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ये कहानी हिंदुस्तान के उस इलाके की है-जहां ज़िंदगी का सबसे बड़ा संकट है- जल संकट..। लेकिन इस जल संकट के लिए प्रकृति का प्रकोप ज़िम्मेदार नहीं है। ..ज़िम्मेदार है सरकार और सिस्टम की नाकामी। ..आज ऐसे ही नाकारा तंत्र को जगाना है...उसे उठाना है...जल संकट की घंटी बजाना है..। जी हां, गांव में पानी की टंकी तो है... लेकिन टंकी में नहीं पानी है। ...और ये किसी एक गांव की नहीं...कई-कई गांवों की कहानी है। ..गर्मी अभी शुरू ही हुई है..लेकिन मध्य प्रदेश के कई गांव बूंद-बूंद के लिये तरस रहे हैं। ..तकरीबन सारे कुएं सूख चुके हैं। हैंडपंप भी हैं, लेकिन सरेंडर कर चुके हैं कि पाताल से पानी खींचकर नहीं ला सकते। ..हज़ारों लोगों की ज़िंदगी जल संकट से घिरी हुई है। .. गांववाले इस बदहाली के लिये सरकारी सिस्टम को कोस रहे हैं। ..इसलिये हम भी आज आपसे कह रहे हैं कि भयंकर जल संकट पैदा करने वाले इस सरकारी सिस्टम की घंटी बजाओ..। आज हम आपको मध्यप्रदेश के उन इलाकों में ले चलेंगे-जहां इंसानों को ही पीने का पानी नहीं मिल पा रहा,,,मवेशियों की तो बात ही छोड़ दीजिये। .. छोटे बच्चे हों..या बुजुर्ग..या महिलाएं। ..सबके के सब गड्ढों से गंदा पानी निकालकर पीने को मजबूर हैं। ..और ये गंदा पानी भी रोज़ एक संघर्ष के बाद मिलता है। ..उसके लिये दो से तीन किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है।...तब जाकर प्यास बुझ पाती है..। आप खुद देखिये 'हर घर नल से जल' के नारों के बीच ये संघर्ष..और हमारे साथ सिस्टम की घंटी बजाइये..। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले का एक गांव बिशनखेड़ी..दूसरा गांव- खामलियां। ..दिल्ली-मुंबई में बैठे किसी व्यक्ति को ये नाम क्यों याद हों। ..ज़रूरी भी नहीं है..। ..लेकिन कमाल देखिये कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बैठे सरकार के मंत्रियों..और अफसरों को भी इनकी ख़बर नहीं। ..जबकि भोपाल में जहां से सरकार चलती है, वहां से इन गांवों की दूरी 50 किलोमीटर भी नहीं है। ..ख़बर होती तो ज़रूर मंत्री और अफसर यहां पहुंचते..बूंद-बूंद को तरसती इस प्रजा को देखते।

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00:00जल से उपवन, जल से जीवन, जल से ये जंदगानी है, जल है तो सब खिला-खिला है, खुशाली के निशानी है, बिन जल है सब सूना-सूना, प्यासी धर्ती प्यासे लोग, बूंद-बूंद को तरस रहे, घर-घर में गम की कहानी है।
00:21नमस्कार, आपके साथ प्याहूं प्रतिमा बेश्रा, ये कहानी हिंदुस्तान के उस इलाके की है, जहां जंदगी का सबसे बड़ा संकत है जल संकत, लेकिन इस जल संकत के लिए प्रकृती का प्रकोप जिम्मदार नहीं है, जिम्मदार है सरकार और सिस्टम की नाकामी, आज
00:51शुरू किनंगी, वो जिम्मदार के लिए प्रकुत तो गिया है, एक वीडियो गषिन गरंबोर के लिए टुछ बनाचा है जब प्रकुत फंगली की अच्छ हैत्म नदर गषिन कि यह चुम बनाचा है यह गति प्रक रणस में चुम नदर गति गति
01:21जब सरकार की कानों तक आब आज पोची है।
01:23जी हाँ! गाओं में पानी की टंकी तो है, लेकिन टंकी में नहीं पानी है.
01:29और ये किसी एक गाओं की नहीं, कई-काई गाओं की कहानी है.
