Dhruv Rathee - What if Internet Crashes in the Whole World | Dhr..

  • 2 months ago
It’s not possible to cut the internet by cutting a few cables. Yes you can stop it in a few places, but on a large scale internet will not be possible to shut down. That’s the advantage of decentralization of Internet. But what happened a few days ago was as close as it comes to that. Facebook, Whatsappp, Instagram all crashed for 5 hours. Combined 3 billion users. In this video, I talk about the history of the Internet, World Wide Web and the slow centralization of the web happening across the world.

0:00​ Introduction
0:42​ Facebook Instagram WhatsApp Crash
3:49​ History of the Internet
4:41​ Who invented it?
5:30​ What purpose did it serve?
6:05​ What is Internetworking?
7:01​ What is World Wide Web?
10:00​ Future of Internet
13:00​ Solutions

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Transcript
00:00Namaskar, दोस्तों!
00:01वैसे देखा जाए, इंटरनेट लिटरली एक नेट की तरह है.
00:04करोडो स्मार्टफोन्स, कंप्यूटर, सर्वर्स और धेरो डिबाईसिस से बना एक नेट.
00:09इस नेट में आप कुछ 2-3 धागे काड़ दो या 10-15 धागे काड़ दो.
00:13कुछ ज्यादा फरक नहीं पड़ता क्योंकि कनेक्शन बनाने के धेरो और तरीके मिल जाएंगे.
00:17इस नेट के एक एरिया को आप कट औफ कर सकते हो, जैसे कंट्रीज जब अपने देश के अंदर या कुछ रीजिन के अंदर इंटरनेट को ब्लॉक कर देती हैं, बंद कर देती हैं.
00:26लेकिन अगर हम लार्च स्केल पर बात करें, दुनिया के लेवल पर बात करें,
00:29तो दुनिया भर के सारे इंटरनेट को एक साथ क्रैश करना या स्विच ओफ करना
00:34थियोरटिकली पउसबल है लेकिन प्रैक्टिकली इमपॉसबल है.
00:37लेकिन इस प्राक्टिकली इंपॉसिबल चीज़ को अचीफ करने के
00:40कितने करीब आप आ सकते हो।
00:42इसका एक रियल लाइफ एक्जामपल हमें देखने को मिला
00:45कुछ दिन पहले जब फेस्बूक, वाटसैप और इंस्टेग्राम
00:47तीनो बड़ी सोचल मेडिया आप्स डाउन चली गई
00:50काम करना बंद कर दिया इन्होंने 5-6 गंटे के लिए
01:17अब मुझे पता है आप क्या सोच रहे होगे, कि ये तो इंटरनेट नहीं है, इंटरनेट इसके एलावा भी बहुत कुछ है
01:31लेकिन ये मत भूलिये दोस्तों कि दुनिया में मिलियन्स व लोगों के लिए यही इंटरनेट है
01:36जब आप इंटरनेट को इस्टिमाल करते हो, Majority of the time, आप WhatsApp पर किसी को Text Message भेजने के लिए करते हो, या Facebook या Instagram ब्राॉस करने के लिए करते हो, या फिर YouTube पर वीडियोस देखने के लिए करते हो
01:46अगर हम कई Developing countries की बात करें, धेरो ऐसी African countries हैं
01:49जो Facebook के Free Basics को इस्तेमाल करती हैं.
01:52यानि उनके स्मार्टफोन में Free Basics की App डली है
01:54जिसका इस्तेमाल करके वो बिना Data Charges के
01:57Facebook को विजिट कर सकते हैं
01:59और कुछ और गिनी-चुनी Websites हैं
02:00जो Pre-Decided है Facebook के दौरा.
02:02सिर्फ उसे ही विजिट कर सकते हैं
02:04और उनके लावा कोई और App नहीं चलती
02:06वो बाकि इंटरनेट को आक्सेस ही नहीं कर सकते हैं.
02:09अगर आपको याद हो, 2016 के अराउन
02:11इंडिया में भी बड़ी Controversy होई थी इस चीज को लेकर
02:13एक फेजबूक इंडिया में Free Basics लाने वाला था.
02:16लेकिन थैंकफुलि जनता ने आवाज उठाई थी इस चीज की अगेंस्ट
02:19और Free Basics को इंडिया में अपने Operations कैंसल करने पड़ें.
