तुम रावण हो (और) अब भी माहिर थी

  • 2 months ago

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Transcript
00:00हमें यकीन है कि ये काहणी आपके दिल को चुड़ेगी. क्रपया अंत तक कुछ पूरी सुनिएगा.
00:11मिरा शरीर एक बहुती भयानक रेल दुरघटना हुई थी. बहुत से अन्य लोगों के साथ वो भी मारा गया था.
00:24उसकी लाश रेल की पत्रीयों पर भिख्री पड़ी थी. उसकी लाश को उठाकर एक चादर में समिटकर एक तरफ रख दिया गया था. तबी किसी ने पास पड़े दो हाथा और दो टांगे भी उसी चादर में डाल दी.
00:47उस लाश की आवाज आई. यह क्या कर रहे हो? यह हाथ और टांगे मेरी नहीं हैं. हाथ किसी और के हैं और टांगे किसी और की हैं. एक पत्थर दिल इनसान की आवाज आई. क्या फरक पड़ता है? तुम्हारे साथ इनका भी अंतिम संसकार हो जाएगा?
01:10तुम तो लाश हो. तुमको क्या फरक पड़ता है कि तुम्हारे साथ और क्या-क्या जल कर राक होगा? तभी लाश ने फिर कहा, यह बात तो ठीक है तुम्हारी.
01:25लेकिन जड़ा ध्यान से देख लेना कि मेरे हाथ और मेरी टांगे किसी ऐसी लाश के साथ न चले जाए, जिनको मेरी जाती से ग्रिणा हो और परिणाम सरूप मेरे हाथ पाउं जले बिना ही कहीं फैक दिया जाए.
01:46जबान बंद रख नहीं तो उसके आगे शायद उस आवाज को भी नहीं मालुम था कि क्या कहना था.
01:56आवशक्ता
01:58वो रेल की एक बहुति भेंकत दुरगटरन थी, बहुत से लग मारे गए थे, लेकिन अभी वो पूरी तरह से मारा नहीं था, उसमें अभी भी थोड़ी सी जान बाकी थी.
02:10वो रेल की पठड़ियों पर पड़त तरप रह था, तबी उसने एक आदमी को देखा और जोर से आवाज लगाई, बचाओ, मुझे बचा लो, वो आदमी उस तरपते हुए के पास आया और पूछा, तुम अभी जिंदा हो, वो तरपता हुआ लंबी लंबी सांसे लेने ल
02:41उस आदमी ने अपने कैमरामैन को संकेत किया, कैमरामैन ने कैमरा दूसरी तरफ घुमा दिया और किसी और द्रश्य को कैमरे में कैंट करने लगा
03:00अउसर, एक बड़ी रेल दुरगटना की खबर एक समाथ सेवा संस्था को मालुम चल गी, संस्था के मुख्या ने अपने एक सहयोगी से कहा, जल्दी से तैयार हो जाओ, एक भैयानक रेल दुरगटना हो गई है, बहुत से लोग मारे गए हैं, हमें जल्दी ही वहाँ पह�
03:30लेकिन वो जगा तो बहुत दूर हैं, मुख्या के सहयोगी को भी उस रेल दुरगटना की जानकारी मिल चुके थी, मुख्या ने कहा, मैंने जाहाच की टिकेट ले लिए, हाँ हमारी संस्था के बैनर और विजिटिंग कार्ड भी साथ ले लेना, सहयोगी ने कहा, इतनी ज
04:00मुख्या ने कहा, यार कोई चोटी दूरगटना थोड़ी है, हमारी खुब पबलिसिटी होगी, हमें लाशों को जलाने में अपनी संस्था का योगधान देना होगा, और फिर लाशों पर से गहने पैसे और कीमती समान और लोग भी तो ले जा सकते हैं, जिल्ड़ी करो, सम
04:30और ज़्यादर से ज़्यादर लाशों को संस्कार के लिए अपने कभजे में ले लेगे, आखिर हम समाच सिवास संस्था के मुख्या हैं, समवेदना, एक बड़ी रेल दूरगढटना में बहुत से लोग मारे गये थे, हाथ तरफ लाशे दिखरी पड़ी थी, मरने के बा�
05:00मैंने उन चार आत्माओं से पुछा, क्या तुम सब भी मेरी तरह रेल दूरगढ़ना में मारे गये थे, नहीं हम रेल दूरगढ़ना में नहीं मरे थे, वो फिर बोला, तो फिर तुम चारों कैसे मरे थे, एक ने कहा, मैं तो रेल दूरगढ़ना को देखने आय लोगों
05:30तो फिर तुम्हारे भगवान ने आकर इन लोगों को बचाया क्यों नहीं, जवाब में भीर ने मुझे ही पीट पीट कर मार दिया, क्या कहते हैं वो, हाँ मेरे लिंचिंग कर दिया, और अब मैं आत्मा बना तुम्हारे सामने कढ़ाओ, उसकी बात सुनकर वो एकड़म च
06:00मैंने तो सिर्फ यही पूछा था लोगों से, के रेल तो केंद्र सरकार के अंतरगत आती है, तो केंद्र सरकार ने क्यों कुछ नहीं किया, बस इतना सुनते ही मुझे सरकार के कुछ भक्तों ने मार दिया, वो फिर से हरान हो गया, लेकिन उसने कुछ भी नहीं कहा, अब त
