ध्यान के प्रकार

DadaBhagwan

by DadaBhagwan

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चार प्रकार के ध्यान भगवान महावीर ने बताएं हैं- आर्तध्यान, रौद्रध्यान , धर्मध्यान और शुक्लध्यान। जिससे भीतर में क्लेश हो उसे आर्तध्यान कहते हैं और उसका फल जानवर गति मिलती है। किसीको दुःख पहुँचाया तो उसे रौद्रध्यान कहा जाता है जिससे नर्क गति का फल मिलता है। अपने किये पर खूब पश्चाताप करने से धर्मध्यान उत्पन्न होता है। मैं खुद कौन हूँ यह जानना उसी को शुक्लध्यान कहा जाता है।