02:22लेकिन इतने धेरो लोग जो कि आज के दिन Free Basics इस्तेमाल कर रहे हैं
02:25उनके लिए फेजबूक डाउन जाने का मतलब है पूरा इंटरनेट डाउन जाना.
02:29जब ये फेजबूक, WhatsApp डाउन गए, हम सब लोगों ने इस चीज का काफी मजाग भी उडाया था,
02:33मीम्स भी बनाया थे कि ये देखो, अब लोग फाइनल या ओफलाइन अपना किसी चीज में टाइम बिता पाएंगे,
02:38लोगों को फाल्तू के WhatsApp, Forwards नहीं देखने को मिलेंगे.
02:41लेकिन रियलिस्टिकली बात करें, तो धेरो ऐसे चोटे बिजनसें हैं,
02:45जो फेजबूक पर डिपेंडेंट हैं अपना बिजनस चलाने के लिए.
02:47कई चोटे होटेल्स हैं, जो सिरफ फेजबूक मेसेजेज़ या WhatsApp का इस्तिमाल करते हैं,
02:51कॉस्टमर्स के साथ कमीनिकेट करने के लिए.
02:53कई ऐसे लोग हैं, जो बाकी एप्स में लॉग इन करते हैं, फेजबूक लॉग इन का इस्तिमाल करके.
02:58तो अगर आप जूम पर फेजबूक का लॉग इन उसकर रहे हैं,
03:00तो आप अपनी बिजनस मीटिंग नहीं कर पाएंगे, जब फेजबूक डाउन था तो.
03:03तो बहुत से लोग ऐसी ही बाकी एप्स को एकसेस नहीं कर पारें,
03:07स्मार्ट टीवी को एकसेस नहीं कर पारें,
03:08अगर उन्होंने फेजबूक लॉग इन उसकिया था तो.
03:10Overall मैं यह बताना चाहाँ रहा हूँ कि यह जो फेजबूक, वाटसैप, इंस्टाग्राम जब डाउन गए,
03:14दिखने में यह चीज काफी लाइट हार्टिट सी लग रही थी हमें,
03:17लेकिन इसके काफी भयांकर consequences थे दुनिया में कई लोगों के लिए.
03:21क्योंकि इंटरनेट काफी centralised बन गया है आज के दिन.
03:24एक टाइम था जब वाटसैप, इंस्टाग्राम, फेज़्बूक तीन अलग companies हुआ करती थी.
03:28लेकिन फेज़्बूक ने इन दोनों companies को खरीद लिया और अब सब कुछ फेज़्बूक के control में आ गया है.
03:33और यह चीज़ इतनी centralised है कि अब फेज़्बूक crash करता है तो वाटसैप और इंस्टाग्राम भी crash कर जाते हैं.
03:38Imagine कीज़े कि Google के servers भी crash कर जाते हैं तो Gmail और YouTube भी काम करना बंद कर दें.
03:43इंटरनेट आज के दिन इतना centralised हो गया है कि 2-3 companies ही पूरे इंटरनेट को मानों handle करने हैं.
03:48लेकिन जब इंटरनेट actually में invent किया गया था दोस्तों,
03:51तो इसका original purpose इसका बिल्कुल उल्टा था.
03:54आईए इसके इतिहास को देखते हैं.
03:59जमाना था Cold War का. USA और Soviet Union के बीच में Cold War चल रही था.
04:04American scientists और military experts को डर था कि अगर Soviet Union अमेरिका पर हमला करता है,
04:09एक मिसायल से भी उनका पूरा communication system destroy हो सकता था.
04:13क्योंकि इनका जो communication का system था उस वक्ष वक्ष वो काफी centralized था.
04:17जैसे कि landline phones होते थे.
04:19उन्होंने सोचा कि अगर हमें अपने system को और secure बनाना है,
04:22तो इसे decentralized करना पड़ेगा.
04:24ऐसा नहीं होना चीज़िए कि सिर्फ एक single computer पर हम rely करें,
04:28कि सारे communication उसी के थुझु जा रहे हैं.
04:30या फिर किसी single communication wire पर या line पर हम depend रहे हैं.
04:33ऐसी decentralization होनी चीज़िए,
04:35कि अगर पूरे system का कोई एक part भी fail हो जाता है,
04:38तो बाखी का part कम से कम function करता रहें.
