महाभारत की कई कहानियाँ अपने समय में भी हमें विचित्र और अद्भुत लगती हैं। इसमें से एक कहानी है कर्ण और द्रौपदी की, जो उनके प्यार की गहराई और अनोखापन को दर्शाती है। इस वीडियो में, हम जानेंगे कि क्या द्रौपदी थीं कर्ण का प्यार, और इस अनोखे प्यार की कहानी का सच। तो देखिए और जानिए महाभारत के इस रोमांचक प्यार की कहानी को।
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00:00महाभारत में अगर अर्जुन को नायक के तौर पर देखा जाता है, तो कर्ण को भी उनके बराबर का दर्जा दिया गया है.
00:07जिस तरह महाभारत में अर्जुन की वीर गाथाएं लिखी गई हैं, उसी तरह कर्ण की भी एक से बढ़कर एक गाथाएं देखने को मिल जाती हैं।
00:15लेकिन कर्ण को विडम्बनाओं से रचे इस चरित्र को इतिहास में वह जगह नहीं मिली, जो उसके समकक्ष अन्य चरित्रों को मिली।
00:23सूर्य पुत्र होकर भी ताऊम्र कर्ण सूत पुत्र कहलाएं।
00:27महापराक्रमी और महादानी होते हुए भी अधर्म का साथ देने का कलंक लेकर जिया और मरा, जिससे सतकार की जगह दुतकार और प्रेम की जगह अपमान मिला।
00:38लिकिन कर्ण का जीवन इतना भर नहीं था। इस वीर और धनुरधारी कर्ण में एक प्रेमी भी था, जिसकी प्रेम कहानिया उसके पराक्रम की छाया में दबी रहे गई।
00:48कर्ण की प्रेम कहानी में सबसे अधिक चर्चा द्रोपदी से प्रेम की होती है। लिकिन शास्त्रों में कहीं इस बात का जिक्र नहीं है कि कर्ण और द्रोपदी एक दूसरे से प्रेम करते थे।
00:59कर्ण महाकाव्य का अंतर लोक लिखने वाली कश्मीरा सिंघ कहती है, जब द्रोपदी का स्वयंवर रचा गया, तब अन्य राजाओं की तरह अंगराज कर्ण भी वहां पहुंचे। उसकी वीरता के बारे में सुनकर द्रोपदी उसकी तरफ आकर्षित जरूर हुई, लिक
01:29कर्ण के प्रेम की बात कहीं नहीं आई। द्रोपदी के
01:33स्वयंवर में अपमानित होकर कर्ण अपने राज्य लोट रहे
01:36थे। इसी दोरान जंगल में कर्ण ने देखा कि कुछ बदमाश
01:40दो सुन्दरियों को घेर कर उनकी इजजट से खेलने की
01:44बदमाश कर रहे हैं। इन में से एक राजा चित्रवत की
01:47पुत्री अन्सावरी, तो दूसरी उनकी दासी धूमसेन
01:51की पुत्री पद्मावती। दुराचारियों ने राजकुमारी
01:54अन्सावरी पर हमला किया, तो पद्मावती सामने खड़ी
01:57हो गई। तभी करन पहुँचे और अपने बाणों से दुराचारियों
02:01को मार भगाया। परन्तु इसी बीच एक दुष्ट ने करन
02:05के सिर पर वार कर दिया और वह मूर्चित हो गए। राजकुमारी
02:09अन्सावरी भी बेहोष हुई। पद्मावती करन और अन्सावरी
02:13को रथ में राजभवन ले गई। अन्सावरी को राजभवन
02:17छोड़कर करन को पिता के घर ले गई। पद्मावती के
02:21पिता ने वैद्य को बुलाया और उपचार के बाद करन ठीक
02:24हो गए। करन पास बैठी पद्मावती को देखते कि देखते
02:28रह गए। दोनों मन ही मन एक दूसरे से प्रेम करने
02:32लगे। कुछ समय बाद राजा चित्रवत अपनी पुत्री अन्सावरी
02:36का स्वयमवर कराते हैं। भगवान सूर्य के कहने से करन
02:40भगवान सूर्य के कहने से करन पुत्री अन्सावरी
02:44का स्वयमवर कराते हैं। कुछ समय बाद राजा चित्रवत
02:48अपनी पुत्री अन्सावरी का स्वयमवर कराते हैं।
02:52कुछ समय बाद राजा चित्रवत अपनी पुत्री अन्सावरी
02:56का स्वयमवर कराते हैं।
03:26कुछ समय बाद राजा चित्रवत अपनी पुत्री अन्सावरी
03:30का स्वयमवर कराते हैं।