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क क क... ये सुनकर सबसे पहले क्या याद आया किरण न. लेकिन बात मध्यप्रदेश की होगी तो बीजेपी नेताओं के लिए ये क् क् क् कुछ और ही है. सूबे की सियासत की बात होगी तो यहां राजनीति के ककहरे में क से कांग्रेस, कर्नाटक या कमलनाथ ही होगा. कर्नाटक की हार के बाद अब बीजेपी में हौसले पस्त होने का डर बढ़ गया है. हालात ये है कि सिर्फ मोदी – मोदी के नाम की रट लगाए र हने वाले नेता सिर्फ कमलनाथ, कांग्रेस और कर्नाटक की बात कर रहे हैं. कर्नाटक की हार के चंद दिन बाद पार्टी की अहम बैठक हुई तो इस बात के लिए थी कि मोदी सरकार के नौ साल का जश्न कैसे मनाया जाए. लेकिन उस बैठक पर पूरी कमलनाथ, कांग्रेस, कर्नाटक और साथ में दिग्विजय सिंह का साया ही छाया रहा. थोड़ी बहुत जो कसर बची थी वो चौथे क यानी बीजेपी के अपने नेता कैलाश विजयवर्गीय ने ही पूरी कर दी.

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