नौकरी या व्यापार - आध्यात्म दृष्टि से

  • 3 months ago
जब जीवन में ऐसे संजोग आते है जिससे हमें यह जब जीवन में ऐसे संजोग आते है जिससे हमें यह समझ नहीं आता कि हमें नौकरी करनी चाहिए या व्यापार, तब हमें निर्णय किस प्रकार लेना चाहिए?
Transcript
00:00मैं काफी सालों से जॉब कर रहा हूँ, अब अभी हमेशा कनफ्यूज रहता हूँ कि जॉब करो या बिजनेस करो, मैंने बिजनेस भी स्टार्ट किया था, बढ़ वो ठीक से चला नहीं, और हमेशा एक डर बना रहता है कि सक्सेस्प्वुल हो गया नहीं हो गया।
00:14मगर जॉब में पैसा मिलता है कि नहीं मिलता है, अच्छा?
00:17जॉब में बहुत कम मिलता है, बिजनेस में सफलता तो नहीं मिली, अविडेंस अभी पॉजिटिव नहीं आ रहा है।
00:24नहीं आ रहा है।
00:25हाँ तो अभी वैट करो, वापस जॉब हमारी चालू रखो, वापस संजोग मिलें तो ट्राय करने हो।
00:30फैसला लेने के लिए भी आगे बीचे, आगे बीचे करता हूं, हर फैसला मेरा गलत होता है, इसा क्यों सर्व?
00:35अच्छिली क्या है कि गलत होता है, इसका मतलब हमारा रात का टाइम चल रहा है।
00:41और गलत दिसिजन लेंगे तो भी अच्छा हो गया, तो समझ लेंगे दिन का टाइम सुरु हो गया।
00:46पाप कर्म का फ़ल आता है, तो अच्छा डिसिजन भी संजोग विगाड देते हैं, और पुण्य का उदई होईगा, तो गलत डिसिजन में भी फाइदा हो जाएगा।
00:55तो ये डिसिजन लेना बुद्धी कर्म अनुसारी नहीं है, और पुण्य पाप के हिसाब से डिसिजन लेती है, तभी समझने का हमारा बुरा टाइम चल रहा है।
01:04हमारा ही मैं बताओ, मैंने 75 में एंजिनेरिंग पुरा किया, पाद में 3-4 मेना जॉब किया, 6 मेना जॉब किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे
01:34पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे �
02:04पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे पुरा किया, तो मुझे �