Planet Jupiter: The King Planet of Solar System | ..

  • 2 days ago
Jupiter is the largest planet in our solar system, is a gas giant and was the first planet of our solar system.This is an hindi informative channel, we explore the world & put videos on this channel for more interesting updates hit the subscribe button & press the bell icon.
Transcript
00:00दोस्तो ये तो आप जानते हैं होंगे
00:02कि पलनेट जुपीटर हमारे सोलर सिस्टम का किंदपलनेट है
00:05जोके बाकी सभी पलनेट्स से सिक बड़ा है और
00:08करोक्रक्टरिस्टिक्स में भी
00:09इन फैक्ट अगर कोई हमारे सोलर सिस्टम को दूर से देखे
00:12तो उसको बस सन दिखेगा और जूपिटर दिखाई देगा
00:15बाकि सब प्लेनेट्स उसे ऐसे लगेंगे
00:17जैसे कोई स्पेस का कचर है
00:19जूपिटर के साइस का अंदाज आप इस बात से लगा सकते हो
00:22कि अगर ये सोलर सिस्टम के सभी प्लेनेट्स को दो बार भी खा ले
00:25तो भी इसमें जगा बच जाएगी
00:30और जैसे हम जानते हैं कि जूपिटर सबसे बड़ा है
00:33तो ठीक वैसे ही ये सबसे जादा खतरनाग भी है
00:35अब ये देखो
00:36यहां साफ साफ लिखा है
00:38कि जूपिटर इंसानों के लिए सबसे खतरनाग प्लेनेट है
00:41अगर कोई इंसान जूपिटर पर जाए
00:43तो अभी वो जूपिटर की सबसे उपर वाली बादलों की लेयर तक भी नहीं पोचेगा
00:47इससे पहले ही जूपिटर की खतरनाग रेडियेशन से उसकी मोत हो जाएगी
00:50तो अगर हम जूपिटर को सोलर सिस्टम का सबसे खतरनाग प्लेनेट भी बोल दें
00:54तो शायद घलत नहीं होगा
00:56दोस्तो लास्ट टाइम मैंने अपने चैनल पर पॉल किया था
00:59के आपको नेक्स्ट वीडियो किस जिस पर चाहिए
01:01तो उस पॉल पर 70% से भी ज़ैदा लोगों ने जूपिटर को वोट किया था
01:05और उसके लावा मुझे काफी कमिंट्स ऐसे आते रहते थे
01:08जिनमें लोग बोलते थे के ब्रो जूपिटर पर भी वीडियो बनाओ
01:11तो आप सबका वेट इस वीडियो में खतम होता है
01:14क्योंके आज के इस वीडियो में हम सोलर सिस्टम के सबसे बड़े और सबसे खतरनाक प्लैनिट
01:18यानि प्लैनिट जूपिटर के बारे में डीटेल से डिसकस करने वाले हैं
01:22तो हमेशा की तरह ये वीडियो भी काफी जादा इंड्रेस्टिंग होगा
01:25इसलिए इसको एंड तक देखते रहना
01:27मैं हूं अब्दुल हन्नान और आप देख रहे हैं आपका अपना चैनल
01:30इंफो फैमिली
01:33तो दोस्तो अगर हमें जूपिटर को अच्छे से समझना है
01:36तो हमें इसकी कहानी को शुरू से शुरू करना पड़ेगा
01:38यानि हमें वक्त में पीछे जाकर ये देखना पड़ेगा
01:41के जूपिटर कैसे बना, क्यों बना
01:43और क्या होता के अगर जूपिटर होता ही ना
01:46क्या जूपिटर के होने या ना होने से हमारे सोलर सिस्टम को कोई फर्क पड़ता
01:50या फिर ये बेबुनियाद है
01:51तो चलो वक्त में पीछे चलते हैं
01:53और जूपिटर की कहानी को शुरू से शुरू करते हैं
01:56तो स्टार्ट करते हैं स्टोरी ओफ जूपिटर
02:01तो दोस्तो अगर बात की जाये जूपिटर की
02:03तो जूपिटर हमारे सोलर सिस्टम में बनने वाला सबसे पहला प्लानेट था
02:07ऐसा मना जाता है कि आज से 4.6 बिलियन साल पहले हमारे सोलर सिस्टम में कुछ नहीं था
02:12हमारे सोलर सिस्टम में बस गैस के बड़े बड़े बादल थे
02:15जोके फिर सुकडने लगे
02:17तो उनके सुकडने से हमारे सन का जनम हुआ और साती साथ जूपिटर का भी
02:21और दोस्तो ये तो आप जानते ही होंगे कि हमारा सन एक स्टार है
02:25तो जब भी एक न्यू स्टार का जनम होता है तो उसके गिरद धूल की एक डिस्क बन जाती है