01:33गरमी अभी शुरू ही हुई है.
01:35लेकिन मध्यपुदेश के कई गाओं, बूंद-बूंद को तरस रहे हैं.
01:38तकरीबन सारे कुए सूख चुके हैं, हैंड-पम भी है,
01:42लेकिन सरेंडर कर चुके है की पाताल से पानी खीच कर नहीं ला सकते हैं.
01:46तकरीबन सारे कुए सूख चुके हैं, हैंड-पम भी है,
01:49लेकिन सरेंडर कर चुके है की पाताल से पानी खीच कर नहीं ला सकते हैं.
01:54हजारों लोगों की जिंदगी जल संकट से घीरी हुई हैं.
01:57गाओं वाले इस बधाली के लिए सरकारी सिस्टम को कोस रहे हैं.
02:01इसलिए हम भी आज आपसे यही कह रहे हैं
02:04कि भ्यांकर जल संकट पैदा करने वाले सरकारी सिस्टम की घंटी बजा.
02:12आज हम आपको मद्यपुर्देश की उन इलाकों में ले चलेंगे
02:15जहां इंसानों को ही पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है.
02:18मवेशों की तो बात ही छोड़ दीजे.
02:20छोटे बच्चे हूं, बुज़ुर्ग हूं, या फिर महिलाई
02:24सब के सब गढ्धों से गंदा पानी निकाल कर पीने को मच्बूर हैं
02:28और यह गंदा पानी भी रोज एक संघर्ष के बाद उन्हें मिलता है.
02:32उसके लिए 2-3 किलो मीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है.
02:35तब जाकर प्यास पुशपाती है.
02:37आप खुद देखिए, हर घर नल से जल के नारों के बीच
02:41यह संघर्ष और हमारे साथ सिस्टम की घंटी बजाएगे.
03:03खेत में गढ़्धा
03:08और गढ़्धे के अंदर गंदा स्टड़ा हुआ पानी.
03:23गढ़्धे का ये पानी देखकर लगेगा कि पशु भी इसे कैसे पी सकते हैं.
03:27लेकिन मध्यप्रदेश के सिहोर में पशु नहीं, हजारों इनसान ये पानी पीने को मच्बूर हैं, वो भी रोज.
03:43ये मजबूरी ही है कि सिहोर के विशनखेडी गाओं की महिलाओं को
03:47हर रोज, हर सुभा अपनी जान को चोखिम में डाल कर इस गढ़्धे तक पहुँचना पढ़ता है.
04:05ये मजबूरी ही है कि मन को मार कर भी उन्हें ये गंदा पानी अपने बर्तनों में भरना पढ़ता है.
04:17और फिर गंदे पानी के इन बर्तनों को सिर पर ढो कर पैदल 2-3 किलो मीटर चल कर घर आना पढ़ता है.
04:30क्योंकि इसी पानी से बच्चों की प्यास बुजनी है.
04:34इसी पानी से आटा गूत कर पूरे घर भर की रोटी बननी है.
04:39खेद के गढ्धों से निकलने वाले इसी गंदे पानी से घर घरेस्ती की गारी खिशती है.
04:48इसी गंदे पानी से इनके मवेश्यों, धोर धंगरों की भी प्यास बुजती है.
05:09खाना काई का बनाएंगे, क्या पिलाएंगे माल धंगरों, क्या पिलाएंगे?
05:18बूंद-बूंद पानी के लिए तरस्ते बिशंखेडी गाउं के लिए ये सड़ा हुआ पानी मानों जिन्दा रहने की शर्त बन गया है.
05:24और हफते पहले जब सूरज की तपिश बढ़ी, मौसम गर्मियों की ओर बढ़ा, तो इस गंदे पानी की भी मारा मारी बढ़ गई.
05:42इस दर से कि कहीं ये गंदा पानी भी सूख न जाए, लोग मटके, गगरे की बजाए सीधे बैलगारी पर पानी की टंकिया रख कर पहुँचने लगे, ताकि जादा से जादा पानी समेट ले.
05:55कुछने साइकल, मोटर साइकल के चक्कर शुरू कर दिये, जितने जादा चक्कर, उतना जादा पानी का कलेक्शन.
