचिम油-ait
03:04झाल झाल
03:34कि अ कि अ
04:04रिक्ष्राज जामवत आप जीवित तो है विभीषन हनुमान जीवित हैना
04:24क्या का श्री राम
04:26हनुमान हनुमान जीवित है क्या
04:32आपका प्रश्न उचित नहीं है रिक्ष्राज
04:35पूछे श्री राम जीवित है क्या
04:38मेरा प्रश्न उचित ही है
04:41यदि हनुमान जीवित है
04:44तो श्री राम पर कोई संकट नहीं आ सकता
04:49संकट से उबरने के लिए
04:51जिस हसीम पर आकरम की आउशक्ता है
04:55वो केवल हनुमान के पास ही है, हनुमान के बिना हम लोग जीते हुए भी मिर्तक के समान है, और यदि संकट मोचन महा बली हनुमान जीवित है, तो ये मरी हुई सेना फिर से उठके लड़ेगी, और यद्ध जीत के रहेगी.
05:25कर दो जीत को मेरी हुए झाल ये मिर्मधोर से बेडाई। साहिगी तो अझालस।
05:55झाल झाल
06:25झाल
06:55झाल
06:56झाल
07:00झाल
07:05जन भरन विराज्यों सुबेशा, गानन कुंडल कुंचित केसा, हाथ बश्र और थ्वजा विराजै काने मोज जने हूसाजै
07:35जन भरन विराजै काने मोज जने हूसाजै
08:05जन भरन विराजै काने मोज जने हूसाजै
08:35जन जने हूसाजै
09:05लिशा लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा, लिशा,
09:35जाखी जाम बंती आपने ये दूनात के दर्शन किये क्या नहीं तो रानी सत्यभामा कल रात भर से तो वे आपके कक्ष में थे
10:05और प्रातकाल से उपासना कक्ष में है अच्छा चलिए देखते हैं
10:35प्रतीत होता है रभू की पुझाज तेर तक चलने वाली है
10:45प्रतीत होता है रभू की पुझाज तेर तक चलने वाली है
11:05प्रश नहीं नहीं उठता पुरुश उत्तम तो मेरे कक्ष में लौट आने के लिए
11:13स्वयम अधीर हो रहे होंगे अधीर मुझे तो ऐसा नहीं दिखता अधीर
11:31ओपासना के समय प्रियत्म के अधर उपर यह मुस्कवान कैसे कहीं यह मेरे कथन पर तो नहीं नहीं नहीं निश्चेती भगवान जनार्दन
11:42जनार्दन जामबंती की बाल बुद्धी पर मुस्कुरा रहे होंगे यह सत्या सद्यव अपने सौंदर्य के भीमान में चूर रहती है
12:03अधवन फिर मुस्कुरा रहे हैं कहीं मेरी वाचालता पर तो नहीं
12:09भगवान रासेश्वर के रहस्योको तो केवल नुक्मनी दीदी ही जान सेथी
12:18सिंदूरा रुण विग्रहां त्रिनय नाम मानिक्य माउलिस्पुरत्त तारा नायक शेखरां
12:27स्मितमुखी मापीन वक्षोरुहां
12:36पाणि भ्यामली पून रत्न चशकं रत्तोत्पलं विप्रतिं
12:39स्मितमुखी मापीन वक्षोरुहां
12:45पाणि भ्यामली पून रत्न चशकं रत्तोत्पलं विप्रतिं
12:51सौम्याम रत्न घट स्थरत्त चरणां ध्यायत परामं विकां
12:58अरुणां करुणा तरंगिताक्षिं
13:03गृत पाशाम कुष पुष्पवान चापां
13:09अनि मादी भी राप्रिताम मयं खए
13:15आह मित्ते वभिभावय भवानिं
13:22अरुणाम करुष्पवान चापां
13:52कि आई ये दीदी यहां पर आप ही की चर्चा हो रही थी अच्छा वो भला क्यों अज द्वार कानात उपास न करते हुए मंद मंद मुस्पुरा रहें
14:14लीजे तब आप भी आप लोग इन्हें जानते तो है मुस्काना तो हमारे प्रभू का सभाव है
14:32और सत्यवामा से अच्छा भगवान नारायन के रहत्या कौन जान सकता है
