नेता कैसा हो

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Transcript
00:00प्रेणा कथा नेता कैसा हो
00:08एक बार एक लड़के ने एक व्रिद्ध पुरुष से पुछा एक तेज दोडने वाला घोड़ा धीरे दोडने वाले घोड़े से अच्छा क्यों होता है?
00:20व्रिद्ध पुरुष ने कहा तेज दोडने वाले घोड़े ने ऐसी आदत का विकास कर लिया होता है जिससे वो अधिक शक्ति उत्पन कर सकता है ताकि वो धीरे दोडने वाले घोड़ों से ज्यादा तेर दोड सके है
00:35लड़के ने फिर कहा और अगर वही घोड़ा किसी गलत दिशा की तरब दोडना हो थो बुढ़े ने मुश्कुरा कर कहा तब तो वो अपनी शक्ति और अपनी उर्जा को धीरे दोडने वाले घोड़ों से बहुत जल्दी व्यार्थ कर लिता
00:50लड़के ने फिर कहा और अगर अन्य घोड़े भी उसके पीछे पीछे दोड रहे हो तो बुढ़े ने फिर कहा तो निष्चे ही वो उन सभी घोड़ों को भी गलत दिशा में ही ले जाएगा
01:02लड़के ने उच्छुकता से कहा तो फिर क्यों सभी घोड़े तेज दोडने वाले घोड़े के पीछे पीछे क्यों दोडते हैं बुढ़े ने कहा क्योंकि वो तेज दोडने वाला घोड़ा उनको आकर्षित करता है पर वो भूल जाते हैं कि हर चमकने वाली चीज सोना न
01:32उतारते हैं तो हम देखते हैं कि आपके चारो तरव बहुत से लोग हैं कुछ धीमे हैं कुछ बहुत तेज हैं कुछ तो वास्तव में
01:40अगर आप जीवन में धीरे हैं या धीरे दोडने वाले घोड़े की तरही हैं तो आपको एक ऐसी आदत का विकास करना होगा जिससे आप अधिक शक्ति का अपने चरितर में उतपादन कर सकें आपको अपने लक्ष की जानकारी होनी चाहिए
02:08आपको चीजों का विसलेशन हर द्रिष्टिकोंट से करना सिखना होगा आपको अपने सम्बंदों को और भी सुजड़ बनना होगा आपको अपने वच्णों पर खरा उतरना होगा अपनी वाक कला का विकास करना होगा साहस दिखाना होगा ध्यान केंद्रित करना सिखन
02:38आपको जल्दी जल्दी लेते हैं तो आपको खुद से ही हिसाब मांगना होगा और ये पुछना होगा कि क्या आप सही दिशा की तरफ जा रहे हैं के नहीं
02:48अगर आपका लक्ष नहीं है तो जितना भी तेज दौड रहे हैं कुछ भी हासिल नहीं होगा याद रखें सिर्फ कड़ा परिश्रम करने से ही सफलता नहीं प्राप्त हो जाती है आपका एक दृष्टिकोण होना चाहिए एक योजना होनी चाहिए इस थाइत पर होना चाह
03:18क्या आपको पक्का विश्वास है क्या आपका नेता सचा है क्या आपको पक्का विश्वास है क्या आगे आपका रास्ता बंद नहीं मिलेगा
03:26याद रखिये कि जीवन में यू टर्न भी संभव होते हैं परन्तु यू टर्न लेने या वापिस मुणने के परिणाम ज्यादा हानिकारक होते हैं हर कदम का मुल्यांकर किजिये ताकि कभी भी यू टर्न ना लेना पड़े
03:39सबसे बड़ी बात है आपका लक्ष अगर आप लक्ष को दिमाग में रखकर आगे बढ़ते हैं फिर गति थोड़ी धिमी होने से भी कुछ खास फरक नहीं पड़ता है किसी भी नेता के अंध भक्त मत बनिये
03:52बहुत से लोगों के विचारों को जानिये और ये बुल्यांकर किजिये के उनकी कही गई बातों या उनके द्वारा किये गए वादों में से कितने उन्होंने पूरे किये हैं
