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नमस्ते दोस्तों! आज हम आपको एक बहुत ही रोचक और नैतिक शिक्षा देने वाली कहानी सुनाने जा रहे हैं - "राजा और तोता की कहानी"। यह कहानी आपको सिखाएगी कि बुद्धिमानी और समझदारी से कैसे किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है। इस कहानी को अंत तक जरूर देखें और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। अगर आपको हमारी कहानी पसंद आए, तो लाइक और सब्सक्राइब करना ना भूलें।

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00:00एक समय की बात है किसी एक राज्जे में हरषङ्कर नाम का राजा राज करता था
00:04उस राजा के तीन बेटे थे उसकी ख्वाहिष थी कि वह उसका सबसे काबिल beau ती उसकी राजग्धी संभाले
00:12लेकिन वह इस बाहात लेकर संशय में था कि तीनों मेंसे किस्से वह अपना राजपाट सौंपे।
00:18एक दिन राजा को एक तर्कीब सूझी।
00:20उसने उसी समय अपने तीनों बेटों को बुलाया और कहा,
00:24बेटे, आज मैं तुम सबसे एक सवाल पूछता हूं,
00:27अगर तुम लोगों के सामने एक गुनेगार खड़ा हो, तो खड़ा हो, तो तुम उसके साथ क्या करोगे।
00:32इसपर राजा के पहले बेटे ने कहा, उस अपराधी को सजाय मौत दी जानी चाहिए।
00:37वहीं, दूसरे बेटे ने कहा, गुनेगार को कालकोठरी में बांध देना चाहिए।
00:42जबकि तीसरे बेटे ने कहा, पिताजी, हमें उसे सजा देने से पहले इस बात की जांच करनी चाहिए, कि उसने सही में अपराध किया है या नहीं।
00:52इस पर राजा के तीसरे बेटे ने सभी को एक कहानी सुनाई। एक राजा था, जिसके पास एक बुद्धिमान तोता था। एक बार उस तोता ने महाराज से कहा, मुझे अपने माता और पिताजी के पास जाना है।
01:06राजा ने उसकी बात नहीं मानी, लेकिन तोता ने हार नहीं मानी। वह लगातार महाराज से जिद्ध करने लगा, कि मुझे माता पिता के पास जाने दें। अंत में राजा ने तोता की बात मान ली और कहा, ठीक है, तुम अपने माता पिता से मिल कर आओ, लेकिन वहाँ ज
01:36पिता के पास चला गया। छटे दिन जब वह राजा के पास लोट रहा था, तो उसने सोचा कि क्योंना वह माराज के लिए कुछ उपहार ले लिया जाये। फिर वह परवत की ओर निकल पड़ा। दर असल वह महाराज के लिए अमरित फल लेना चाहता था। वहाँ पहुं�
02:06राजा के लिए गए अमरित फल को खाने लगा। सांप ने फल को खाया,
02:10इस कारण उस फल में जहर फैल गया था। हालां कि तोते को इस
02:14बात की भनक तक नहीं थी। अगली सुबह जब वह जगा, तो फल
02:18लेकर महल की ओर चल पड़ा। जब वह महत पहुंचा, तो
02:22खुशी-खुशी सीधे राजा के पास गया और कहा, महराज मैं
02:26आप के लिए यह अमरित फल लेकर आया हूँ, आप इसे खाएंगे,
02:30तो सदा के लिए अमर हो जाएंगे। यह सुनकर राजा काफी प्रसन
02:34हुए। उन्होंने तुरंत उस अमरित फल को खाने के लिए मांगा।
02:38इसपर एक मंतरी ने कहा, जरा रूखिये महराज, आप इस फल
02:42को बिना जाँच किये कैसे खा सकते हैं। एक बार यद देख
02:45तो लीजिये, कि तोता द्वारा लाया गया यह अमरित फल सही
02:49है या नहीं। राजा उस मंतरी की बात से सहमत हुआ,
02:53और कहा कि तुरंत इस फल को एक कुटे को खिलाया जाए। राजा
02:57का आदेश पाकर सैनिक ने फल का एक तुकड़ा कुटे
03:00को खिलाया। फल खाते ही कुटे की मौत हो गई। यह देख
03:04राजा गुस्से से आग बबूला हो गया। उसने क्रोध में
03:07आकर तलवार से तोता के सिर को काट दिया। साथ ही फल
03:11को फेंक वा दिया। कुछ साल बाद ठीक उसी स्थान पर
03:14एक पौधा निकल आया। ये देख राजा को लगा कि यह उसी
03:18जहरीले फल का पौधा है। उसने सभी को आदेश दिया
03:21कि उस पेड़ का फल कोई नहीं खाएगा। कुछ दिन बाद
03:25एक विद्ध व्यक्ति उस पेड़ के नीचे आराम करने के
03:28लिए रूका। उसे भूख भी काफी जोर से लगी थी। उसने
03:32उसी पेड़ से फल तोड़ा और खाने लगा। फल खाने के
03:36बाद वह बूढा व्यक्ति एक दम से जवान हो गया। राज ने
03:39जब यह देखा तो वह आश्चर यचकित रह गया। उसे
03:43समझ आ गया कि वह फल जहरीला नहीं था। उससे बहुत
03:46बड़ी गल्ती हो गयी। उसने बिना सच्चायी जाने
03:49तोटा को मार दिया। इसे लेकर उसे काफी पच्चावा भी
03:52हुआ। इसके लिए वह मन ही मन खुद को कोसने लगा। इधर तीसरे
03:57राजकुमार की कहानी खत्म होने के बाद राजा हरिशंकर
04:01ने उसे ही अपना उतराधिकारी नियूप्त किया। इसके
04:04बाद राज्य में जश्ण मनाया गया। कहानी से
04:07हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी बिना जाँच किये किसी को सजा नहीं देनी चाहिए।

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