14:42क्यूं सत्यप्य है बट तालिये मत दिदी बताईये ना अरे मैंने देखा होता तो मैं कदाचित बता भी सकती थी और वैसे भी भगवान अनंत के मन में कप क्या चलता है अन्य कौन जान सकता है
15:06वो तो रहस्यों के सागर है
15:11लोग लगता है उनकी उपासना संपून हो गए उन्हीं से पूछते हैं
15:28अरे आप सब यहां
15:43मुझसे कोई अपरात तो नहीं हो गया देवियों
15:48प्राणवलब
15:53हम सब यहां आपके मुस्कान के रहस्य को जानने के जिक्यासा से पीड़ थैनाथ
16:00हमारी पीड़ा काप समधान कीजिये माधव
16:23आज चैत्र पून्निमा है हनुमान जयंती
16:30आजी के शुभ पर्व पर पवन पुत्र वीर हनुमान का जन्मोधा
16:39मैं उन्नी के स्मरण में आनंद मंगन था
16:45आनंद मंगनता शंकर सुवन केसरी नंदन तेच प्रताप महाजग वंदन
16:55जोधाय कुपाले चारी हनुमान अपार वल्शाली हनुमान
17:02क्यानियों में अग्रणी हनुमान परम योगी हनुमान पवन वेक से उड़ने वाले हनुमान
17:13एक चलांग में सौ योजन सागर पार कर जाने वाले हनुमान
17:18तंकत मोचन महाबली हनुमान
17:25मेरे प्रिय हनुमान
17:32उनकी हर लीला एक से बढ़कर एक रुमान चिकारी और अनन्द दायक है
17:46अन्जनी नंदन हनुमान की केट्टी सदय बढ़ती रहे
17:51अस्तु उनके जैसी अनन्य भक्ती दूलव है
17:57सत्य कहा देवी
18:02मेरे हर भक्त में कभी न कभी आंकार आ ही जाता है
18:11किन्तु है अनुमान में नहीं
18:21कि वे अहंकार शुन्य है आहा अनुमान
18:26कि इतना समय बीद गया अग्त हनुमान के दर्शन कियो है
18:35कि वामी यह हम लोग उनके पुना दर्शन नहीं कर सकते
18:41कि आपने मेरे मन की बात भापली प्रिये
18:44मेरा भी मन प्रिये हनुमान को देखने के लिए आतुर हो रहा है
18:50और आज तो अच्छा अफसर भी है
18:56कि इसी योग्य व्यक्ति को ही यह शुब कारे सौपना होगा
19:02पक्षी राज गरूर
19:14हुआ
19:16हुआ
19:18हुआ
19:20हुआ
19:22हुआ
19:25हुआ
19:27हुआ
19:29तो
19:33हुआ
19:36कि इसी चृआ
19:40कि इसी यह जवत्व
19:43कि इसी अदर्ब श्ड़्य
19:47कि भगवान का ये भवन मेरे द्वारा रक्षित है और जब तक इस द्वार पर मैं स्थित हूं किसी भी आवांचित व्यक्ति का प्रवेश असंभव है
20:15चाहे वे स्वयम शचिपति इंड्र या पितामा ब्रह्मा ही क्यों ना हो और आप तो जानते ही हैं इस समस्थ ब्रह्मांड में मैं सर्व श्रेश्ट अस्त्र हूं
20:27आप मेरा उलंधन करके भीतर नहीं जा सकेंगे यदि ऐसी बात है तो आप भी सुननीजी अस्त्र सुदर्शन पूरे ब्रह्मांड में मेरी भी वेग और गती की कोई तुल्ला नहीं है
20:39मैं समस्थ चलाचर के स्वामी का भार वहन करता हूं यदि मैंने अपना भार आप पर डाल दिया तो आप हिल भी नहीं सकेंगे यदि ऐसा ही है तो आप अपने बल की परिक्षा कर सकते हैं
20:51पर ध्यान रहे मेरी मारक शक्ति के सम्मोख इंद्र का वज्र भी वियर्थ हो गया था
20:58भग्षी राज को प्रवेश की अनुमति है मित्र सुदर्शन
21:04कि वागत है पक्षी राज करूड
21:28सब कुशल तो है पक्षी राज आपके इस सेवक के लिए अकुशल असंभव है प्रभू
21:40क्या आग्या है भग्वन आज प्रिय हनुमान से मिलने की दीवर आकांशा हो रही है
21:51क्या आप जाकर शीक्री उन्हें यहां ले आएंगे जी प्रभू