06:07यहाँ से कौन से लाए हम, 15 वाल्टी पानी, 15 वाल्टी पानी चाहिए हम हो, पीने की समस्या है बिल्कुल.
06:19हजारों लोग हर रोज बूंद-बूंद पानी के लिए संगर्श कर रहे हैं, और उस सरकारी सिस्टिम को भी कोस रहे हैं, जिसका वादा था कि वो इने घर तक सीधे नल से जल ला कर देगा.
06:36पानी के लिए साथ बहुत बेला पड़े हैं हमारी, और दो किलो मीटर से आने पड़े हैं, बकरी, बकरा और हमारी भी बहुत दिक्कट पड़े हैं बाद.
06:48विशंखेडी में पानी का जो त्राहिमाम है, इतनी ही बुरी हालत सिहोर जिले के खामलिया गाउं की है.
06:55खामलिया गाउं के लोग कई बाद शासन और प्रिशासन से फर्यात कर चुके हैं, लेकिन सरकारी तंत्रमानों कुम्बकरण से नींज का कॉंपरिटिशन कर रहा है, जागने का नाम ही नहीं लेता.
07:10मद्यप्रदेश के सिहोर जिले का एक गाउं बिशनखेडी, दूसरा गाउं खामलिया, दिल्ली मुंबई में बैठे किसी व्यक्ती को ये नाम क्यों याद हो, जरूरी भी नहीं है.
07:26लेकिन कमाल देखें कि मद्यप्रदेश की राष्थानी भोपाल में बैठे सरकार के मंत्रियों और अफसरों को भी इनकी ख़बर नहीं, जबकि भोपाल में जहां से सरकार चलती है, वहां से इन गाउं की दूरी पचास किलोमीटर भी नहीं है, खबर होती तो जरूर मंत्र
07:56कामेरे ने जल संकत के कैसे कैसे द्रिश्य देखे, कैसे लोगों ने अपना सारा दर्ध हमारे आगे उडेल दिया, आप सुनिये
08:04और ये भी देखे कैसे यहाँ पर पानी की सौदेबाजी का खेल हुआ और इसका खुलासा भी, इन्हें देखे और फिर लोगों को पानी खरीट कर पीने के लिए मजबूर करने वाले सरकारी तंत्र की घंटी भी भजाये
08:18अभी ये मार्च का महीना है और गर्मिया अब धीरे धीरे दस्तक दे रही है
08:39लेकिन प्रदेश के कई जिले हैं जो भीसन जल संकत से अभी से जूजने लगे हैं हम इस वक्त सिहोर जिले के खमलिया गाउं में हैं जो की राजधानी भोपाल से 30 किलोमीटर दूर है और जिला मुख्याले से मातर 15 किलोमीटर दूर है इस गाउं में आते ही ये बड़ी सी
09:10हर घर को नल से जल ये प्रदानमंत्री नरेंद्र मोदी के जल जीवन मिशन का मूल मंतर है
09:15पुरे देश की तरहा मध्यप्रदेश में भी हर घर तक नल से जल पहुचाने का लक्ष तैहुआ है
09:24हर गाउं में बड़ी बड़ी टंकिया बनाये गई हैं
09:27घर घर में नल की तोटिया लगी है लेकिन पानी इन टंकियों से कोसो दूर है
09:38पानी के लिए इस गाउं के लोगों को 2-3 किलो मीटर दूर जाना पड़ता है
09:42यहीं के लोगों से हम जानते हैं कि आखेर ये संकत कितना है कब से है
09:47ये जल संकत जो है गाउं में आपके कब से है
09:51कितना है कब से है ये जल संकत जो है गाउं में आपके कब से है
09:55ये तो बहुत से कम-कम 15-20 साल होगी ये इससे ही चला आ रहा है मतलब जब से
10:00टंकि भी खाली है पानी हम दूर-दूर से 3 किलो मीटर दूर से पानी लेके आना पड़ता है
10:04टेंकर से बर बाते हैं एक-एक टंकी 3-300 रुपे में बड़ी टंकी 500 रुपे में ऐसे पानी बढ़ना पड़ता है
10:14हर घर नल से जल योजना केंद्र सरकार ने 2019 में लॉंच की थी
