कोटा. राजस्थान पत्रिका का अमृतम् जलम् अभियान रविवार को भी जारी रहा। भीतरिया कुंड व चम्बल किनारे श्रमदान कर पर्यावरण व जल संरक्षण का संदेश दिया। अभियान के तहत रविवार को हम लोग संस्था के संस्थापक डॉ. सुधीर गुप्ता, एडवोकेट बीटा स्वामी की अगुवाई में करीब दो घंटे तक श्रमदान किया। चंबल किनारे जमा जलकुंभी को पानी से बाहर निकाला।
पहले अभियान के तहत श्रमदान कर जलकुंभी निकाल दी थी, लेकिन इस बार फिर लहराें के संग जलकुंभी आकर जमा हो गई। पर्यावरण प्रेमी अपने स्तर पर जलकुंभी निकालने के उपकरण तैयार करके लाए थे। कोई पानी में उतरा कोई दीवार पर चढ़ा और जलकुंभी को बाहर निकाला। उन्होंने तीन से चार ट्रॉली जलकुंभी निकाली।
इनका श्रम बना सहयोगी
एडवोकेट हेमंत मालव, भावना शर्मा, विमलेश प्रजापति, भीमसिंह कुंतल, गिरिराज गोचर, लवदीप सिंह हाड़ा, जसवंत कंवर, खालिद भाई, दीपक शर्मा, विनोद शर्मा, नरेन्द्र यादव, प्रवीण पांचाल, विशाल पहाडिया, पृथ्वीपाल सिंह, सुशील सिंह, राजेश पांचाल, नरेन्द्र यादव, डॉ. वितुल खंडेलवाल, हर्षाली श्रीवास्तव समेत समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
प्रशासन दे ध्यान
डाॅ. गुप्ता ने कहा कि नदियों के जल को संरक्षित व शुद्ध रखने की आवश्यकता है। इस कार्य को नियमितता प्रदान करनी होगी। चंबल अन्य नदियों की तुलना में काफी शुद्ध है, लेकिन जिस तरह से इसमें गंदगी, प्लास्टिक प्रवाहित हो रही है, यह कहीं न कहीं घातक बन रही है। भविष्य में यह दुखदायी हो सकता है।
पहले अभियान के तहत श्रमदान कर जलकुंभी निकाल दी थी, लेकिन इस बार फिर लहराें के संग जलकुंभी आकर जमा हो गई। पर्यावरण प्रेमी अपने स्तर पर जलकुंभी निकालने के उपकरण तैयार करके लाए थे। कोई पानी में उतरा कोई दीवार पर चढ़ा और जलकुंभी को बाहर निकाला। उन्होंने तीन से चार ट्रॉली जलकुंभी निकाली।
इनका श्रम बना सहयोगी
एडवोकेट हेमंत मालव, भावना शर्मा, विमलेश प्रजापति, भीमसिंह कुंतल, गिरिराज गोचर, लवदीप सिंह हाड़ा, जसवंत कंवर, खालिद भाई, दीपक शर्मा, विनोद शर्मा, नरेन्द्र यादव, प्रवीण पांचाल, विशाल पहाडिया, पृथ्वीपाल सिंह, सुशील सिंह, राजेश पांचाल, नरेन्द्र यादव, डॉ. वितुल खंडेलवाल, हर्षाली श्रीवास्तव समेत समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
प्रशासन दे ध्यान
डाॅ. गुप्ता ने कहा कि नदियों के जल को संरक्षित व शुद्ध रखने की आवश्यकता है। इस कार्य को नियमितता प्रदान करनी होगी। चंबल अन्य नदियों की तुलना में काफी शुद्ध है, लेकिन जिस तरह से इसमें गंदगी, प्लास्टिक प्रवाहित हो रही है, यह कहीं न कहीं घातक बन रही है। भविष्य में यह दुखदायी हो सकता है।
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