मृत्यु का भय

  • 3 months ago
मृत्यु के भय से कैसे बहार निकल सकते है? आत्मज्ञान पाने से मृत्यु के भय से कैसे मुक्ति प्राप्त हो सकती है?
Transcript
00:00मुझे बढ़त्यों से बहुत वाहिन ही पढ़ा है, मतलब मरने साथ कयसी जो, मरन सुत्य कैसी होगी, ये परीजान क्या होगा?
00:06आत्मा मरने वाला होगा की नहीं मरने वाला होगा?
00:09आत्मा अभिनाशी है, शाश्वत है, वो ही हमारा सरुप है.
00:13और इसे होता है मैं मरने क्वाद कहाँगी, ख्या होगा मेरा?
00:19इसका मतलब आप शाश्वत हो, देध छुटेगा, आप तो हैं, एह देध छोड़के दुसरा देध मिलेगा.
00:24तो हम तो हैं, ये देध छोड़के दूसरे देध में जाते हैं.
00:27तो यह हम कायम के हैं, वो अनुभव करना है।
00:30और ग्यान के बाद हमें ये भी समझ में आता है कि हमारा डेश्टिनेशन क्या है?
00:36संसार में अभी बेटे के वहां बेटे होके आना है या संसार में सिर्मोक्ष जाना है?
00:43सिमन्दर स्वामि का शरण प्राप्त करें और मोक्ष कती पाएं, वो दे हो जाता है.
00:48और एक-एक संसारी सबन को, राग, द्वेश, मोको समता भाव से पूरा करके एकी लक्ष रहता है कि अभी मोक्ष जाना है,
00:56सिमन्दर स्वामि के शरण में जाएं, महाविदेक शेत्र में, वहाँ से मोक्ष कती पाएं.
01:01तो यह जब लक्ष रहता है, तो मुर्द्यू का भी डर नहीं रहेगा, अभी यह देह छोड़के उन्हीं के पास पहुँचना है.
01:10तो यह समझ, पहले ज्ञान लेने के बाद जागरती आ जाएगी, मैं शुद्धा आत्मा हूँ, अभी नाशी हूँ, मन वचन का अभी नाशी है.
01:19बाद में, और यहां तो जीनों ने ज्ञान लिया है, जीनों ने, उनके सब में अनुभव यह है कि,
01:27जो घर में ज्ञान लिया हो व्यक्ति का मृत्यू हुआ, तो समाधी मरन होता है.
01:31संपुर्ण समाधी दशा.
01:34मरने की कोई भई नहीं, दुख नहीं, वेदना नहीं, शोक नहीं, आसपास वाले को भी दुख नहीं.
01:41वो भी बोलते कि, नहीं, इनको समाधी दशा है, आनन में है,
01:44मृत्यू, वेदना, शोक वाला नहीं लगता है, मृत्यू महुत्सव जैसा लगता है.
01:49तो मोक्षकति पाएंगे अभी.
01:51नहीं, आपको भी यह प्राप्त हो जाएगा, क्या?