मानत ना मन मोरा साधु - शब्द | sant rampal ji maharaj
मानत ना मन मोरा साधु - शब्द | sant rampal ji maharaj
मानत ना मन मोरा साधु शब्द के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज ने हमें समझाने की कोशिश की है कि इस संसार में में कुछ समय का जीवन है। इसमें कबीर परमेश्वर की भक्ति करके सतलोक जाने की कोशिश करो। संत रामपाल जी महाराज ने बताया है कि कबीर परमेश्वर हमारे परम पिता हैं और वहीं कबीर परमेश्वर सतगुरु की भूमिका करते हैं। सतगुरु अपने शरणागत शिष्य को भोला बालक समझ कर माफ कर देते हैं। संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि हमें तो केवल सतगुरु की शरण में पड़े रहना है। सतगुरु से ऐसा लगाव रखना है जैसे सुई और धागे का होता है।
मानत ना मन मोरा साधु शब्द के माध्यम से संत रामपाल जी महाराज ने हमें समझाने की कोशिश की है कि इस संसार में में कुछ समय का जीवन है। इसमें कबीर परमेश्वर की भक्ति करके सतलोक जाने की कोशिश करो। संत रामपाल जी महाराज ने बताया है कि कबीर परमेश्वर हमारे परम पिता हैं और वहीं कबीर परमेश्वर सतगुरु की भूमिका करते हैं। सतगुरु अपने शरणागत शिष्य को भोला बालक समझ कर माफ कर देते हैं। संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि हमें तो केवल सतगुरु की शरण में पड़े रहना है। सतगुरु से ऐसा लगाव रखना है जैसे सुई और धागे का होता है।
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