02:29जिसे प्रोटो प्लैनेटरी डिस्क कहा जाता है और इसके नाम से ही इसका मेनिंग दिख रहा है
02:34प्रोटो प्लैनेटरी डिस्क यानी ऐसी डिस्क जो प्लैनेट्स बनाती है
02:38तो ये डिस्क एक स्टार के गिरद 5-10 मिलियन सालों तक रहती है उसके बाद ये खतम हो जाती है
02:44लेकिन जाने से पहले ये बहुत से प्लैनेट्स को बना जाती है जोके फिर उस स्टार के गिरद घूमने लगते हैं
02:50और ऐसा ही कुछ हमारे सन के साथ भी हुआ
02:52दोस्तों जब हमारा सन पैदा हुआ तो उसके गिरद भी धूल की एक डिस्क थी
02:56जिसमें बहुत से मैटर्स बनने लगे और आपस में टकराने लगे
03:00और इसी टकराओं के चलते जूपिटर भी बनना शुरू हो गया तो जूपिटर सबसे पहले बना
03:04और यही वजए है कि जूपिटर सबसे बड़ा है क्योंके दोस्तों सभी प्लानेट्स उसी धूल से बने हैं जिससे जूपिटर बना
03:11और इसी लिए जूपिटर सबसे बड़ा प्लानेट है क्योंके जो प्लानेट सबसे पहले बनेगा वो सबसे जाधा धूल को अपने अंदर खीच पाएगा
03:18और जो प्लानेट सबसे जाधा धूल खीचेगा तो डेफिनेंटली वो सबसे बड़ा प्लानेट होगा
03:23और मज़े की बात ये है कि जूपिटर उन्ही एलिमेंट्स से बना है जिन एलिमेंट्स से एक स्टार बनता है और वो एलिमेंट्स है हाइड्रोजन और हीलियम
03:31इन फैक्ट हमारा सन भी हाइड्रोजन और हीलियम से बना है तो जूपिटर बस साइज में चोटा रह गया वरना ये भी एक स्टार होता और इसलिए जूपिटर को एक फेल्ड स्टार भी कहा जाता है यानी एक ऐसा सितारा जो बनते बनते रह गया तो ये तो होगी जूपि
04:01प्लेनिट से है जोके बिना किसी टेलिसकोप के दिखाई देते हैं जी हाँ दोस्तों क्योंके मरकरी वीनस मार्स जूपिटर और सैटर्म ये पाँच ऐसे प्लेनिट से हैं जिनको हम बिना किसी टेलिसकोप के भी अस्मान में देख सकते हैं ये प्लेनिट से हमें एक बड़
04:32लेकिन कुछ बाते लोगों को अभी भी मालूम नहीं थी
04:35दोस्तों जूपिटर को देखने वाला सबसे पहला इंसान गैलिलियो था
04:38गैलिलियो ने 1610 में एक छोटी सी टेलिसकोप से जूपिटर को देखा
04:42और साथ ही साथ उसने जूपिटर के चार बड़े मून्स भी देखे
04:45तो गैलिलियो ये सब देखकर बहुत हरान हुआ
04:47क्योंकि उसको पहली बार ये पता चला कि अर्थ के लावा किसी और प्लेनिट के पास भी मून हो सकते हैं
04:53और एक नहीं बलके बहुत सारे भी हो सकते हैं
04:56गैलिलियो ने जूपिटर के जिन चार मून्स को देखा वो चार मून्स थे गैनी मीड
05:00आयो, यूरोपा और केलिस्टो और ये चारों मून्स जूपिटर के सबसे बड़े मून्स हैं
05:06तो अब हमने जूपिटर की स्टोरी भी देख ली इसकी डिस्कवरी भी देख ली
05:10तो अब जो सवाल बचता है वो ये है के जूपिटर क्यों जरूरी है
05:13क्या जूपिटर के होने या ना होने से कोई फर्क पड़ता है
05:16दोस्तो अगर जूपिटर ना होता तो अर्थ पर आज कोई लाइफ ना होती
05:20वो इसलिए दोस्तो क्योंके जूपिटर अर्थ के लिए एक शिल्ड की तरहां काम करता है
05:24अर्थ पर जो एस्ट्रोइट्स गिरने वाले होते हैं
05:27तो जूपिटर उनको अपनी हाई ग्राविटी की वादे से या तो दूर फैंक देता है
05:31या फिर उनको अपनी तरह खीच लेता है
05:33जिससे अर्थ पर आज लाइफ बनी होई है
05:35अगर जूपिटर ना होता, तो अर्थ और उसके पास के तीन प्लेनेट्स पर आज एस्ट्रोइट्स की बारीश हो रही होती
05:41यानि जूपिटर अपने आगे के चार प्लेनेट्स को एस्ट्रोइट्स से प्रोटेक्ट करता है
05:45अब सवाल ये है के आखिर ये एस्ट्रोइट्स कहां से आते हैं?