10:19मद्यप्रदेश में इसका लक्ष 35,641 गाउं का था जिनके हर घर में साल 2024 तक सीधे नल से जल देना था
10:28लेकिन डेड्लाइन बीटने पर भी लक्ष पूरा नहीं हुआ फिर डेड्लाइन ही बढ़कर 2028 कर दिगई
10:34इस परियोजना पर अब तक 10,000 करोड रुपई से जादा खर्च हो चुके है
10:382024 के सरकारी आंकरों के मताबिक 63.54 फीसदी घरों तक नल से जल पहुचाया जा चुका है
10:46दावा है मध्यपुर्देश के 71,005,000 घरों में इस तरह जल पहुचा है उन्हें भटकना नहीं पढ़ रहा है
11:00लेकिन विशनखेडी और खामलिया जैसे गाउं इन दावों पर सवाल उठा रहे हैं
11:06ये पूछ रहे हैं कि सारा पैसा कई फाइलों में ही थो नहीं बहगया
11:12पानी की तरह बहाया पैसा कहाँ पहुचा
11:15क्योंकि नल तो घर तक पहुचे नहीं
11:17और जहां पहुचे भी है वहाँ उनमें एक बूंद पानी नहीं है
11:21दाबो और सच्चाई में कहां आनता है? खामलिया गाउं के लोगों से सुनिए
11:31कितने लोग आते होंगे आपकी कुए में पानी बरते हैं?
11:37से कम यहाँ पचास लोग पानी के लिए आते हैं लेकिन वो यह रुक रुक के पानी बढ़ाता है
11:41कबि एक गंटे में कबी दो गंटे में हैए. कांपे नहीं जा पाते हैं, हमारा खाम छोड़-छोड़ के पानी बरते हैं
11:49जरस अंकट की सच्चाई जनने के लिए हमने इस गाउं का चपा-चपा देखा
11:55जिस तरफ भी हमारा क्यामरा खुमा, बद्धाली की एक सी तस्वीर नजर आई।
12:10टंकी सूनी, पनघट सूना और ये नल भी सूना।
12:14रहीम ने कहा था रहिमन पानी राख ये बिन पानी सब सून।
12:19इस गाउं और इसके जैसे नजाने कितने गाउं में
12:22जल संकत की बजे से सब कुछ सूना है।
12:28ये कितनी दूर से पानी लेके आए हैं साइकल में इस तरीके का।
12:31सर हम तीन कोलमेट दूर से पानी लाए, अब मा बेसी प्यासी मन दी है हमारी,
12:35हम उनको पानी पीपाएंगे, दिन बर पानी में हो जाता।
12:39आर्था चक्कर लगाते हैं सर हमारा, मा बेसी मर जाएगी।
12:44गाउं में हमें महिलाओं के अलाबा कई लड़के लड़कियां भी दिखें,
12:47जो सारे काम छोड़कर पानी भर रहे थे,
12:50कोई साइकल पर पानी के छे छे डिब्बे खीच कर ले जा रहा था।
12:54पानी सब का संगर्श है, रोज का संगर्श है।
13:25रोज इतने दूर से लाते हैं पानी से?
13:28रोज लाते हैं।
13:29और ये ऐसे कितने चक्कर लगा देते हैं, कितने कुप्पे भर लेते हैं?
13:33आठ, आठ कुप्पे भर लेते हैं.
13:55इस गाउ में हमें एक हैंड पम भी दिखा,
13:57आसपास खड़े लोग खुश थे क्योंकि हैंड पम से पानी भी निकल रहा था,
14:01लेकिन ये खुशी पल दो पल की थी.
14:03दो चार बाल्टी पानी देने के बाद इस हैंड पम की भी सांस उखड गई,
14:07जिन छेहरों पर खुशी थी, सूखे सा सननाटा पसर गया.
14:37और ये वास्तों में काफी मुश्किल है.
14:39ये हैंड पम भी लगबाग 5-10 डब्बे पानी देने के बाद विस्राम मांगता है,
14:45करीब 1-2 गंटे का रेस्ट इसको देना होता है, तब जा करके वापस पानी भरते हैं.
14:49एक बार में कितने डब्बे पानी भर जाता है फिरंग?
14:525-6 डब्बे भर जा एक दान में, फिर रुक जायो गंटा भर, फिर भर जा 5-6 गंटा.
