सवाईमाधोपुर. जिला अस्पताल में अव्यवस्थाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। वहीं जवाबदार हर बार व्यवस्थाएं सुधारने की बात कह जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते दिख रहे हैं। बेहतर इलाज तो दूर यहां आने वाले मरीजों को बेसिक सुविधाएं तक नसीब नहीं हो रही हैं। अस्पताल में संसाधनों का अभाव तो जग जाहिर हो चुका है लेकिन जिला अस्पताल पहुंचे मरीज को वार्ड व ड्रेसिंग रूम तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर खुद खींचना पड़ रहा है।
जरूरत के समय वॉर्ड ब्वॉय रहते है गायब
जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में पुरानी व नई बिल्डिंग में करीब १५ से अधिक स्ट्रेचर है, जबकि करीब ३० से अधिक वार्ड ब्वॉय कार्यरत है लेकिन जरूरत के समय कोई भी नजर नहीं आता है। वार्ड ब्वॉय इधर-उधर दुकानों पर या अन्य स्थानों पर टाइमपास करते रहते है। ऐसे में मरीजों के परिजनों को खुद स्ट्रेचर खींचकर वार्डों में या ड्रेसिंग रूम में ले जाना पड़ता है।
शोपीस बनी हेल्प डेस्क, परेशान होते है मरीज
कहने को जिले के सबसे बड़े अस्पताल में भामाशाह काउंटर के सामने मरीजों की पूछताछ व सहायता के लिए हेल्प डेस्क लगा रखी है लेकिन वर्तमान में यह केवल शोपीस बनी है। यहां ना तो कोई चिकित्सक और ना ही कोई कर्मचारी ड््यूरी पर रहता है। ऐसे में मरीज व उनके परिजन इधर-उधर ही भटकते रहते है। ऐसे में अस्पताल आने वाले मरीजों को कई चिकित्सक अपनी सीट पर नहीं मिलते और मरीजों को इधर से उधर भटकना पड़ता है। अस्पताल के वार्ड ब्वॉय तो स्ट्रेचर के हाथ तक नहीं लगाते है। मजबूरन मरीजों के परिजनों को ट्रॉली खींचनी पड़ती है।
महिला शौचालयों के टूटे पड़े दरवाजे
अस्पताल में इन दिनों समस्याओं का अम्बार लगा है। सामान्य चिकित्सालय में महिला शौचालयों में दरवाजे टूटे पड़े है। इससे महिलाओं को भी परेशानी होती है। वहीं अस्पताल की दीवारे जगह-जगह से पान-पीक से सनी है। इसके बावजूद भी अस्पताल प्रशासन का साफ-सफाई को लेकर कोई ध्यान नहीं है।
जरूरत के समय वॉर्ड ब्वॉय रहते है गायब
जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में पुरानी व नई बिल्डिंग में करीब १५ से अधिक स्ट्रेचर है, जबकि करीब ३० से अधिक वार्ड ब्वॉय कार्यरत है लेकिन जरूरत के समय कोई भी नजर नहीं आता है। वार्ड ब्वॉय इधर-उधर दुकानों पर या अन्य स्थानों पर टाइमपास करते रहते है। ऐसे में मरीजों के परिजनों को खुद स्ट्रेचर खींचकर वार्डों में या ड्रेसिंग रूम में ले जाना पड़ता है।
शोपीस बनी हेल्प डेस्क, परेशान होते है मरीज
कहने को जिले के सबसे बड़े अस्पताल में भामाशाह काउंटर के सामने मरीजों की पूछताछ व सहायता के लिए हेल्प डेस्क लगा रखी है लेकिन वर्तमान में यह केवल शोपीस बनी है। यहां ना तो कोई चिकित्सक और ना ही कोई कर्मचारी ड््यूरी पर रहता है। ऐसे में मरीज व उनके परिजन इधर-उधर ही भटकते रहते है। ऐसे में अस्पताल आने वाले मरीजों को कई चिकित्सक अपनी सीट पर नहीं मिलते और मरीजों को इधर से उधर भटकना पड़ता है। अस्पताल के वार्ड ब्वॉय तो स्ट्रेचर के हाथ तक नहीं लगाते है। मजबूरन मरीजों के परिजनों को ट्रॉली खींचनी पड़ती है।
महिला शौचालयों के टूटे पड़े दरवाजे
अस्पताल में इन दिनों समस्याओं का अम्बार लगा है। सामान्य चिकित्सालय में महिला शौचालयों में दरवाजे टूटे पड़े है। इससे महिलाओं को भी परेशानी होती है। वहीं अस्पताल की दीवारे जगह-जगह से पान-पीक से सनी है। इसके बावजूद भी अस्पताल प्रशासन का साफ-सफाई को लेकर कोई ध्यान नहीं है।
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