मुक्ति - ज्ञानी के ज्ञान से

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मुक्ति पाने के लिए क्या करना चाहिए? सच्चा ज्ञान या ज्ञानी मिले है यह कैसे पता चल सकता है? क्या हम अपने बल पर संसार से मुक्त हो सकते है? मुक्ति पाने के लिए इस मार्ग के ज्ञानी की कृपा पानी क्यों जरुरी है?
Transcript
00:00आत्मज्ञान प्राप्त किये बिना इस संसार में मुक्ति कभी न हो सकते हैं।
00:09तो आत्मज्ञान प्राप्त कहां से करेंगे।
00:12तो आत्मज्ञानी होना चाहिए।
00:16उन्हीं के कुरुपा से ही आत्मज्ञान प्राप्त हो सकता है।
00:21संसार में हम अनन्तकाल से भटके हैं।
00:27मैं कभी ग्यानी नहीं मिले, आत्मा का घ्यान नहीं मिला।
00:35मिलता था तो फिर इस संसार में हम अवश्य मुक्ति पाके
00:41जन्म जन्मांतर के फेरे से छूट जाते थे।
00:45मैं नहीं छूटे, वो ही बताता है कि हमें सच्चा घ्यान नहीं मिला।
00:52एक संसार में भी हमें एरपोर्ट जाना है, तो कोई,
00:57हाँ, बस चले जाओ इधर से, हम जाये, तो वो सच्चा घ्यानी होगा,
01:02तो फिर, वो लेगा, मेरी गाड़ी में बैठ जाओ, आपको मैं पहुचा देता हूँ।
01:07इन्हों तो बोलेगा, इधर से उधर जाओ, वो बोलेगा, इधर नहीं,
01:10आपस आओ, वो पीछे है, सच्चा घ्यानी नहीं मिले,
01:14तो भटक भटक करते रहेंगे।
01:16संसार में भी कोई चोटी सी भी चीज पानी है, तो भी उसका घ्यानी होना चाहिए।
01:23बच्चे को भी एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक, एक,
01:53बेंगल है, तो बेंगल हरी हो गई, तो लोग क्या बताएंगे, इसमें कॉपर जादा है,
01:59काली हो गई, तो वही सिल्वर जादा है, तो उसको भी सुधारना है, सोना,
02:07तो कोई हम लोहार के पास लेके जाएंगे, तो नहीं कर सकेगा, सोनार के पास लेके जाओ,
02:13उसको सोना तत्व का गुण जानते है, कॉपर के, सिल्वर के गुण जानता है,
02:19कैसे उसको सेपरेट करना, उसके पास नौलेज्ज है, वो अनुभवी है,
02:24वो प्रयोक से सोना अलग करके देगा, कॉपर, चांधी अलग करके देगा,
02:31तो ऐसे सोना तत्व को जानने वाला सोनी, ऐसे आत्मा तत्व को जानने वाला घ्यानी, घ्यानी की जरुवत है,
02:41और सचमुच, बेंगल में, बेंगल जिन्दा होगी, वो लेगा, मैं बेंगल हूँ, मैं काली हो गई, मैं हरी हो गई,
02:49तो करे, नहीं अघ्यान है, तु सोना भिगड़ा ही नहीं, तु अवस्ता है, बेंगल तो अवस्ता है, तु तत्व सरुप से सोना ही है,
02:56ऐसे देह में भी जड़ तत्व है, अनात्मा तत्व है, आत्मा तत्व है, मिक्ष्चर हो गया है,
03:03तो मिक्ष्चर में ऐसे ही लगता है, मुझे भूक लगती है, मैंने खाया, मुझे तब्यत भिगड़ गए,
03:07शरीर की तब्यत भिगड़ती है, आत्मा की तब्यत भिगड़ती ही नहीं, आत्मा अवीनाशी है, आत्मा मरता ही नहीं, मेरा बुढ़ापा हो गया, अभी मैं मर जाओंगा, ये सब भ्रांती है,
03:18और घ्यान, द्रिष्टी मिली, तो जागरती सुरू हो जाती है, अरे, ये मेरा स्वरुप नहीं, नहीं तो शुधाक्माओं अवीनाशी हूं, शाश्वत हूं,
03:28अवस्था का रुपांतर होता है, भूख लगती, खाएगा, संडास जाएगा, जियेगा, मरेगा, ये सब भ्रांती का स्वरुप है, मेरा स्वरुप नहीं,
03:38तो तत्वद्रश्टी मिली, तो यहां ही मुक्ति सुरु हो जाती है, और वो तत्वद्रश्टी लाएगे कहां से, अनुभवी ज्यानी से, तो ज्यानी का ज्यान से मुक्ति होती है,
03:53अज्यानता से, संसार में अज्यान मिला है, उससे हम बंदन बुगत रहे हैं, और ज्यानी का ज्यान मिला, तो इसी देह में, इसी संसार में, इसी फैमिली में रहके भी मुक्ति, यहां ही अनुभव हो सकती है, निरंतर मुक्त दशा, टैंशन नहीं, चिंता नहीं, रागव
04:23पहले इतना ही ज्यान जरूरत है, मैं खोद कौन हूँ, करनेवाला कौन है, हमें तो
04:29लोग संसार में सिखाते हैं, यह करो वो करो, यह करनेवाला कौन नहीं है, आप ही करना
04:34आप कर सकते हो, तो मुझे एक उपवास नहीं होता है।
04:37तो क्यों नहीं होता है, ये छे अपवास क्यों कर सकता है।
04:40वो समझ में नहीं आता है, कर्मों के आधार से हो रहा है।
04:43उसमें हमारा कर्तापन नहीं है।
04:46तो फिर हमारा कर्तापन क्या है, किस में है,
04:50हमारा सरुप क्या है, वो सरुप क्या है समझने के लिए,
04:53करने की जरूरत नहीं है, उसका घ्यानी होना चाहिए।
04:56ये सोना है, ये पीतल है,
04:59तो कोई दिखाने वाला होगा सच्चा अनुभवी,
05:02ये बोलेगा, ये सोना है, ये पीतल है,
05:06उसके लिए करने का कुछ नहीं है,
05:09अनुभवी घ्यानी की जरूरत है।
05:12जब तक घ्यानी नहीं मिले,
05:15वहाँ तक मुक्ति पाना महां मुश्किल।
05:18घ्यानी, यानि स्रिमद राजचंडर जैसे घ्यानी पुरुष हो गए,
05:23क्रिश्न भगवान जैसे हो गए,
05:26सभी ने एकी बात बताई, घ्यानी को ढूंडो,
05:29घ्यानी और मेरे आत्मा में कोई अंतर नहीं है।
05:32घ्यानी मिलेंगे, तो मोक्स,
05:36खिच्चडी पकाने से भी अधिक आसान है।
05:41और घ्यानी नहीं मिले,
05:43तो करोड अवतार से भी कितना भी करोगे,
05:46तो भी मुक्ति असंभव है।
05:49यह घ्यानी की ज़रूर्द है, उसको भी ढूंड रहो।
05:53मुझे घ्यानी कहां से मिले?
05:56घ्यानी मिलेंगे, तो मुझे मुक्ति उनकी कृपा से होके ही रहेगी।