14:58गाउं में कुछ घर ऐसे भी हैं, जहांपर बोर तो है, इसमें पानी भी आता है,
15:04लेकिन ये पानी 5-10 मिनित आने के बाद, चुकी ग्राउंड वार्टर लेवल भी यहांपर बहुत नीचे जा चुका है, उसके बाद इसमें पानी आना बंद हो जाता है,
15:14और कम से कम आधे एक गंटे के इंतजार के बाद, अब इसमें दोबारा पानी आएगा, और इस तरह के 4-5 डब्बे बापस से ये लोग भर पाएंगे.
15:23कितनी देर चलता है ये?
15:24हो जाते हैं, 10-5 मिनित.
15:26कितने डब्बे बहर जाते हैं इसमें?
15:285-6 कुपा, 7 कुपा बस.
15:30अब कितनी देर बाद पानी इसमें आना शुरू?
15:32आदा गंटा बाद.
15:36पानी को तरस्ते इस गाउं के लोगों ने अपनी सारे काम धन्दे ताक पर रख दिये हैं.
15:40दिन का सबसे बड़ा काम है पानी का इंतजाम.
15:44बच्चों का पहला फोकस अब पढ़ाई नहीं, बलकि पानी भरने में परिवार का हाथ बढ़ाना है.
15:49क्योंकि पानी है, तभी तो जिंदगाली है.
15:52हम इस जल संकत की जडों में गए, और भी चौकाने वाले तत्यां हमारे सामने आये.
15:58इलाके में अंडर ग्राउंड वोर्टर लेवल काफी नीचे चला गया है, लोग परिशान है, और मजबूरी में उन्हें टैंकरों से पानी खरीदना पर रहा है.
16:11इस गाओ की हर दूसरी गली में पानी का टैंकर खड़ा दिख जाता है.
16:14गाओ वाले कहते हैं, पानी खरीदना भी मजबूरी है. अगर ना खरीदे, स्टोर ना करें, तो क्या करें? कहां से प्यास भुजाएं? क्या पश्मों को प्यासा मरने दें?
16:24किसे समस्या पाणी की है? आप टैंकर भी देख रहे हैं, हम यहां पर खड़ा होगे.
16:34यहाँ बहुत जाधा समस्या है पानी की
16:36यहाँ ना तो एक हेटपं चल रहा है
16:39ना कोई नलकूप चल रहा है
16:41पीने की ना टेंकर भर सकता है
16:44टेंकर भी क्या? तीन किलो मेटर दूर से पानी लेकर आना पड़ता है
16:47पानी खरित तें यहाँ पर?
16:48पाँच रुपे में खरित तें कुपपाई
16:50यहाँ पैनी की तो इतसी जाधा समस्या है
16:52शब्से जाधा समस्या पानी की है यहाँ
16:57आमतवर पर आपने महिलाओं को पंघट से इस तरीके से पानी भरते देखा होगा
17:01लेकिन यह पनघट नहीं है नाहीं कोई क्यूआ है
17:04यह अपने घर की पानी की टंकी से एक डबे में पानी निकाल रही है
17:09ऐसी समस्या कब से है यह आप लोग पानी भर रहे है इससे
17:12बहुत दिन से है
17:13चार 5-6-7 साल 8 साल हो गया टेंकर से कह़ीट के भरता
17:18इसने दिन चलता है एक टंकी पाणी?
17:20चार पाँच दिन
17:22नल वगेरे लगे हैं, इनसे पाणी नहीं आता?
17:24नहीं आता
17:26बस बारिश में माईना खाण, माईना दौ, माईना आता
17:28इसने दिन उसे ऐसा पाणी का संकट देख रहे हैं?
17:30यह तो रहे 8-10 साल हो गया
17:32एसे ही हाल है
17:543-3.5 आजार की जंसं क्या है यहाँ पर?
17:56माननी मुक्मंती जी के निवास पर लकडी का हल दे करके
17:58एक तो रोट की समस्या और पाणी की समस्या को
18:00हल्फ करने की मांग करी थी
18:12गाओं के सरपंच हमारे साथ कुलदीप जी है
18:14कुलदीप जी यह इतना जल संकट है
18:16क्या प्रयास किये गए आपकी तरब से
18:18इस जल संकट को दूर?
