जानिए परशुराम और कर्ण के बीच की कहानी, जिसमें परशुराम ने क्यों दिया था कर्ण को श्राप। यह वीडियो आपको वे रोचक और गहराई से छूने वाले किस्से बताएगा जो हमारे धार्मिक ग्रंथों में उपलब्ध हैं।
आप भी जुड़ें और इस अद्भुत पौराणिक कथा को सुनें, साझा करें, और अपने विचार व्यक्त करें।
#परशुराम #कर्ण #पौराणिककथा #हिंदूधर्म #कहानी #श्राप
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00:00कर्ण जन्म से क्षत्रिय था पर वह रथ चालाक के घर पाल कर बद्धा हुआ था
00:05इसलिए वह गुरुद्रोण का शिष्य नहीं बन पाया क्यों वे सिर्फ क्षत्रियों को शिक्षा देते थे
00:10फिर कर्ण एक नकली जनेऊ पहन कर महान गुरु परशुराम के पास गया जो ब्राह्मणों को शिक्षा देते थे
00:17लेकिन जब कर्ण की सच्चाई परशुराम को पता चली को इसका नतीजा कर्ण को भुगतना पढ़धा
00:24महा भारत काल में युद्ध कला में सिर्फ मल्ल युद्ध ही नहीं होता था बल्कि सभी तरह के शस्त्रों को चलाना भी सिखाया जाता था
00:32इसमें खास रूप से तीरंदाजी पर जोर दिया जाता था
00:36कर्ण जानता था कि परशुराम सिर्फ ब्राह्मनों को अपने शिष्य के रूप में स्वीकार करेंगे
00:42सीखने की चाहत में उसने एक नकली जने उधारन किया और एक ब्राह्मन के रूप में परशुराम के पास चला गया
00:49परशुराम ने उसे अपना शिष्य बना लिया और वो सब कुछ सिखा दिया जो वे जानते थे
00:55कर्ण बहुत जल्दी सीख गया किसी भी अन्य शिष्य में उस तरह का स्वाभाविक गुण और क्षमता नहीं थी
01:01परशुराम उससे बहुत खुश हुए न दिनो परशुराम काफी बूर्हे हो चुके थे
01:07एक दिन जंगल में अभ्यास करते समय परशुराम बहुत ठक गय उन्होंने कर्ण से कहा वे लेटना चाहते हैं
01:15कर्ण बैठ गया ताकि परशुराम कर्ण की गोद में अपना सिर रख पाएं फिर परशुराम सो गय
01:21तभी एक खून चूसने वाला कीट्टा कर्ण की जांग में घुस गया और उसका खून पीने लगा उसे भयंकर कश्ट हो रहा था और उसके जांग से रक्त की धार बहने लगी
01:32वह अपने गुरू की नींद को तोध्धे बिना उस कीट्धे को हटा नहीं सकता था लेकिन अपने गुरू की नींद को तोध्धना नहीं चाहता था धीरे धीरे रक्त की धार परशुराम के शरीर तक पहुंची और इससे उनकी नींद खुल गई
01:46परशुराम ने आँखें खोल कर देखा की आसपास बहुत खून था परशुराम बोले ये किसका खून है कर्ण ने बताया यह मेरा खून है फिर परशुराम ने कर्ण की जांग पर खुला घाव देखा खून पीने वाला की धधा कर्ण की मांस पेशी में गहरा प्रवेश क
02:16इतना दर्द सेह कर भी स्थिर बैठे रहना ऐसा तो कोई क्षत्रिय ही कर सकता है
02:21कर्ण बोला हाँ मैं ब्राह्मण नहीं हूँ कृपया मुझ पर क्रोधित नहूं
02:28परशुराम अत्यधिक क्रोध से भर गए वे बोले तुमको क्या लगता है तुम एक जूठा जनेव पहन कर यहां आ सकते हो और मुझे धोखा देकर सारी विद्या सीख सकते हो मैं तुम्हे श्राप देता हूँ कर्ण बोला
02:41हाँ मैं एक ब्राह्मन नहीं हूँ पर मैं क्षत्रिय भी नहीं हूँ मैं सूत पुत्र हूँ मैंने बस आधा जूठ पोला था पशुराम ने उसकी बात नहीं सुनी उस स्थिती को देखते ही वे सत्य जान गए कि कर्ण एक क्षत्रिय है वे बोले तुमने मुझे धोखा दि
03:11कर्ण उनके पैरों में गिरकर दया की भीक मांगने लगा वह बोला कृपया ऐसा मत कीजिये मैं आपको धोखा देने की नियत से नहीं आया था बस मैं सीखने के लिए बैचैन था और कोई भी सिखाने के लिए तैयार नहीं था सिर्फ आप ही अकेले ऐसे इंसान हैं जो किसी
03:41श्राप वापस नहीं ले सकता पर मैं देख सकता हूँ कि तुम्हारी महत्वा कांक्षा राजपाट पाने या शक्तिशाली होने की नहीं है तुम सिर्फ यश चाहते हो और तुम्हें यश मिलेगा लोग हमेशा तुम्हें एक यशस्वी योध्धा की तरह याद करेंगे प
04:11खुद के सामर्थ्य को ले कर भी बहुत खुश था पर वह इसे कहीं प्रदर्शित नहीं कर सकता था क्योंकि सिर्फ ख्षत्रिय ही युध्ध या प्रतियोगिता में भाग ले सक्ते थे
04:21वह आँखें बंद करके किसी भी चीज पर निशाना लगा सकता था पर अपने कौशल को प्रदर्शित नहीं कर सकता था उसे बस यश की चाहत थी और उसे यश प्राप्त नहीं हो रहा था उदास होकर वो दक्षिन पूर्व की तरफ चला गया और समुद्र के किनारे जाकर
04:51मिला पर उसकी भूँख और बरह गई कुछ हफ़ते साधना करने के बाद उसकी भूँख बहुत
04:57ज्यादा बरह गई इस स्थिति में उसने जाधियों में एक जानवर देखा उसे लगा कि वह एक हिरन होगा उसने अपना तीर और धनुश निकाला और आँखें बंद करके तीर चला दिया उसे तीर के निशाने पर लगने की आवाज सुनाई दी वह मान से अपनी भूँख
05:27डरते हुए उसने गाए की ओर देखा और गाए ने उसकी ओर कोमल नेट्रों से देखा और फिर हमेशा के लिए अपनी आँखें बंद कर ली वह व्याकुल हो उठा उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे तभी एक ब्राह्मन आया और मृत गाए को देखकर विलाब करने ल�
05:57होगे तब तुम्हारा रत इतना गेहरा धंस जाएगा कि तुम उसे बाहर नहीं निकाल पाओगे और तुम तब मारे जाओगे जब तुम असहाई होगे ठीक वैसे जैसे तुमने इस असहाई गाए को मार डाला करण उसके पैरों में गिर कर बोला कृपयाक शमा करें मैं ब
06:27मुझे सबसे अधिक प्रिय थी मेरी मृत गाए के बदले दूसरी गाए देने के इस प्रस्ताव के लिए मैं तुम्हें और भी ज्यादा श्राप देता हूँ
06:34दोहरे श्राप के साथ करण आगे बरहा उसे पता नहीं था कि उसे कहां जाना चाहिए वह धूल के एक करण पर भी अपने बाणों से निशाना साथ सकता था पर इसका फायदा क्या था वह ख़त्रिय नहीं था कोई भी उसे प्रतियोगिता में शामिल होने नहीं देता यु