04:05वैसे तो किसी से वादा मत किजिये और अगर करी लेते हैं तो उस वादे को पूरा करने में अपनी जान लगा दिजिये
04:11सपने बेचने वाले तो आपको बहुत मिलेंगे दुनिया में पर आप सपनों की खरिदार मत बनियेंगा अपने सपने को साकार करने के तरह बढ़ते जाये और खुद को ही अपना नेटा मानिये जीवन में वही विक्ति सबसे आगे तक जाता है और सबसे अधिक सफल ह
04:41पिरिणा कथा
05:01पिरिणा कथा
05:03तुम सब उज्जो हो
05:07तुम सब उज्जो हो
05:09तुम सब उज्जो हो
05:11तुम सब उज्जो हो
05:13तुम सब उज्जो हो
05:15तुम सब उज्जो हो
05:17तुम सब उज्जो हो
05:19तुम सब उज्जो हो
05:21तुम सब उज्जो हो
05:23तुम सब उज्जो हो
05:25तुम सब उज्जो हो
05:27तुम सब उज्जो हो
05:30हमने अपने चात्रों को तीम वर्वों में विभाजित किया हुआ है
05:33उच्छे, मद्यम और निम्न
05:36हर कक्षा के तीम तीम खंड़ है
05:39आपको मद्यम कक्ष को पढ़ाना होगा
05:42गिताजिल्य ने कहा
05:45मैं तीम वर्वों के बारे में
05:49थोड़ा और जानना चाहूंगी
05:52पिंसिपल ने कहा
05:55जो सबसे कमजोर बच्चे होते हैं
05:58वो निम्न कक्षा में
06:00जो ना अच्छे ना बुरे हैं
06:02वो मध्यम में
06:04और जो सबसे अच्छे पढ़ने वाले बच्चे होते हैं
06:07आपकी कक्षा के चात्र ना तो बुरे हैं
06:10और ना ही अच्छे हैं
06:12गितांज़िली को इस प्रकार के पक्षपात से
06:15थोड़ी सी आसूग्दा होने लगी
06:17परन्तु इसने बच्चों को पढ़ाने का निर्णे ले ही लिया
06:20तहले दिन
06:22जैसे ही उसने कक्षा में प्रवेश किया
06:24चात्रों ने उसको कहा कि वो मध्यम चात्र थे
06:28गितांज़िली से ये सहन नहीं हुआ
06:32उसने तुरंती दर्वाजा अंदर से बंद कर दिया
06:36और खिल्टियों के शीशों को कागच से घर दिया
06:38ताकि कोई भी अंदर नहीं दिख सके
06:40उससे चात्रों से कहा
06:42आप सबको मैं एक विशेश बात बताना चाहती हूँ
06:46वास्तब में इसकून प्रशासन से गल्ती हो गई थी
06:50आप सब कुछ वर्ग के चात्रा हैं
06:53गल्ती से प्रशासन ने आपको मध्यम चात्र गोशित कर दिया
06:57पर मैं आपको कह रही हूँ कि आप सभी उच्च हैं
07:01उसने उन बच्चों को ऐसे ही पढ़ाना शुरू किया
07:05जैसे कि वो सभी पढ़ने में बहुत ही अच्छे थे
07:08वो उनसे बहुत अधिक आशाएं लगा कर पढ़ाने लगी
07:12धिरे धिरे वो बच्चें भी अपने आपको उच्च मानने लगे
07:16और उनका अपने उपर विश्वास बढ़ने लगा
07:19वर्ष समाप्थ होते होते उस कक्षा के चात्रों को
07:23और उनको प्रिंसिपल के द्वारा उच्च गोशित कर दिया गया
07:54यह बिल्कुल सत्य है अगर आप किसी चात्र को कक्षा के सामने कह देते हैं
07:59कि वो सबसे बुद्धिमान है आला कि वो होता नहीं है
08:03चात्र उसका चात्र पर बहुती अच्छा प्रभाव पढ़ता है
08:07वो चात्र अब अपने सम्मान के लिए पढ़कर यह प्रमानित करने में लग जाता है कि वो वास्तर में ही बुद्धिमान है
08:14काश सभी माबाब, सभी शिक्षक और सभी मालिक अपने बच्चों, अपने चात्रों और अपने करमचारियों को उच्छ कहकर ही उनसे उच्छ श्रेणी का व्यावार करने लगे
