एक बार एक शेर बड़े और मजबूत पिंजड़े में फँस गया। उसने आजाद होने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसकी सारी कोशिश व्यर्थ हो गई। तभी उधर से एक राहगीर गुजरा। शेर को पिंजरे में कैद देख वह सकपकाकर चुपचाप भागने ही वाला था कि शेर ने उससे प्रार्थना की- “हे भले मनुष्य, कृपया मुझे इस पिंजरे से बाहर निकाल दो, मैं आपका उपकार जिंदगी भर नहीं भूलूँगा।”
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