05:48तो दोस्तो इसका जवाब है के मोस्टली एस्ट्रोइट्स एस्ट्रोइट बैल्ट से आते हैं
05:53जो के मार्स और जूपिटर के बीच में मुझूद है
05:55इस बैल्ट में लगभग एक से दो मिलियन एस्ट्रोइट्स मुझूद है
05:59और 2021 में की गई स्टेडी के मुताभी कि ये पता चल है
06:02कि जिस एस्ट्रोइट्स से डाइनासोर का खात्मा हुआ था
06:05तो वो एस्ट्रोइट भी एस्ट्रोइट बैल्ड से आया था
06:07अब ज़दातर लोग ये सोचते हैं
06:09कि एस्ट्रोइट बैल्ड के अंदर जो एस्ट्रोइट होते हैं
06:11वो ऐसे होंगे जैसे वारिष का पानी
06:13यानि एक के बाद एक एस्ट्रोइट देखने को मिलेगा
06:16लेकिन दोस्तों ऐसा नहीं है
06:18क्योंकि अगर ऐसा होता
06:19तो कोई भी स्पेसक्राफ्ट जूपिटर तक ना पहुँच पाता
06:22उन एस्ट्रोइट के बीच मिलियन्स औफ किलोमेटर का डिस्टेंस होता है
06:25एक एस्टिमेट के मुदाबिक एक एस्ट्रोइट से लेकर
06:28दूसरे एस्ट्रोइट के बीच का जो डिस्टेंस है
06:31वो लगबग एक मिलियन किलोमेटर है
06:33और अगर हमारी अर्थ के डियामेटर को देखा जाए
06:36तो हमारी अर्थ का डियामेटर 12,742 किलोमेटर है
06:39यानि एस्ट्रोइट के बीच जो डिस्टेंस है
06:42तो इस हिसाब से उस डिस्टेंस के अंदर अर्थ जितने 235 प्लैनेट्स फिट आ जाएंगे
06:47तो खैर ये तो होगी जूपिटर की इंपोर्टेंस
06:49अब चलते हैं जूपिटर की गरेक्टरिस्टिक्स की तरह
06:51तो दोस्तों अगर बात करें जूपिटर की
06:53तो जूपिटर हमारे सोलर सिस्टेम का फिस्थ यानि पाँचमे नंबर वाला प्लैनेट है
06:57जो के सुरज से 5.2 एस्ट्रोनॉमिकल यूनेट्स दूर है
07:01अगर आपको एस्ट्रोनॉमिकल यूनेट्स का नहीं पता
07:03तो मैं आपको बताता चलूँ
07:05के सुरज और अर्थ के दर्मियान जो डिस्टेंस है
07:07तो अस डिस्टेंस को साइस की जुबान में एक एस्ट्रोनॉमिकल यूनेट कहा जाता है
07:11यानि जैसे अगर जूपिटर सुरज से 5 एस्ट्रोनॉमिकल यूनेट्स दूर है
07:15तो इसका मतलब वो अर्थ और सुरज से 5 गुना जाधा फासले पर है
07:19अर्थ पर तो सुरज की रोशनी 8 मिनट में पहुँचती है
07:21लेकिन वहीं जूपिटर पर सुरज की रोशनी को पहुँचने में
07:25पूरे 43 मिनट लग जाते हैं
07:27दोस्तो जूपिटर की रोटेशन सोलर सिस्टम के बाकी सभी प्लानेट से जाधा फास्ट है
07:31जहां अर्थ अपनी एक रोटेशन 24 गंटे में कम्प्लीट करती है
07:35वहीं जूपिटर सिरफ 9 गंटे 56 मिनट में अपनी एक रोटेशन को कम्प्लीट कर लेता है
07:39जिसकी वदा से ये सोलर सिस्टम का सबसे फास्ट रोटेशन वाला प्लानेट बनता है
07:43खायर जूपिटर फास्ट ऐस्ट सपीन तो करता है लेकिन ये फास्ट ऐस्ट रेवॉलूशन नहीं करता
07:48दोस्तो अर्थ तो अपना एक रेवॉलूशन 365 दिन में कम्प्लीट करती है
07:52लेकिन जूपिटर का ओर्बिट बड़ा होने की वज़ा से इसको सानके गिर्थ सिरफ एक रेवॉलूशन करने में पूरे 12 सार लग जाते हैं