21:57आप किस हनुमान के चर्चा कर रहे हैं स्वामी
22:10आप हनुमान को भूल गए वी नितानंदन
22:16मैं उसी हनुमान की बात कर रहा हूँ
22:25पाले काल में ही जिसने तपते हुव सूरज को लाल फल समझ कर निगलने का प्रयास किया था
22:32जिसके भय से कांपते हुए भयंकर राक्षस राहू तेवादी पती इंद्र के पास भागता चला गया था
22:42वही हनुमान जिसने देवराज इंद्र के वाहन गजराज एरावत को एक मन भावन खिलोना समझ कर यत्र दत्र उचालना अरंब कर दिया था
22:56वही हनुमान जिसने रावन की सोने की लंका को एक घड़ी में ही जलाकर राक कर दिया था
23:06मैं संकट मोचन महाबली हनुमान की बात कर रहा हूँ
23:14स्मरन आया पक्षी राज
23:21जी प्रभू
23:23किन्तु त्रेता युक से अब तक कई लाख वश्वयतीत हो चुके है
23:31क्या वो हनुमान अभी तक जीवित होंगे
23:36हमारे हनुमान चिरन जीवी है
23:40कलपांथ तक वो अपने इसी केशरी नंदन स्वरूप में रहेंगे
23:45यदि ऐसा है तो इस धरा पर वो कहीं पर भी होंगे
23:53मैं अपनी पैनी द्रिष्टी से उनका अन्वेशन करके शीगराते शीगर आपके समक्ष उपस्तित करता हूँ
24:01आपकी पैनी द्रिष्टी पर मुझे कभी भी संदे नहीं था वैंते
24:08परन्तु आपको इतना परिश्रम करने की आवशक्ता नहीं है
24:17आप सीदे किम पूरुश्वर्ष में जाएं
24:20बहाँ पर हेम कुट परवत के जिस पी शिकर पर आपको राम नाम का निरंतर जाप उठता सुनाई दे
24:30भक्त शिरोमनी हनुमान आपको उसी परवत पर मेरे ध्यान में आसीन मिलेंगे
24:38आप शीगरियोंने मेरे समीप ले आई है यदि यह कारे आपने पवंदेव को सौपा होता तो कताजित विलंब की समाव न थी
24:50नहीं गया और यह आया हनुमान के साथ
24:53आपका वेग तो अतुलनी है पक्षीरा आग्या देप्रबू
25:08और सबसे अच्छी बात तो यह है कि आपको अपने वेग का दिल मात्र भी अहंकार नहीं
25:38वेगल प्रयूस प्रोबूस प्रु़स प्रूज्ची कि समेगे की स्वाप्यरा वेगया आपको अब तो यह है कि साथ
25:52कर दो कि स्वा आपको
25:57स्वेगर
26:00स्वेगर
26:01स्वेगर
26:02झाल, झाल, झाल, झाल
26:32झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झाल, झा
27:02रामावतार के समय एक बार देखा तो था इन्हें
27:07वही वानर अकृती है शरीर से कैसा तेज निकल रहा है
27:12जय श्री विलाण
27:15आश्चर्य है इतना समय बीच जाने पर भी
27:20यह प्रतीत होता है जैसे अभी योबन में प्रवेश किया हूँ
27:26जय श्री विलाण
27:29हे वानर शेष्ट मैं विनिता पुतर गरूर हूँ
27:33लोग प्रकाशक भगवान सूर्य के सार्थी और उन मेरे अग्रज है
27:59जय श्री राम नाम में विखन डालने वाले कौन हो तुम
28:17मैं मैं कशिपुत्र गरूर्ण
28:22जय श्री राम क्षमा करें
28:32जय श्री राम क्षमा करें
28:34पक्षी राज हे वैंते आपको कोई शती तो नहीं पहुंचें
28:39मैं जय श्री राम क्षमा करें
28:46पक्षी राज हे वैंते आपको कोई शती तो नहीं पहुंचें
28:56मैं जगतपती का बहार उठाता हूं मुझे शती पहुचा सके ऐसी कोई शक्ती संसार में नहीं है
29:03निसंदे आपकी शक्ती से कौन परिचित नहीं है