04:411962 में, MIT के एक scientist थे, जिनका नाम था ये,
04:44ये USA की defence department की एक agency थी,
04:48ARPA करके, Advanced Research Projects Agency,
04:51उसमें काम करते थे.
04:52इन्होंने solution propose किया,
04:53कि सारे computers के बीच में,
04:55एक galactic network होना चीज़िए.
04:57एक ऐसा network,
04:58जिससे सरकार और सरकार के leaders,
05:00communicate कर पाएं एक दूसरे से,
05:02even if, Soviet Union हमारे देश का telephone system destroy कर दे तो.
05:061969 में, इसी idea के base पर,
05:09एक computer network develop किया गया,
05:11जिसका नाम था ARPANET.
05:12Advanced Research Projects Agency Network.
05:15ये उस वक्त के computers को link करता था.
05:29उस वक्त, computers मौजूद थे,
05:31universities, government agencies में,
05:33defence contractors के पास.
05:34और जो उस time के computers थे,
05:36वो बहुत बड़े हुआ करते थे.
05:38उन्हें main frames कहा जाता था.
05:40और उन्हें store करने के लिए,
05:41पूरी की पूरी basement भर जाती थी.
05:43अब इस ARPANET ने,
05:44computers को एक दूसरे से link तो कर दिया,
05:46लेकिन एक problem आए.
05:47हर computer उस time पर अपनी भाषा बोलता था.
05:49अलग-अलग softwares डले थे उन्हें,
05:51और incompatibility देखने को मिली,
05:53इन computers के बीच में.
05:55एक computer अगर किसी दूसरे system का इस्तिमाल करता हो,
05:57तो इसका basically मतलब ये था,
05:59कि आप Hindi में letter लिख रहे हो,
06:00और France बेजते हो,
06:01और expect करते हो,
06:18अलग-अलग भाषा समझ पाएं एक दूसरे को.
06:21इस invention को कहा जाता है,
06:23Transmission Control Protocol, या फिर TCP.
06:26बाद में नोंने एक additional protocol भी इसके आगे आड़ कर दिया था,
06:29Internet Protocol.
06:30तो इसे हम आज के दिन refer करते हैं,
06:33as TCP-IP.
06:35इस चीज को अकसर handshake भी कहा जाता है,
06:37क्योंकि अलग-अलग type of computers,
06:39एक दूसरे से हात मिला रहे हैं,
06:40और एक दूसरे की भाषा समझ पा रहे हैं.
06:42January 1st, 1983 में,
06:44ARPANET ने इस TCP-IP protocol को adopt कर लिया.
06:48लेकिन इस point of time तक, दोस्तो,
06:50Internet सिर्फ available था,
06:51Universities के पास,
06:52Scientists के पास,
06:53और सरकारों के पास.
06:54इन सब के बीच में information share करने के काम आता था.
06:57आम जनता ने,
06:58Internet को अभी तक नहीं चका था.
07:00आम लोगों के पास,
07:01Internet तभी आपाया,
07:03जब World Wide Web,
07:04www का invention हुआ.
07:06बहुत से लोग, अक्चिली में, दोस्तो,
07:08Internet और World Wide Web को,
07:10एक दूसरे से confused कर देते हैं.
07:11लेकिन reality में,
07:24वेबसाइट पर जाते हैं,
07:25www,
07:26वेबसाइट का नाम लिखकर,
07:27तो यहां पर आप,
07:28Web का इस्तिमाल कर रहे हैं,
07:30World Wide Web का इस्तिमाल कर रहे हैं.
07:31लेकिन अगर आप,
07:32अपने स्मार्ट टीवी पर,
07:33Netflix की एप खोल कर,
07:35Netflix देख रहे हैं,
07:36तो आप World Wide Web को एकसेस नहीं कर रहे हैं,
07:38आप Netflix की एप के जरीए,
07:40इंटरनेट पर मौझूद डेटा को एकसेस करने लग रहे हैं,
07:43एक एक्साम्पल से समझाता हूं,
07:44इमाजिन कीजिए एक मैप,
07:46जिस पर आप अलग-अलग शहर को देख सकते हैं,
07:48टाउंस को देख सकते हैं,
07:50और उन शहरों को सडकों से कनेक्ट किया गया है,
07:52तो इंटरनेट बेसिकली सडकों की तरह है,
07:54जो connection lines बिचाई जा रही हैं,
07:56शहरों और टाउंस के बीच में.