07:58और मज़े की बात ये है कि अर्थ जब रेवॉलूशन करती है तो अर्थ पर मौसम बदलते रहते हैं
08:04जैसे गर्मी सर्दी बहार वगारा वगारा
08:06लेकिन वहीं अगर जूपिटर की बात करें तो जूपिटर पर मौसम है ही नहीं
08:10वहाँ का टेमपरेचर हमेशा उतना ही रहता है जितना वह शुरू से है और इसी दहाँ अगर जूपिटर के साइस की बात करें
08:16तो जूपिटर की चोड़ाई अर्थ से 11 गुना ज्यादा है और अगर जूपिटर के अंदर अर्थस को भरा जाये तो इसके अंदर 1312 अर्थस फीट आ जायेंगी
08:24इंफेक्ट जूपिटर के अंदर इतनी जगह है के ये सभी प्लेनेट्स को दो बार खा सकता है लेकिन फिर भी इसके अंदर जगह बच जायेगी और अगर आप खुद से जूपिटर के साइस का अंदाधा लगाना चाहते हैं तो आप अपने एक हाथ में अंगूर ले लो �
08:54जूपिटर के सबसे बड़े चान है और सोलर सिस्टम के सबसे बड़े तुफान भी जूपिटर पर आते हैं
08:58यानि जूपिटर का किसी भी छोटी चीज से लेना देना नहीं है इसकी हर चीज ही बड़ी है और यही वजए
09:04कि जूपिटर का नाम रोमन गोट्स के किंग के नाम पर रखा गया था
09:08जोके बाकी सभी देवताओं का राजा था और उन में सबसे बड़ा था
09:12तो जैसे मैंने बोला कि जूपिटर से जूड़ी हर शीजी बड़ी है
09:15जैसे कि इसकी मैंगनेटिक फिल्ड
09:17तो अगर इसकी मैंगनेटिक फिल्ड की बात करें
09:19तो इसकी मैंगनेटिक फिल्ड इतनी बड़ी है
09:21कि उसका साइज अर्थ की मैंगनेटिक फिल्ड से भी पूरे 20,000 गुना जैद है
09:26जोके साइज में पूरे के पूरे सुरत से भी बड़ी है
09:29और उसकी टेल एक बिलियन किलोमेटर तक फैली हुई है
09:32जोके इतना जादा डिस्टेंस है
09:34कि वो सन और सैटन के डिस्टेंस के आल्मोस्ट इक्वल है
09:37तो साइजन्टिस्ट कहते हैं
09:38कि अगर जूपिटर की मैंगनेटिक फिल्ड को देखा जा सकता
09:41तो यह हमें आस्मान में हमारे चांड के जितनी नजर आती
09:44दोस्तो अर्थ के कोर में पिगला हुआ मैटल है
09:47जिसकी बारे से अर्थ के गिर्द मैगनेटिक फिल्ड बनती है
09:50तो मज़े की बात यह है
09:51कि साइजन्टिस्ट अभी तक यह नहीं जानते
09:53कि जूपिटर के कोर में क्या है
09:55क्या वहाँ भी कोई पिगला हुआ मैटल है
09:57या फिर एक पत्थर है
09:58जोके साइज में अर्थ से भी 10-20 गुना बड़ा है
10:01तो दोस्तो जैसे मैंने वीडियो के शुरु में बताया था
10:03कि जूपिटर हमारे सोलर सिस्टम का सबसे खतरणाक प्लैनेट है
10:07जहां लैंड होने से पहले ही इंसान की मोत हो जायेगी
10:09तो क्या कोई बिना इंसान का स्पेस क्राफ्ट जूपिटर पर लैंड हो सकता है
10:13तो इसका जवाब है नहीं
10:15दोस्तो जूपिटर एक गैस जायाट है
10:17जहां गराउन है नहीं बलके सिर्फ गैसीज है
10:20और आपकी जानकारी के लिए मैं बताता चलूं
10:22कि हमारे सोलर सिस्टम में चार टेरिस्ट्रियल प्लैनेट्स हैं
10:25और चार गैस प्लैनेट्स हैं
10:27टेरिस्ट्रियल प्लैनेट्स ऐसे प्लैनेट्स को कहा जाता है