06:30क्यों नहीं दिया, और उस दल ने सम्बेदना व्यक्त क्यों नहीं की, और मरने वाले और घाईलों के लिए कुछ सरकारी अनुदान क्यों नहीं दिया, फिर पता नहीं मुझे किसने अचानकी मार दिया, वो और भी हरान हुआ, लेकिन वो चौथी आत्मा की तरह
07:00किसने लोगों को लड़ते जगरते नहीं देख सका, और मेरा हाटफेल हो गया इस अनुदान को देख कर, कितने लोग और, बड़ी रेल दुरघटना में बहुत से लोग मारे गए थे, कुछ दिन के बाद सब साफ सफाई हो गई थे, एक रात को एक आदमी रेल की पत्रियो
07:31देखा तो उसने अपनी साइकल रोग थी, चौकिदार ने पूछा, क्यों भाई, क्या कोई अपना भी था उस रेल दुरघटना में
07:46पहले उस आशु बहाते ने इंकार किया, पर फिर हाँ में सर ला दिया, चौकिदार ने हरान ओकर कहा, ये हाँ और ना दोनोई मैं कुछ समझा नहीं, तुम कहना कै चाहते हूँ, वो रो रो कर बोला, वैसे तो वो सब अपने ही थे, लेकिन वो सब हर साल मुझे जल
08:16मैं हर साल जलता था, तो लोग खुशी मनाते थे, और पताके फोडते थे, चौकिदार ने फिर हरानी से पुछा, लेकिन तुम रावन कैसे हो सकते हो, क्योंकि तुम्हारा तो एक ही सर है, वो रोने वाला बोला, नजाने आज कितने ही कल युगी रावन इन मौतों से भी ल
08:47मेरे और नौ सर उन नए पन हुए रावनों के आसपास ही कहीं पड़े रो रहे होंगे, ये नए रावन समाज शेवक, नेटा, सरकारी करमचारी, और ब्रिश्ट प्रसास्निक लोगों के रूप में जनम लेते हैं.
09:08चौकीदार ने आगे आकर रावन को नमस्कार किया और फिर अपने रास्ते चल दे, अब भी माहिर थी, मालुं ही नहीं चला कि कब बच्चे बड़े हो गए और जिम्मिवारियां बरसी ही गई,
09:33बड़ी बेटी की युनिवर्स्टी की दाखिले की फीस के लिए जरूरी पैशों में अभी बीश हजार रुपयों की कम ही थी, बहुत हाथ पाउं मारे और इधर उजर महंगा पर बात नहीं मने, पत्मी ने सला दी, गाउं में हमारे इस्से की जमीन को ठेक पर दे दिजिय
10:03पर बड़ी भाभी हमेशा की तरह ही हमारी बाचित के बीच आ गई और कुछ न कुछ बोलने लगी, आखिर बड़े भाई को विशे ही बदलना पड़ा, अक्सरी जब मेरे और बड़े भाई की बाचित की बीच में भाभी आ जाती थी, तो बड़े भाई विशे बदल देत
10:33पाधों के बारे में अब किसे बात की जाये, सारी रात बस सोचते सोचते ही गुज़र गई, अगरी सुबा मेरी नींद जल्दी ही खुल गई, फिर्की से बाहर देखा तो बुरी मा दूर उगे हुए पाधों को एक जग से पाणी दे रही थी, मुझसे रहा नहीं गया,
11:03और मैं तुरंटी उठकर बाहर जाकर मा के पास ख़ड़ा हो गया, मैंने कहा इतना बड़े परिवार है और सुक से परिवार में इतने सारे लोगे हैं, पर मा इतनी भारी बाल्टी में पाणी भरकर लाकर जग से इन पाधों को सीचने का ठेका आपने ही लिया हुए, वो श
11:33इथर उधर देखा और फिर बाल्टी को एक तरफ रखकर अपने हाथ दुपत्ते से पोंचे और फिर जल्दी से एक रोमाल में बंदे हुए, बहुत से नोटों के बंदल निकाल कर मेरे कुर्टे की जेब में जबर्दस्ती डाल दी, मैंने हाथ से जेब में उन पैसो को च�
12:03मैंने लगा था के इतना कहकर माने मुझे चुप करवा दिया, बेटा जिस पौधे तक पानीवाला पाइप न पहुँचे वहाँ जग से पानी देना माली की मजबूरी बन जाता है, दूर उगे पौधे का भी उतना ही हक होता है जितना पास उगे पौधे का, मुझे समझ �
12:33बड़ी भावी को कुछ समझाना चाह रही थी, मुझे इस बात की तो खुशी थी कि मेरी बहुत बड़ी समस्या माने पैसे देकर हल कर देती, पर मुझे इस बात की ज़्यादा खुशी थी कि इतनी उम्र में भी मेरी मा एक तीर से दो शिकार करने में माहिर थी, मैंने आग
13:03पर तेरे बापुजी के खेटों की कमाई पर तेरा भी उतना है खक है जितना मेरे पास गाओं में रहने वाले तेरे बड़े भाई का, जब जाने से पहले मा ने मुझे गले से लगाया, तो मेरे आशु चला गाया, और मा में भगवान दिखने लगे, जो हर समस्या का समाध

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