29:09आप भगवान के प्रिय भक्तों में से हैं आप पर उनकी विशेश कृपा रहती है
29:15आज आपके पुनह दर्शन करके रिदय शीतल हो गया
29:20आईए कुछ देर राम नाम का संकिर्तन करते हैं
29:28है श्री राम राम रभनंगरा दरा मुटा सिरा
29:34राम यह संकिर्टन करने का समय नहीं है भग्वान श्रीक्रशन ने आपको तक काल
29:42ले आने का आदेश दिया है
29:44किस ने आदेश दिया है द्वार कधीश यदुकुल भूशन हमारे स्वामी श्री कृष्ण ने
29:57मुझे उनसे क्या काम क्या काम वे परात्पा भ्रम गुलोग के स्वामी श्री कृष्ण है
30:07क्षमा करें मैं तो अपने प्रभू श्री राम का दास हूँ उनके अतिरिक्त मैं किसी और को नहीं जानता है
30:20हे वानर चिरंजीविया पवश्य हो गए है किन्तु आप निरे वानर ही रहे
30:28देखिए स्विच्चा से चलिए अन्यथा अन्यथा अन्यथा अन्यथा आपको बांध कर ले जाने के लिए मेरे पास पाश भी हैं बोलिए चलेंगे की नहीं हो ये सोही जो राम रची राखा बहुत हो गया लगता है अब गरुड़ पाश का प्रयोग करना ही होगा
30:55जाए श्री राख
31:25पन्यथा अन्यथा चलिए पन्यथा अन्यथा लेए अन Δट
31:45जै श्री राम
32:15उन्होंने आने से मना कर दिया नाथ आप तो उनके गुण गाते नहीं थक रहे थे किन्तु आपके भग्द शिरोमनी तो बड़े ही एंकारी सिद्ध हुए
32:28भूल मेरी ही है आप अनुमान से जाकर कहिए कि श्री राम उनका स्मरण कर रहे है
32:39स्वामी स्वामी में बड़े ही उद्धंड है निश्चिंत रहे पक्षी राज राम का नाम सुनकर वे दोड़े चले आएंगे और यदी ना भी आए तो इस बार आप उन्हें पल पूर्वक लिए आईएगा
32:59जैसे भी आपके बल और गती के आगे कोई क्या ठहरेगा पक्षी राज
33:08स्री राम
33:27स्री राम
33:31स्री राम
33:34है कपिवर प्रवू शीर राम दोहर का मैं आपका स्मरण कर रहें
33:44कर दो
33:47है
33:51हुआ है
33:55कर दो
33:59है
34:00हुआ
34:02आप धन्य हैं पक्षी राज मेरे प्रभु श्री राम का संदेश लाने वाले हैं विंते आप सदेव प्रभु के प्रिय बने रहें
34:19जल श्री राम
34:28जल श्री राम
34:49प्रणाम सूर्यदेव
35:19राम लगन जीर आवर बसेया
35:21सुष्वारूप घरिसी अहीं तिखावा
35:28ठिकदरूप धरि लन्पे जगावा
35:30बिभी मरूप धरि असुर सहारे
35:32राम जंग्र गे काज समारे
35:34कमाने क्या नगुनसाकर जये
35:37का पेसर देख फुलुप पुजाकर जये
35:39कि दुमाने क्या नगुवसा करे जाए का पेसे लोग को जा गरे जाए
36:03ए नाथ, मो कम पा रहा है
36:07सभड, टोल क्यों रही थी प्रभू?
36:09किन्तु प्रभू और रोकमनी दिदी पर कोई प्रभाव नहीं हुआ
36:13प्राणवल्लप, कहीं आपने असा में प्रले लीला तो नहीं हारम कर दी
36:23नहीं प्रियतमा
36:27ना तो बुकम पा रहा है और ना ही उप्तलै
36:33तो फेर?
36:35भक्त शीरोमणी
36:39आंजनय हनुमान आ रहे हैं
36:43प्राणवल्लप
36:47भक्त शीरोमणी
36:50व्राणवल्लप
36:54रहे बुटमान
36:57व्रीक्त
36:59झाल झाल
37:29प्रवेश वर्जित है
37:59प्रणाम करता हूँ आश्ट शिरोमनी
38:02मैं केसरी पुत्र हनुमान हूँ
38:07रगुकुल तिलक प्रभुश्री राम का एक तुछ दास हूँ
38:13आप कोई भी हो यहां किस प्रयोजन से आये हैं?
