‘आईटी के युग में नहीं भूलें संस्कृति कला, साहित्य व संगीत को’

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साहित्यकार देवल ने कहा- युवा बढ़ाएं सामाजिक क्षेत्र में रुचि
अजमेर. आईटी युग में संस्कृति कला, साहित्य और संगीत को भुलाना नहीं चाहिए। युवाओं के लिए असीम संभावनाएं हैं। उन्हें सामाजिक, आर्थिक और अन्य क्षेत्रों में अपने अनुभव से विकास का मॉडल तैयार करना चाहिए। तभी मौजूदा परिवेश में बदलाव महसूस होगा। यह बात प्रसिद्ध साहित्यकार व पद़्मश्री डॉ सीपी देवल ने पत्रिका के साथ बातचीत में कही।

पत्रिका - आजादी के मायने क्या हैं ?
देवल - स्वाधीनता संग्राम के बाद लगा था कि राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व उद्योग धंधों का विकास, समानता तक सबके हित बढ़ेंगे, लेकिन वक्त के साथ मायने बदलते चले गए। पढ़े-लिखे युवा बेरोगार हैं। उन्हें अपनी रुचि अनुसार क्षमता का पूरा उपयोग करने की जरूरत है।

पत्रिका -विकास में युवा किस तरह योगदान दे सकते हैं?
देवल - टीवी,मोबाइल, एआई संस्कृति ने युवाओं और बच्चों को मूल संस्कृति, साहित्य से दूर कर दिया है। तकनीकी विकास हमारी ताकत है, तो इसका उपयोग सकारात्मक होना चाहिए। डेढ़ करोड़ स्नात्तक बेरोगार हैं। युवा चाहें तो उद्यमिता एवं कौशल, कृषि,बागवानी, हस्तकला, कुटीर उद्योग, साहित्य और सामाजिक क्षेत्र में अपना कौशल दिखा सकते हैं।

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Transcript
00:00When we were struggling for freedom,
00:05we had a lot of hopes and expectations
00:10that all these systems will change
00:13and when democracy will come,
00:15then we will be able to develop in every field.
00:19Our decision, the decision of the people,
00:21will be taken by the people.
00:23And it was such a big dream
00:25that the change of the whole system
00:29and when it came true,
00:31all these hopes and expectations
00:35in 75 years,
00:37by the time this platinum year came,
00:40they started to diminish.

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