08:24तो यह दुनिया तो बिल्कुल ही बदल जाएगी होता बिल्कुल उल्टा ही है
08:29कमजोर चात्र को बार बार कमजोर कहे कर इतना हतवत्साहित कर दिया जाता है कि उसके उपर आनी की उमंग ही समात्थ हो जाती है
08:39अगर आप इस सिद्धान्त का या इस प्रक्रिया को अपना लेते हैं तो आप कमसे कम अपने बच्चों और उन लोगों के जीवन में तो परिवर्तर लाई सकते हैं
08:49जो आपके नज़िक होते हैं या जिनके साथ आप काम करते हैं
08:54सभी को उच्छवर्ण में रखिये और उनके साथ उच्छवयहर किजिये आप दिखेंगे के वो कैसे जल्ली जल्ली उपर पहुँच जाते हैं जड़ा सुचिये न
09:24प्रेणा कथा
09:36प्रेणा कथा चोटी सी शुरुवत
09:41लगबर तीस वरस का एक नौजवान प्रतिन इन प्रसिद्ध टाटा केंसर ओस्पिटल के साँने सड़क के उस पाल फुटपाक पर खड़ा होकर अस्पताल के साँने भीर को देखा करता था
09:56लोगों के चेहरों पर भाय इसपश्ट जलगता था
10:22जदधर कैंसर के रोगी बहुती गरीब होते थे और वो सभी दूर दूर के शेहरों या गाउं से आये होते थे वो बिचारे तो ये भी नहीं जानते थे के उस असपटाल में उनको किस से मिलना था और इलाज शुरु करवाने के लिए क्या क्या करना था
10:39गाउं से आये जदधर गरीब रोगियों और उनके रिष्टेजारों के पास दमाईया खरीद दे और भरपेट खाना खरीद दे के लिए भी पैसे नहीं होते थे उन आज़वान उनकी हालत को दिखकर बहुती दुखी होता था वो भारी कद्बों से अपने घर चला जाया क
11:09उसका अपना एक चोटा सा होटल था वहाँ व्यापार अच्छा होता था परन्तु उसने अपने इस होटल को किसी और को किराई पर दे दिया और उससे पैसे दे लिया उन पैसों से उसने टाटा सेंटर हॉस्पितल के सामने ही एक अनुदान संस्था शुरु कर दी ये �
11:40परन्तु आज वो गर्व से कह सकता है के 27 साल विद्ये हैं और वो अभी भी गरीवों के बदद में ही लगा हुआ है
11:49उस तौजवान दे कैंसर के रोगी और उनके रिष्टजारों को मुफ्त में खाना देना शुरु किया
11:56उस तौजवान को उसके दोस्तों और आसपास की बिल्डिकों के रहने वाले लोगों ने भी बहुत मदद की पास पड़ास के सभी लोग उसको बढ़ चड़ कर सहयोग कर लगे
12:07शुरु में उसने पचास लोगों को एक दिन में खाना देना शुरु किया परन्तु कुछी दिनों में ये संख्या पचास से बढ़ कर दो सो होगी जैसे जैसे रोगियों की संका बढ़ती गी उस तौजवान को मदद करने के लिए और भी लोग आने लगे
12:22वर्ष बीतने लगे और यही क्रम जारी रहा गर्मी सर्दी हो या बरसात उस नौजवान ने गरीब रोगियों और उनके रिष्टेधारों को दिन रात खाना देना जारी रखा
12:34मुंबई की बरसातों में काम बहुत कठिन हो जाता था परन्तु उस ने हार नहीं बानी कुछी महिनों में मुफ्त में खाना पाने वाले लोगों की संख्या साथ सौ तक पहुँज गी उस नौजवान का नाम हरक चरंच सावला है उन्होंने गरीबों की सेवा करना जारी र
13:05उन्होंने कैंसर से पीड़ी बच्चों के लिए एक खिलोनों का बैंक भी शुरू किया
13:10कुछी दिनों में उनके बैंक में लोगों ने हजारों खिलोने लाला कर डान देने शुरू कर दिया
13:16हरक चरंच सावला जी के द्वारा इस्ठापित ट्रस्ट का नाम जीवन द्योत है
