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भगवान शिव की भक्ति और उनकी कथाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका नंदी, उनके वाहन, निभाता है। इस वीडियो में, हम जानेंगे कि नंदी कैसे बने भगवान शिव की सवारी और इसका रहस्य क्या है। यहाँ हम भगवान शिव के वाहन की उत्पत्ति, महत्व, और उपासना के बारे में रोचक तथ्यों को खोजेंगे। इस वीडियो को देखकर आप भगवान शिव की उपासना के बारे में और भी जानकारी प्राप्त करेंगे और आपकी आस्था मजबूत होगी।

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00:00हिंदू धर्म में सबी देवताओं के अपने अपने वाहन होते हैं।
00:04जैसे भगवान विश्णू का वाहन गरुड है,
00:07मान लक्ष्मी का वाहन उल्लू होता है,
00:09भगवान गनेश का वाहन मूशक होता है,
00:12उसी तरह भगवान शिव की सवारी नंधी है।
00:15आपने शिव मंदिरों में देखा होगा,
00:17भगवान शंकर के साथ बैल रूपी नंधी की मूर्ती भी रहती है।
00:21शिव भगवान के साथ नंधी की पूजा करना भी ज़रूरी होता है।
00:25भगवान शंकर नंधी के माध्यम से ही भक्तों की पुकार सुनते हैं,
00:29लेकिन क्या आप जानते हैं, नन्दी कैसे भगवान शिव की सवारी बने?
00:33आये जानते हैं शिव और नन्दी की ये पौरानिक कथा।
00:37एक पौरानिक कथा के अनुसार ब्रह्मचारी वरत का पालन कर रहे
00:41अरशि शिलाद को भय होने लगा कि उनकी मृत्यू के बाद उनका वंश समाप्त हो जाएगा
00:47इस भय के चलते उन्होंने पुत्र प्राप्ती के लिए कठोर तपस्या शुरू की
00:51तपस्या से प्रसन होकर भगवान शिव ने शिलाद रश्य को धर्शन दिये और वर मांगने को कहा
00:57तब शिलाद रश्य ने शिव से कहा कि उसे ऐसा पुत्र चाहिए जिसे मृत्यू ना छू सके और उस पर आपकी कृपा बनी रहे
01:06भगवान शिव ने उसे आशीर्वाद देते हुए कहा कि उसे ऐसे ही पुत्र की प्राप्ती होगी अगले दिन आर्शी शिलाद एक खेत से गुजर रहे थे उन्होंने देखा कि खेत में एक नवजात बच्चा पड़ा है बच्चा काफी सुन्दर और लुभावना था उन
01:36नन्धी रखा गया एक बार आर्शी शिलाद के घर पर दो सन्यासी पहुंचे उनका
01:41खूब आदर सतकार हुआ इससे प्रसन्न होकर सन्यासियों ने आर्शी शिलाद को
01:46दिर्ग आयू का आशीरवाद दे दिया लिकिन नन्धी के लिए एक शब्द भी नहीं बोला आर्शी शिलाद
01:51ने सन्यासीयों से इसका कारण पूछा तब सन्यासीयों ने बताया कि नन्धी की उम्र कम है इसलिए हमने इसे
01:58कोई आशीरवाद नहीं दिया यह बात नन्धी ने सुनली और आर्शी शिलाद से कहा कि मेरा जन्म भगवान शिव की कृपा से हुआ है और
02:06वे ही मेरी रक्षा करेंगे इसके बाद नन्धी भगवान शिव की स्तुती करने लगे और कठोर तब किया इससे प्रसन होकर भगवान शिव प्रकट हुए और नन्धी को अपना प्रिय वाहन बना लिया इसके बाद से भगवान शिव के साथ नन्धी की भी पूजा की जान

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