प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार महीने के लंबे अंतराल के बाद रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम के 111 वें एपिसोड में को संबोधित किया. इस दौरान पीएम ने हूल दिवस की चर्चा की और अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में संथाल जनजाति के भाइयों सिद्धो-कान्हू के बलिदान को याद किया। पीएम ने कहा, आज 30 जून का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। हमारे आदिवासी भाई-बहन इस दिन को 'हूल दिवस' के रूप में मनाते हैं। यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचारों का डटकर विरोध किया था। वीर सिद्धो-कान्हू ने हजारों संथाल साथियों को एकजुट किया और अंग्रेजों से पूरी ताकत से मुकाबला किया। क्या आप जानते हैं कि यह कब हुआ था? यह 1855 में हुआ था, यानी 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से दो वर्ष पहले की बात है। तब झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठाए थे। पीएम ने कहा कि हमारे संथाली भाई-बहनों पर अंग्रेजों ने बहुत सारे अत्याचार किए थे, उन पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दिए थे। इस संघर्ष में अद्भुत वीरता दिखाते हुए वीर सिद्धो और कान्हू शहीद हो गए। उन्होंने कहा, झारखंड की भूमि के इन अमर सपूतों का बलिदान आज भी देशवासियों को प्रेरित करता है।
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00:00Today, on 30th June, this day is very important.
00:07Our tribal brothers and sisters celebrate this day as Hool Day.
00:15This day is associated with the courage of the brave Siddhas
00:21who had strongly opposed the torture of foreign rulers.
00:28The brave Siddhas united thousands of brave warriors
00:35and fought the British with all their might.
00:40Do you know when this happened?
00:42This happened in 1855.
00:46That is, this happened two years before the first independence struggle of India in 1857.
00:56At that time, our tribal brothers and sisters had taken up arms against foreign rulers in Jharkhand.
01:08The British had tortured our brothers and sisters.
01:15They had imposed many restrictions on them.
01:19In this struggle, the brave Siddhas and Kanus were martyred.
01:29The sacrifice of these immortal communities on the land of Jharkhand still inspires the people of the country.