13:22आज उनकी संस्था साथ से अधिक जन हितकारी प्रोजेक्ट चला रही है
13:31सावला जी अभी 57 वर्ष के हैं परतु वो अभी भी एक नौजवान की तरही जोस्च से काम करते हैं
13:38और हजारों गरीव रोगियों और उनके रिष्टधारों को खाना, दवाईयां और अन्य चीजें मुफ्त में देते हैं
13:45उनके साहस, अथक परिश्रम और लगन के लिए हम शरीः सावला जी को सलाम करते हैं
13:52एक चोटी सी शुरुवात, आज हजारों रोगियों के लिए वास्तव में ही जीवन जीवत वन गई है
13:58मित्रों, हो सके तो आप भी जितना वन पड़े, गरीबों और गरीब रोगियों की सेवा कीजिए
14:05और दिल खोल कर ऐसे कामों में आर्थिक या अन्य किसी तरह से अपना योगदान दीजिए
14:11आप भी दुनिया को और सुन्दर बना सकते हैं
14:34प्रेर्णा, कथा, साधारन सी बात, बहुत पुराने समय की बात है
15:04एक दिन एक साधु के पास एक व्यक्ति आया
15:09उस व्यक्ति न कहा महराज मुझे अपने विचारों के प्रवाः से बहुत परिशानी हो रही है
15:17साधु महराज ने उसकी बात सुनी और कहा तुम्हारी समस्या कोई मड़ी नहीं है
15:24तुम ऐसा करो नदी किनारे के आश्रम के पास मेरे मित्र से मिल लो
15:31मेरा मित्र साधु एक सराय चलाता है
15:36तुम इससे जीवन का सही मार्ग प्राप्त कर लोगे
15:42व्यक्ति आश्रम के पास की सराय में पहुंध गया
15:47मित्र साधु उस सराय का रखवाला था
15:50वो व्यक्ति उस सराय में रहकर प्रति दिन सराय के रखवाले साधु की दिनचर्या देखता रहा
15:59उस साधु की दिनचर्या बिल्कुल सामान नहीं थी और कुछ भी खास बात नहीं थी
16:04वो साधु बहुती सरल और निर्दोस शिशु की तरह था
16:09उमित्र साधु रात में ठीक सोड़े से पहले और सुबह उठने के तुरंद पार क्या करता था
16:15ये सब कुछ व्यक्ति ने बहुती ध्यान से देखा परन्तु वो कुछ खास नहीं देख पाया
16:23आखरी दिन उस व्यक्ति ने मित्र साधु से कहा
16:26महराज मैं आपकी दिनचर्या बहुत दिनों से देख रहा हूँ
16:35आप मुझे कुछ अपनी दिनचर्या के बारे में खास बता जा
16:45साधु मित्र ने कहा
16:47रात को सेओने से पहले मैं सराई के सारे बரतर माईता
16:54और धोता हूं क्योंकि रात में उन्हें फिर से थोड़ी धूल जमजाती है
16:59इसलिए मैं सुबहे उत़कार उन बरतरो को हुआ पिरसे मायता हूं
17:03मैं सराय का रखवाला हूँ इसलिए बर्तनों को बिल्कुल साफ रखना मेरा काम है।
17:09वो व्यक्ति कुछ समझा नहीं।
17:12वो निराश होकर पहले वाले सादु के पास वापिस चला गया।
17:15उसने अपने उन सादु गुरुजी से कहा,
17:19महराज, आपके मित्र सादु के पास मैंने कुछ दिन बिताए,
17:24परन्तु मुझे कुछ भी खास नहीं मिला।
17:28उस व्यक्ति ने गुरु सादु को पूरी बात कै सुनाई।
17:32गुरु सादु ने कहा, बेटा,
17:35जो कुछ भी जानने योगि था,
17:39तुम सुन और देख आये हो,
17:43परन्तु तुम समझ नहीं सके।
17:48रात को सोने से पहले,
17:51तुमको भी अपने मन को माझना होगा,
17:54अर्थात, प्रभु में ध्यान लगाना होगा।
17:58और सुबह उठने के बाद,
18:01फिर से उस मन को माझना होगा।