07:58World Wide Web अक्शली में वो चीज़ है,
08:00जो आपको सडकों पर दिखाई देती हैं,
08:02जैसे की घर और दुकाने.
08:04और जो गाड़ियां सडकों पर चलने लग रही हैं,
08:06वो अक्शली में डेटा है, जो move around करने लग रहा है,
08:08इंटरनेट पर.
08:10कुछ गाड़ियां इन सडकों से गुजरती हैं,
08:12अगर आप दिन भर Facebook पर बैठे हैं,
08:18Twitter पर हैं, Skype पर बात करते हैं,
08:20अपने स्मार्टफोन के दुआरा किसी और के साथ,
08:22Xbox पर गेम खेलते हैं,
08:24Online और Netflix पर कोई शो देखते हैं,
08:26तो पूरे दिन आप इंटरनेट पर थे,
08:28लेकिन web पर नहीं थे.
08:30तो इस वर्ल्ड वाइड वेब को इंबेंट किया था,
08:32एक ब्रिटिश साइंटेस्ट टिम बरनर्स ली ने,
08:34जो सर्न में काम कर रहे थे.
08:36यह इन्होंने किया था 1990 में.
08:38और 1991 में, इन्होने अपना सॉफ्टवेर,
08:40ओपनली पब्लिक के सामने एवेलेबल कर दिया,
09:00उनको इस साइंट के बाद मुझे पाचर जाने में को पैस दिया।
09:04तो उनके आपकी इंबेंचन गई यहाँ,
09:06वर्ल्ड वाइड वेब.
09:08यह इंबेंट करने के पीछे इनका बैसिकली परपस यह था
09:10कि दुन्या में कोई भी इंसान,
09:12और इंसान के साथ कोई भी इंफोमेशन शेयर कर पाए कभी भी.
09:16और इनके इस इंवेंशन की खास बात यह थी
09:18कि दुनिया में किसी के पास भी बस कम्प्यूटर होने की जरूबत थी
09:21और इंटरनेट का एक्सेस चाहिए था.
09:23और इंके इस इंवेंशन का वो फायदा उठा सकता था.
09:25ना सिर्फ इंटरनेट में मौझूद डेटा को एक्सेस किया जा सकता था
09:28बलकि इंके इस इंवेंशन के दुआरा
09:30और चीजें बिल्ड भी करी जा सकती थी.
09:32अपनी वेब साइट्स कुछ से बनाई जा सकती थी.
09:34एक जबर्डस्ट सेल्फलेस काम किया इन्होंने
09:37दुनिया में कुछ अच्छा करने के लिए.
09:39लेकिन आज के दिन टिम वर्नर्स ली का मानना है कि
09:42इनका कोट है एसपेशली, मैं आपको पढ़कर सुनाता हूं,
09:52इनका मानना है कि वेब आज के दिन
09:54कई माइनों में फेल हो चुका है.
09:56ये कोट कहते वक्त ये बेसिकली रेफर कर रहे थे
09:58कैम्बरिज एनलेटिका के स्कैम के बारे में.
10:01टिम का कहना है कि इन्होंने वेब इसलिए बनाया था
10:03ताकि हर इंसान इंटरनेट का फ्रीली इस्तिमाल कर सके.
10:06लेकिन आज के दिन कुछ कम्पनीज ने
10:08अपनी मुनॉपली जमाली है इंटरनेट पर.
10:10जैसे कि फेस्बुक और गूगल.
10:11और जबरदस्ट सेंट्रिलाइजेशन देखने को मिली है.
10:14शुरुवात में जो 1990s का जमाना था
10:17उस वक्त हर कोई वेब का इस्तिमाल करता था इमेल्स के थुरू.
10:20इमेल्स के थुरू कम्यूनिकेशन किये जाते थे.
10:22और आपकी जो इंफोमेशन थी और आपका जो डेटा था
10:25वो डारेक्ट होता था इन इमेल कम्पनीस के सर्वर्स के थुरू.
10:29जैसे कि Gmail, Yahoo Mail या Hotmail.
10:31उसके बाद आया Web 2.0.
10:33जिसे हम Social Media का Web करके बुलाते हैं.
10:36आज के दिन ज्यादधर इंफोमेशन को रूट किया जाता है
10:39इन बड़ी-बड़ी Social Media कम्पनीस के सर्वर्स के थुरू.
