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Dive into the enchanting world of storytelling with our latest video: "छाछ में दो मेंढक: मनोरंजनकारी शिक्षाप्रद कहानी"! ✨ Perfect for kids and families, this delightful tale is designed to teach valuable life lessons while tickling the funny bones of your little ones! Join us on this adventure with two hilarious frogs who find themselves in a whirlpool of mischief and wisdom. With captivating animations and engaging narration, this educational story is a must-watch for every child! Don't forget to SUBSCRIBE for more fantastic Children's Moral Stories that inspire and entertain! #ChildrenStories #MoralLessons

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Transcript
00:00इस कहानी का नाम है च्छास में पड़े दो मेंड़क.
00:10एक जमाने की बात है.
00:13एक गाओ था. उस गाओ में एक ग्वाला रहता था.
00:17वह ग्वाला हर दिन उसके दूद का दही जमा देता था.
00:22और फिर उसमें से वह च्छास बनाता था.
00:26और और फिर उस च्छास से बहुत सारा मक्खन भी निकाल लेता था.
00:32एक दिन उस ग्वाले ने च्छास बनाई और जल्दी जल्दी में उस च्छास के मटके को ऐसे ही खुला चोड़कर अपने काम के लिए चला गया.
00:44उस ग्वाले के घर से लग कर दो मेंड़क रहा करते थे.
00:49वे दो मेंड़क ऐसे ही घर के आजू बाजू घूनते घामते घर के खिड़की पर आकर बैड़ गये.
00:58उस खिड़की से दोनों मेंड़कों ने उस रखे हुए च्छास की तरफ दीखा.
01:05और फिर चलाँग लगा कर उस मत के में वो जागिरे.
01:10उस मत के में रखे हुए च्छास में विह तयर ने लगे, और फिर उस मत के से बाहर आने ती कोशिश करने लगे.
01:21दोनों मेंड़कों ने उस मटके के बाहर आने की कोशिश की
01:25पर उन कोशिशों के बाद भी
01:28दोनों भी उस मटके के बाहर नहीं निकल पाए।
01:33कुछ कोशिश करने के बाद एक मेंड़क निराश हो गया
01:37और बोला,
01:39आ, आ, मैं इतनी देव से इस छास में
01:43हाथ पाउ मार कर देव रहा हूँ,
01:47पर, पर उसका कुछ फाइडा ही नहीं हो रहा है।
01:52मुझे नहीं लगता मैं यहाँ से निकल पाउंगा।
01:56शायद, शायद मैं यही पर दम दोडने वाला हूँ।
02:00अगर मैं मरने ही वाला हूँ,
02:03तो बचने की कोशिश भी क्यों करूँ।
02:06ऐसा सोचकर, उसने हाथ पाउ मार कर तैरना छोड़ दिया।
02:12और आखिरकार, वह मैंडक उस छास में डूब के मर गया।
02:19लेकिन, दूसरे मैंडक ने हार नहीं बनी।
02:23वह हाथ पैर मारता रहा।
02:26वह तैरने की कोशिश करता रहा।
02:29उसने लगातार हाथ पैर मारने की कारण,
02:32उस छास का खूब मन्थन हुआ।
02:36और धीरे धीरे उसमें मक्हन जमने लगा।
02:41जैसे ही परियाप्त मक्हन तयार हुआ,
02:44तो वह मक्हन उस छास के सतह पर आ गया।
02:48और उस मक्हन का आधार लेकर,
02:51वहां मेंड़क एक चलांग में उस मटके के बाहर आ गया।
02:57इस तरह से उसके अथक परिश्रम के वज़ा से,
03:01वहां उस संकत से अपनी जान बचा पाया।
03:06तो बच्चों, इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है,
03:10कि हमें परिश्रम की पराकाश्ठा करनी चाहिए।
03:14और अंत तक किसी भी परिस्थिती में हार मान कर,
03:20कभी कोशिश करनी नहीं छोड़नी चाहिए।

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