Welcome to **Mor Aur Bulbul Ki Kahaniya** — a magical adventure filled with enchanting children's stories that ignite the imagination! ✨ Join us as we dive into a world of fun and wonder, where Mor and Bulbul embark on unforgettable journeys, teaching meaningful lessons along the way. These delightful tales are not just for entertainment; they spark creativity and bring joy to every child's heart. Perfect for bedtime stories or family gatherings, our vibrant animations and engaging narratives will keep your little ones enthralled! Don't forget to **like, subscribe**, and hit the notification bell for more amazing children's adventures! #ChildrensStories #MorAurBulbul
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00:00मोर और बुल्बुल एक उत्तमपुर नाम का गाव था।
00:05उस गाव से लगकर एक सुन्दर सा उपवन था।
00:09उस उपवन में कई प्रकार के पेड़, पोधे, पंची, प्राणी, फल, फूल सब थे।
00:16उस उपवन में सभी प्राणी और पंची बहुत आजाधी से यहां वहां घूम सकते थे।
00:23उपवन का पूरा वातावरन खुश हाल था।
00:27उस उपवन में एक मोर रहा करता था।
00:31वह मोर बहुत ही सुन्दर था।
00:34और उसके पंख तो और भी सुन्दर थे।
00:38बारिश के मौसम में वह मोर खुशी से जूम कर अपने पंख फुला कर बहुत सुन्दर तरीके से नाचता था।
00:49एसे ही बारिश के मौसम के एक दिन हमेशा की तरह वह मोर जूम कर नाच रहा था।
00:58अचनक उसके मन में गाने का ख्याल आ गया।
01:01और वहाँ मोर अपनी आवाज में गाने लगा।
01:12उसने अपनी खुद की आवाज सुनी लेकिन उसे ये बात समय में आ गई कि उसकी आवाज उसकी शरीर की तरह सुन्दर नहीं है।
01:24उसकी आवाज तो बहुत करकश है।
01:27उसे यह सोच कर बहुत दुख हुआ कि भगवान ने उसे जितना सुन्दर शरीर और पंख दिये हैं उतनी सुन्दर आवाज नहीं दी।
01:38और उसी गम में उसके आग से आशु बहने लगे।
01:44उसे उपवन में एक बुल-बुल भी रहा करती थी।
01:48वह मोर के पास आई और बोली,
01:52अरी मेरी टोस, तुम्हे क्या हुआ, तुम क्यों रो रहे हो, तुम इतने दुखी क्यों हो।
02:00उस पर मोर बोला,
02:04अरी बुल-बुल, मैं तुम्हे क्या बताओ,
02:07मेरा शरीर और ये पंख इतने खुब सूरत है,
02:11पर मेरे पास सुन्दर आवाज नहीं है।
02:15उस पर बुल-बुल बोली,
02:17उसमें दुख करने जैसे क्या बात है,
02:20तुम्हे इतना सुन्दर शरीर और पंख मिले है,
02:24उस पर मोर बोला,
02:39उस पर बुल-बुल बोली,
02:54तुम्हे निराशा होती है,
02:56क्योंकि मैं बहुत चोटी हूँ न,
02:59और वहां मूं मोड कर चले जाते हैं।
03:02तो मेरे दोस्त, अब सोचने वाले बात यह है,
03:07कि मेरी आवाज कितनी भी मिथी और सुरीली हो,
03:11पर मुझे तुम्हारे जैसा सुन्दर शरीर और पंख तो नहीं मिले न,
03:17फिर भी मैं दिन भर खुशी से गाती रहती हूं।
03:22ऐसा कहकर बुल-बुल वहां से उड़ गई।
03:27मोर ने बुल-बुल के बातों पर गौर किया,
03:30और उसे यह समझ आया,
03:33कि बुल-बुल एकदम ठीक कह रही है।
03:37उसे उसके आवास के बारे में भगवान को कोसने की बजाय,
03:42उसे तो उसके सुन्दर शरीर और पंखों की भेड देने के लिए,
03:47भगवान को बहुत धन्यवाद देने चाहिए।
03:52उस दिन से मोर ने कभी किसी बात की शिकायत नहीं की,
03:57और हमेशा के तरह बारिश में वह खुशी-खुशी नाच कर,
04:02भगवान को अपनी सुन्दर शरीर और पंखों के लिए,
04:07हमेशा धन्यवाद देता गया।
04:10तो बच्चों, इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है,
04:15भगवान ने हमें जो नहीं दिया, उसके लिए भगवान से शिकायत करने के बजाएं,
04:22अपने गुण पहचान कर उन गुणों के लिए,
04:26भगवान के परती हमेशा कृतग्यता भाव रखना चाहिए,
04:30और उसे व्यक्त करना चाहिए।