10:42और जैसे मैंने बताया वीडियो के शुरू में
10:43कुछ कम्पनी, जैसे कि फेस्बुक तो इस हद तक पहुँझ गई कि इन्होंने
10:46टेलिफोन प्रोवाइडर कम्पनीस के साथ पार्टनरशिप करनी शुरू कर दी
10:49कि हमारी आप आप फ्री में दो लोगों को
10:51और अगर उन्हें बाकी इंटरनेट को एकसेस करना है
10:54तो उन्हें उसके लिए अलग से डेटा चार्जिस देने पड़ेंगे
10:56तो इसलिए कुछ लोगों के लिए अब मतलब इंटरनेट का सिरफ फेस्बुक ही रह गया
11:01ऐसी सिच्वेशन्स को काउंटर करने के लिए
11:03बहुत से लोग इंक्लूडिंग टिम बात करते हैं
11:06वेब 3.0 की यानि इंटरनेट का फ्यूचर क्या होगा
11:10वे चहाते हैं इंटरनेट का वापस से एक नावि सांष्क फ्यूचर बने
11:14एक ऐसा इंटरनेट जो किसी एक कुमपडि के कंधों पर ना टिका हो
11:17एक ऐसा इंटरणेट जो किसी 2-3 कम्पेनीस के दोड़ा monopilize ना किया गया हो
11:22एक ऐसा इंटरनेट जो पूरी तरह से क्रैश नहीं कर जाता,
11:25लोगों के जिंदगी पर अफ़र नहीं डालता,
11:26अगर एक कमपनी के सर्वर्स क्रैश कर जाते हैं तो.
11:29बहुत से लोग अपने आइडियाज लेकर आये हैं
11:31इस नए डी-सेंट्रिलाइज्ड इंटरनेट को लेकर।
11:34जैसे कि जर्मनी में एक यंग कोडर ने
11:36एक डी-सेंट्रिलाइज्ड वर्जन बनाया ट्विटर अप का,
11:39इसे मास्टो डन करके कहते हैं।
11:41ब्लॉक्चेन जैसी टेकनॉलिजीज भी यही डी-सेंट्रिलाइज्ड लाने की कुशुश करती हैं
11:45हमारे फाइनैंचिल सिस्टम में.
11:47अब इंटरेस्टिंग चीज़ पता है क्या, दोस्तों?
11:48इसलिए टिम बर्णस ली भी खुद के एक प्लाटफॉर्म पर काम कर रहे हैं,
11:52अपनी मरजी का वेब 3.0 बनाने के लिए।
11:54इनके प्लाटफॉर्म का नाम है सॉलिड।
11:56सॉलिड यह कहते हैं कि ऐसा प्लाटफॉर्म है,
11:58जो इंडिविजिवल्स को खुछ से अथॉरिटी देता है,
12:01अपने डेटा को कंट्रोल में रखने की,
12:03इंसेड औफ कि हम अपना डेटा इन बड़ी-बड़ी कंपनीस के हातों में दें।
12:06इनकी राय में सॉलिड जो है, वो बेसिकली इंफरास्ट्रक्शर प्रोबाइट करेगा,
12:09कि आप अपना डेटा अपने पास कैसे रख सकते हैं,
12:12अगर कोई सोशल नेटवर्क सॉलिड का इस्तिमाल करता है अपने आपको बनाने के लिए.
12:16यानि कोई सोशल नेटवर्क अगर सॉलिड के ऊपर बिल्ड अपन है,
12:19तो उसमें क्या होगा, आपका डेटा एक personal pod में स्टोर किया जाएगा,
12:23instead of कि आपका डेटा इन कंपनीस के सर्वर में स्टोर किया जाएगा.
12:27तो ये कुछ नए आने वाले तरीके हैं दोस्तों,
12:29जिसकी मदद से इंटरनेट और वेब को और डी सेंट्रिलाइस करने की कोशिश करी जा रही है.
12:34ये होगा वेब 3.0, जिसमें डी सेंट्रिलाइस आप्स होंगी और डी सेंट्रिलाइस वेब होगा.
12:39अगर आपको ये सारी बाते काफी कंफ्यूजिंग लग रही हैं तो थोड़ा और पढ़ने की कुशिश कीजिए इसके बारे में.
12:48बिलते हैं फिर अगले वीडियो में. बहुत-बहुत धन्यवाद.
13:18अगर आपको ये सारी बाते काफी काफी कुशिश कीजिए इसके बारे में.

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