इंसान को सोचने की अद्भुत काबिलयत प्रकृति ने दी है.लेकिन ज्यादातर लोग व्यर्थ में अपनी इस काबिलियत को जाया कर देते हें या फिर अपने सोचने के दायरे को सीमित कर लेते हैं या दिमाग पे लोड नहीं लेता मैं,ये कहकर इसे चिंता के रूप में परिभाषित कर लेते हैं.लेकिन दुनिया के सारे अविष्कार एक सोच से ही बने यानी वो है सकारात्मक सोच.एक इंसान कोई काम शुरू करे तो पहला खयाल यही आता है कि काम खराब हो गया तो?यानी हम सबसे पहले नकारात्मक बातों को अपना लेते हैं और जो काम हो सकता था वो भी होने से रह जाता है.कल्पना वह शक्तिशाली औजार है जिसका इस्तेमाल कर बड़े बड़े वैज्ञानिकों ने महान खोजों को सच कर दुनिया के सामने रखा,अपनी कल्पना के दम पर आप वास्तविकता की गहराइयों को भेद कर प्रकृति के छुपे हुए रहस्यों को उजागर कर देते हैं.असफल के रूप में अपनी कल्पना जितना आसान है उतना ही आसान सफल व्यक्ति के रूप में अपनी कल्पना करना है और ये काफी रोचक है.
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