38:18मुझे मेरे स्वामी ने बुलाया है
38:20तो यहां क्यों आये हो?
38:22क्या जानते नहीं?
38:24यह यदुकुल पालक श्री कृष्री करिशन का राज प्रसाद है?
38:27होगा
38:28मेरे प्रभु ने यही आदेश दिया है
38:32व्यर्थ की बातों के लिए मेरे पास समय नहीं है
38:34चलिए जाईए यहां से
38:37स्वामी की आज्या का पालन किये बिना भक्त की कहां गती?
38:45मुझे भीतर जाना ही होगा
38:47मुझसे हट? अब देखे मेरा उग रूप
38:51हो यह सोही जो राम रची रहा था
39:21मुझसे हमेर लेपी यहां सॉप
39:38म् जाइब टूप ग्या नonne, बेसाधि बुछा गर चे
39:43तरह यहिए लुप जढ़ा मेरे
39:45मी जाइब शोप
39:47मुथ ऐसे हम इंदान आटमरा
39:48क्मुझ मुदय था-चे
39:49एच्री पुत्र वाल्सुत Gu histoire के अच्र verein
40:11आपत्र पुत्रनम सुत्र कुल हुज-धियर धर दुष
40:17जैनुमान निग्यार में तुझे साथ करें जाए पपी सती कुलो के उचा गरें
40:47कुलो के उचा खिरा लोगाद़नि ऑप जिग्यार में वाम आति का कि उचा हो जाए?
41:06झाल झाल
41:36महाबली हनुमान के लिए अब मुझे राम रूप धारन करना होगा
42:06झाल झाल
42:36मुझे राम
42:41झाल झाल
43:11झाल झाल
43:41झाल झाल
43:46झाल झाल
44:16झाल झाल झाल झाल झाल
44:23स्वामी रामो मत्सखा रामुचंद्रह
44:31सर्वस्वम्मे रामुचंद्रो दयालू
44:39नर्निन्यम जाने नजाने न जाने लोगा भीरामं रणरंगधिरं एडेडैं।
44:48लोकाभिरामं रणरंगदीरं राजीवुनेत्रं रघुवंशनाथं
45:03कारुण्यरूपं करुणा करंतं श्रीरामचंद्रं शरुणं प्रपधि रामाय रामभत्राय रामचंद्राय वेधसे
45:28रगुनाथाय नाथाय सीताय अपत्ये नमाः
45:58कि अन обяз अधिन जस सक्व庫फभाब्शोंच
46:04चलो कि अलीरे रामचंद्राय रामाचंदीरं
46:10जसते बासब होले रामचंद्राय रामचंद्र� knocking
46:16कर दो कर दो
46:46कि नाथ मैं निरंतर आपकी वंदना करता हूं आपके चरणों का ध्यान करता हूं
47:15पर आज आपके साक्षात शुद्ध चरण कमल से तुलसी की सुगंध से दास का रिदय त्रिप्त हो गया प्रभू
47:27इतने वर्षों पश्चात तुम्हें देखकर मेरा रिदय भी गदगद हो गया प्रभू
47:43मेरे लिए क्या देश है प्रभू बच सनुमाद मुझे यहां द्वारका में देखकर तुम्हारे चित्त में कोई जिख्यासा थो नहीं उठ रहें
48:03या कोई और भी बात यदि मन को व्यत्यत कर रही हो तो संकोच ना करो पूछ लो प्रभू आप संपूर्ण चराचर जगत के स्वामी हैं
48:27आप तीनों लोक में हैं तीनों कालों में हैं सभी समय सभी स्थान पे उपस्थित रहते हैं
48:37आपके कहीं भी होने में आश्चर्य कैसा
48:44पर माता सीता कहीं दिखाई नहीं दे रही और ये आपके समीप ये सेवी का कौन है
49:08कौन है
49:38कर दो कर दो
50:08कि माता सीता पुत्र का प्रणाम स्विकार करें
50:23तुम्हारी रखुपती भक्ती निरंतर बढ़ती रहे पार
50:38कर दो कि कर दो कर दो
50:50झाल झाल झाल

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