18:04हर शाम सोने से पहले और उठने के बाद,
18:07तुमको खुद को माझना और धोना होगा।
18:10इसी तरह प्रति दिन करते करते,
18:13दिरे दिरे तुमारा चित निर्मल हो जाएगा।
18:16हर वेक्ति को जीवन में बस इसी बात का ध्यान रखना चाहिए।
18:19अपने चित की सफाई नितानत अवश्यक है।
18:22बुरे विचार अपने आपी बहाँ निकल जाएगे।
18:25वेक्ति के स्वच रहने और मन के निर्मल रहने से ही,
18:30सारा जीवन स्वच हो जाता है।
18:33जो लोग इसप्रकार अपनी दिर्चर्या को भूल जाते हैं,
18:37वो अपना विनाश स्वेम ही करते हैं।
18:41तन की शुद्धी पानी, साबुन, त्यादी से हो जाती हैं,
18:45परतु मन की शुद्धी सुबह-शाम प्रभू की पूजा और ध्यान लगाने से ही हो सकती है।
18:51जड़ा स्वच कर देखो।
19:07प्रेणा कथा
19:17प्रेणा कथा
19:23बेल का फल
19:27Dr. Radhakrishnan का नाम तो शायद आप सभी ने सुना ही होगा।
19:33यह उन दिनों की बात है जब वो रूस में भारत के राज जुत थे।
19:40रूस के सरवोच निताया ताना शा इस्टेलिन को लहव पुरुष कहा जाता था।
19:47एक बार इस्टेलिन के जनम दिन पर Dr. Radhakrishnan भी उनको बढ़ाई देने के लिए इस्टेलिन के निवास स्थान पर पहुँचे।
19:56उनने इस्टेलिन को तोफे के रूप में बेल का एक फल दिया।
20:03वहाँ उपस्टित लोगों में से किसी भी विदेशी विक्ति ने पहले बेल का फल नहीं देखा था। सभी लोग अश्चारे से उस फल को देखने लगया।
20:13उनने डॉक्टर राधाय पिश्णन से उस फल के बारे में पूछा। उनने ये भी पूछा कि क्या उस फल को उपहार के रूप में देने के बिचे कोई खास उद्देशी था।
20:26डॉक्टर राधाय पिश्णन ने उन सभी को बताया कि वो बेल का फल था। उनने कहा हमारे भरत में इस फल को भगवान शंकर का सबसे खास फल माना जाता है। यह फल बहुत से रोगों से भी मुक्ति दिलाता है।
20:44यह फल बाहर से बहुत कठोर होता है बिल्कुल लकडी के तरह पर अंदर से बहुत कॉमल होता है रस से भड़ा होगा। यह खाने में बहुत मीठा होता है और उसकी तासीर भी थंडी होती है। यह मन को बहुत शांती पहुंचाता है।
21:01एक विक्ति ने उनको कहा इस फल को इस्टैलिन को देने के पिछे क्या तात पर रहे है। डॉक्टर रदा कृष्ण ने कहा मैंने यह फल आज इस्टैलिन को प्रतिकाक्तमक उपहार के रुप में दिया है। इस्टैलिन स्वेम भी बेल के फल की तरह ही है। लोग उनको र�
21:31डॉक्टर रदा कृष्ण के मुझे अपनी प्रसंसा सुनकर इस्टैलिन भी बहुत फुश्वी है।
22:01पार्टी में उपस्थित लोगों ने कहा के डॉक्टर रदा कृष्ण पहले व्यक्ती थे जिनोंने इस्टैलिन का सबसे सही मुल्यांकर किया था। उस दिन के बाद लोग रूस में डॉक्टर रदा कृष्ण का बहुत अधिक सम्मान करने लगे हैं।
22:18मित्रों सही समय में बोले गए सही शब्द लोगों के दिलों को जीत लेते हैं। यह शब्दों के ही ताकत है जिससे कठोर से कठोर व्यक्ती का हर्दे भी पिधल जाता है और वो मित्र बन जाता है। मित्रों कम बोलिये पर जब भी बोलिये ऐसा बोलिये के सुनने वाल
22:48करते हैं।

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