10:29जहां लैंड होने के लिए एक प्रॉपर सर्फस होती है
10:32यानि इस हिसाब से हमारे सोलर सिस्टम के पहले चार प्लैनेट्स
10:36यानि मर्क्यूरी, वीनस, अर्थ और मार्स टेरिस्ट्रियल प्लैनेट्स हैं
10:39या फिर सिम्पली आप इनको रोक प्लैनेट्स भी बोल सकते हो
10:42और अगर बात करें गैस प्लैनेट्स की
10:44तो गैस प्लैनेट्स ऐसे प्लैनेट्स को कहा जाता है
10:47जहां लैंड होने के लिए कोई भी प्रॉपर सर्फेस नहीं होती
10:50बलके वो प्लैनेट्स या तो गैसिस से बने होते हैं
10:53या फिर वो बरफ और पानी से बने होते हैं
10:55यानि इस हिसाब से हमारे सोलर सिस्टम के आखरी चार प्लैनेट्स
10:59यानि जुपिटर, सैटरन, यूरेनस और नेप्ट्यून गैस प्लैनेट्स हैं
11:02बट यूरेनस और नेप्ट्यून को अब आइस प्लैनेट्स भी कहा जाते हैं
11:05क्योंके ये प्लैनेट्स मोस्टली बरफ से बने हैं
11:08तो खएर जुपिटर पर वापिस आते हैं
11:10दोस्तों जैसे जुपिटर एक गैस जायनेट है
11:12तो वहाँ कोई भी प्रॉपर सर्फिस नहीं है
11:14बलके सिरफ और सिरफ गैसीज है
11:16जिन गैसीज का प्रेशर इतना जादा है
11:18कि अगर कोई स्पेस क्राफ्ट जुपिटर के अंदर लैंड होता है
11:21तो वह जुपिटर के अंदर गीरता ही सला जाएगा
11:23लेकिन इससे पहले वह जुपिटर के कॉर तक पहुँच पाए
11:26तो या तो वह उन गैसीज के प्रेशर से फटे जाएगा
11:29या फिर वह उनके एक्स्ट्रीमली होट टेंपरेचर के वादे से भाब बन कर इवापरेट हो जाएगा
11:33और ऐसा एक बार हो भी चुक है
11:35दोस्तों वैसे तो जुपिटर पर अब तक 9 स्पेस क्राफ्ट से भेजे जा चुक है
11:39लेकिन जो स्पेस क्राफ्ट जुपिटर के अंदर गया वो था गैलिलियो
11:43जब दो टुइन स्पेस क्राफ्ट यानी वोयजर 1 और वोयजर 2 जुपिटर के पास से गुधरते हैं
11:48तो वो दोनों ये बताते हैं कि जुपिटर के पास अपने रिंग्ज हैं
11:52और वो दोनों जुपिटर के कुछ नए मून्स को भी डिसकाबर करते हैं
11:55तो ये सब देखने के बाद साइन्टीस्ट सोचते हैं कि क्यों न एक ऐसा स्पेस क्राफ्ट डिजाइन किया जाए
12:01जो के जुपिटर के मून्स को अच्छे से स्टड़ी करे और जुपिटर के अंदर जख कर भी देख सके
12:06तो इन ही सब चीज़ों को मदे नज़र रख कर साइन्टीस्ट गलिलियो नाम के स्पेस क्राफ्ट को डिजाइन करते हैं
12:11जिसके अंदर वो एक चोटे से प्रोब को अटेच कर देते हैं जिसको वो फिर जुपिटर के उपर लैंड कराने का सोचते हैं
12:17तो जैसे ही वो प्रोब जुपिटर के अट्मोस्फेर के अंदर घूसा तो उसने क्या देखा और उसके साथ फिर क्या हुआ
12:23ये सब जाने के हम जुपिटर के पार्ट 2 में तो अगर जुपिटर का पार्ट 2 आ चुक है तो वो आपको स्क्रीन पर नजर आ रहा होगा अगर वो अभी तक नहीं आया तो लेफ्ट पर आपको प्लानेट मार्स का वीडियो दिख रहा होगा और राइट पर प्लानेट सै�

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