18:20हम निनतर रूप से प्रयास रहे हैं
18:23हमने अबगर भी करवाया पियची विवाग को
18:26पर हमारी कोई सुनभाई नहीं हुई है वहाँ पे
18:28जबकि समस्या अगर देखी जाया
18:30गाओं में सबसे बड़ी समस्या जल संकट
18:32उस समस्या अगर समधान नहीं होगा
18:34तो हम क्या करेंगे?
18:37तो सिहोर के इस जल संकट का समधान क्या है?
18:40ये सवाल लेकर जब हम सीधे सिहोर के
18:42कलेक्टर के पास पहुँँचे तो
18:44उनके पास पूरा सरकारी जवाब था
18:46उनके पास पानी की कमी थी
18:48लेकिन आश्वासन की नहीं
18:50हमने सिहोर जिल्ला पंजाइट, सिहोर जनपद
18:52प्लस पीएची के साथ एक टीम बनाया है
18:54उसका हमारा कंट्रोल रूम भी एस्टाबलिस्ट है
18:56कहां-कहां ग्राउंड वाटर में
18:58कमी पाई उसके वादे से पाणी सप्ले
19:00कम हो रहा है
19:02कहां-कहां ग्राउंड वाटर में
19:04कमी पाई उसके वादे से पाणी सप्ले
19:06कम हो रहा है.
19:08वाटर-टेटकर तुरू आम पाणी सप्ले कर разработ है
19:10सिहोर, आस्टा, इस तरब
19:12इलाखा में जादा इस्यूज रहता है
19:14नर्मदा किनहरे गाउँ
19:16नरमदा किनारे गाउं में उसमें water supply थोड़ा सा ground level उपर नहीं है ताए
19:20क्योंकि नरमदा जी के वाज़े से
19:22तो बविशे में अमारे एक नरमदा जी से पानी आएगा
19:24ये एक सका समधान हो सकते हैं
19:26जब भी पानी मांगो तो हर हर नरमदे
19:31नरमदा का पानी आएगा तो ये हो जाएगा
19:33नरमदा का पानी आएगा तो वो हो जाएगा
19:39लेकिन नरमदा का पानी आएगा कर
19:44हर हर नरमदे
19:45मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में
19:47पीडियां बदल गए
19:48लेकिन नरमदा जल की प्रतिक्षा खत्व नहीं हुई
19:51प्रदेश की जल्सन साधन मंत्री के पास भी इसका कोई ठोस जवाब नहीं है।
19:59वाटर लेबिल वाकई में अब डाउन हो रहा है।
20:02पर इतना आप लोगों को अस्वस्थ करती हूँ कि पहले से बहुत अच्छा हो गया।
20:06हमारे अधिकारी लगातर धरातल में जा रहे हैं, हमारे मानने विदायक गड जा रहे हैं
20:11और जो गडबड़ी हो रही है उसको हम सब लोग सुधार रहे हैं।
20:21बहरार, मंत्री जी ने नई डेड्लाइन देकर हमें विदा किया
20:25कि 2027 में ज़रूर नर्बदा के पानी से भरा गिलास पेश किया जाएगा
20:29मजबूरी बताई कि बड़े-बड़े काम में वक्त तो लगता ही है
20:33हम प्रदेश में विपरक्ष के नेता से भी मिले
20:35उन्होंने कहा पानी कोई बड़ी प्रॉबलम नहीं है
20:38प्रॉबलम तो राज सरकार में उससे पता ही नहीं है कि करना क्या
21:08जल ही जीवन है स्वच जल स्वस्त जीवन स्वच जल खुशाल कल
21:19ऐसे कई स्लोगन आपने भी देखे होंगे गाँ हो या फिर
21:23शेहर सरकारी और पंचायतें खाली दिवारों पर ऐसे
21:27नारे खूब लिखवाती हैं स्वच पेजल का महत्त
21:30समझाने के लिए जागरुकता कारेक्रम चलाती है प्रधानमंत्री
21:34नरेद्रमोदी के जल जीवन मिशन का मकसद भी यही है कि
21:38लुगों को स्वच पेजल मिले लेकिन सिहोर में जो हालात आप
21:41देख रहे हैं क्या उसे देख कर ऐसा नहीं लगता कि जैसे
21:45सुष्त सरकारी सिस्तम वैसा होने नहीं दे रहा है इसलिए हम
21:49कह रहे है कि ऐसे तंत्र को जगाओ घंटी बजाओ
21:57थन्डा पानी पीना या गरम पानी पीना या आपकी क्उईस है फ्रिज का
22:02दिखिका पाणी या मठके का या बिसलरी का पाणी
22:06ये भी चोईस हैं
22:07लेकिन साफ पानी पीना आपका मुल अधिकार है
22:12संविधान का आर्टिकल 21, जीवन के अधिकार से जुड़ा है
22:15तो कहता है कि सवच माड़ी किसी भी नागरिक का बुनियादी अधिकार है
22:19यह सरकार का कर्तव है
22:21उसकी जीवटी है कि अपने हर नागरिक को वो सवच पेजल उपलब्द करा
22:25साव माडी देश के नागरिक का मॉले का अधिकार है
22:28इसमें बेदभाव या गयर बराबरी नहीं हो सकते.
