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इस वीडियो में हम भगवान श्री कृष्ण के जन्म की अद्भुत और प्रेरणादायक कहानी सुनेंगे। इस कहानी में बताया गया है कि कैसे श्री कृष्ण ने मथुरा के अत्याचारी राजा कंस के विनाश के लिए जन्म लिया। देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में जन्मे श्री कृष्ण ने अपने भक्तों की रक्षा करने और धर्म की स्थापना करने के लिए अवतार लिया था। आइए इस महान गाथा को विस्तार से जानें।
In this video, we explore the miraculous and inspirational story of Lord Shri Krishna's birth. Learn how Shri Krishna was born to end the reign of the tyrant King Kansa of Mathura. Born as the eighth child of Devaki and Vasudeva, Shri Krishna took birth to protect his devotees and reestablish dharma. Let's dive deep into this divine tale.

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00:00यह कथा द्वापर युग की है। पृत्वी पर क्रूर और आतंकी दैत्यों, दानवों और राक्षसों का अत्याचार बहुत बरह गया था।
00:08इस से दूखी होकर देवी, पृत्वी ने देवताओं से प्रार्थना की कि इन आतंताईयों को समाप्त कर उससे उसकी रक्षा करें।
00:17लेकिन स्वयम राक्षसों के अत्याचार से परेशान देवताओं के पास इसका कोई समाधान नहीं था।
00:23इसलिए सभी ने भगवान विश्णू की सहायता मांगने का विचार किया। जब पृत्वी और देवतागण भगवान विश्णू के निवास क्षीर सागर पहुंचे, तो उस समय वह शेषनाग पर लेटे हुए आराम कर रहे थे, और उनकी पत्नी माता लक्षमी उनके चर
00:53सबका समाधान हुआ, और सभी लोग उन्हें प्रणाम करके चले गए। उधर एक समय मथुरा में राजा उग्रसेन का राज्य था। वह एक अच्छे वदयालू राजा थे, लेकिन उनका पुत्र कन्स अत्यंत क्रूर था। उसने एक दिन अपने बल से अपने ही पिता उ
01:23देश दिया। वसुदेव की पहले से ही रोहिनी नामक पत्नी थी। कन्स ने वसुदेव और देवकी का विवाह बध्धी धूमधाम
01:31से कराया। जब देवकी की विदाई हो रही थी तो कन्स ने उसके प्रती प्रेम होने के कारण स्वयम रथ चलाने का निर्णय किया और सारती की जगह बैठ गया। लेकिन तभी बहुत जोर से आकाश्वानी हुई। हे कन्स, देख, जिस बेहन को तु इतना प्रेम करता है,
02:01आकाश्वानी आठमे पुत्र के लिए है, लेकिन मैं उनके जन्म लेने वाली हर संतान को मार दूंगा, जिससे कोई गलती होने की संभावना ही न रहे। इसके बाद जब भी देवकी गर्भवती होती, तो कन्स सैनिकों को पहरा और भी कडी डहा करने का आदेश देता। औ
02:31इसके बाद जब देवकी सात्वी बार गर्भवती हुई, तो भगवान विश्णू की योजना के अनुसार यह संतान शेषनाग का रूप होने वाली थी। देवकी और वसुदेव से मिलने वासुदेव की पहली पत्नी रोहिनी कारागार में आती रहती थी। देवताओं
03:01के बाद जब देवकी सात्वी बार गर्भवती हुई, यह भगवान विश्णू के आठमे अवतार की शुरुवात थी। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अश्टमी तिथी को रोहिनी नक्षत्र में, मध्यरात्री को देवकी की आठमी संतान यानी श्री कृष्ण का
03:31प्रतिकारी रहे थी। वसुदेव कुछ समझते, उसके पहले
03:35ही आकाशवानी हुई कि इस पुत्र को यमुना नदी के
03:39पार गोकुल में बाबा नंध के घर पर पहुचा दो। बाहर
03:43तूफानी वर्षा हो रही थी। वसुदेवने एक टोकरी
03:46लेकर यमुना नदी पार करने लगे। बारिश के कारण यमुना
03:50के पानी में वसुदेव पूरी तरह से डूप कर चल रहे थे। सबकुछ
03:55इतना चमतकारिक था कि वह बस वैसा ही करते जा रहे थे जैसी
03:59आकाश वानी हुई थी। कहते हैं कि बालक कृष्ण को बारिश में भीगने
04:03से बचाने के लिए शेष नाग स्वयम आकर उनकी रक्षा कर रहे थे।
04:08जब यमुना का पानी टोकरी में हाथ पैर चला रहे चंचल बालक,
04:12कृष्ण के पैरों को चुआ, तो तुरंथ ही पानी का स्तर एकडम नीचे चला गया,
04:17मानो यमुना श्री हरी के अवतार रूप के चरण सपर्ष करने आई थी।
04:22जब आधी रात को वसुदेव ने गोकुल में बाबा नंद का दर्वाजा खट-खटाया,
04:27तो वह आश्चर्य चकित रह गए। क्योंकि कुछ ही समय पहले नंद की पत्नी यशोदा ने भी एक पुत्री को जन्म दिया था और वह ठक कर सोई हुई थी।
04:37बाबा नंद ने बालक कृष्ण को अपनी पत्नी के पास लिटा दिया और वहां सोई अपनी बेटी को वसुदेव को दे दिया। वसुदेव उसे लेकर वापस कारागार पहुंच गए और फिर सब कुछ पहले जैसा ही हो गया। कारागार के दर्वाजे वह हत्कडियां व
05:07कारागार के दर्वाजे के लिए जैसा ही उसने बच्ची को दीवार पर पटकने के लिए हाथ उठाया वह उसके हाथ से छूट कर हवा में उद्धट गई और बोली अरे दुष्ट कन्स मैं योग गमाया हूँ तु मुझे क्या मारेगा। जो तुझे मारने वाला है उसने �
05:37बालक कृष्ण ने हरेक का अंत कर दिया। अंततः सोलह वर्ष की आयू में उन्होंने मथुरा जाकर अपने भाई बलराम के साथ कन्स का संहार किया वह अपने माता पिता को कारागार से बाहर निकाला और प्रजा को आन्तक से मुक्ति दिलाई। भगवान श्री कृष्ण क
06:07आयी हो तो हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और वीडियो को लाइक अव शेयर करना न भूलें।
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