22:34यानी पीने का साफ़ पानी आपपर सरकार का हैसार नहीं है, यह आपका हक है.
22:39ना मिले तो इसे माँगे, घंटी बजा बजा कर सिस्ट्शम को, पानी पानी कर दे,
22:44क्योंकि इसी साफ पानी पर आपकी जिंदगी टिकी है
22:47हैरान होंगे
22:48पानी की कमी से जूड़ रहे दुनिया के 20 बड़े शेहरों में
22:515 शेहर भारत के हैं
22:58भारत में सिर्फ पचास फीसदी आबादी को ही
23:00पीने का साफ पानी उपलब्द है
23:02देश का 70 फीसदी सतही जल पीने के योगी नहीं है
23:06नीती आयोग के रपोर्ट है कि साफ सुथरे और सुरक्षत जल तक पहुँच नहीं हो पाने से
23:11भारत में हर साल 2 लाख लोगों की मौत हो जाती है
23:14देश के सूखा प्रभावित छेत्रों के पच्चों में
23:17स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ देने की दर 22 फीसदी से ज़ादा है
23:21अंतराश्ट्रिय रेपोर्ट है कि भारत पे उसत एक ग्रामीन महिला पानी लाने के लिए रोज 5 से 20 किलोमीटर पैदल चलती है
23:30वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि भारत पे पानी की कमी 2050 तक देश की जीडिपी को 6 फीसदी तक प्रभावित कर सकती है
23:43इसलिए इसे सिर्फ भिशनखेडी और खामलिया गाउं की समस्या मत समझ जीए
23:47संकत को सिर्फ सिहोर या MP के मालवा तक सिमित न रखीए
23:51बदलाव हमेशा किसी एक सिरे से शुरु होता है अपना फोन उठाएए और घंटी बजाएए
23:58मद्यप्रदेश 6 अंचलों से बना है इनी में एक है मालवा और इसी मालवा में एक पुरानी कहावत है
24:04मालव माटी गहन गंभीर पगपग रोटी डगडग नीर यानी मालवा की मिट्टी वो है जहां कदम कदम पर पानी और रोटी है
24:13यहां रोटी पानी के लिए पलायन नहीं करना पड़ता दोनों ही भरपूर है
24:18देश में सबसे प्रेमियम कॉलिटी का गेहू यही पैदा होता है
24:22लेकिन जब पानी ही नहीं बचेगा तो गेहू पैदा कॉन करेगा
24:26घंटी बजाओ क्योंकि मध्यपुर्देश के मुख्यमंत्री इसी मालवा के प्रतिनिदी है
24:31घंटी बजाओ क्योंकि देश के कृषी मंत्री भी इसी मालवा इसी सिहोर के है
24:37तो घंटी बजाए और तब तक बजाए जब तक सोता हुआ तंत्र जाग न जाए
24:42अगले हफ़ते मैं फेर आओंगी ऐसे ही किसी सिस्टम को आईना दिखाने
24:47घंटी बजाकर उसे उसकी ड्यूटी याद दिला ले
24:50तब तक बने रहे हमारे साथ और देखते रहे एबी पी नीज

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