#राजीव_गांधी प्रधानमंत्री रहे हों या नहीं, लेकिन राजस्थान से उनका खास जुड़ाव रहा। खासकर अलवर में सरिस्का और पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर उनकी पसंदीदा जगह रहीं। उन्होंने दोनों स्थानों पर तीन—तीन बार विजिट की। यहां तक कि सरिस्का में तो एक बार कैबिनेट बैठक बुलाना ही काफी चर्चा में रहा। निधन से दस दिन पहले जोधपुर में उनकी जनसभा की रिकार्डिंग सुनकर तब लोगों की आंखें नम हो जातीं थीं।
*बाघ को शिकार करते देख हुए रोमांचित*
आज राजीव गांधी की पुण्यतिथि है। राजीव गांधी का अलवर से खास लगाव था। विशेष रूप से सरिस्का उनकाे बेहद पसंद था। इसलिए वे तीन बार सरिस्का आए। राजीव गांधी पहली बार 1970 में पत्नी सोनिया गांधी के साथ आए। इस दौरान उन्होंने सरिस्का घूमते हुए दो बार टाइगर को शिकार करते हुए देखा। इसे देखकर वे राेमांचित हुए और सरिस्का काे पसंद करने लगे।
*सोनिया—राहुल—प्रियंका के साथ फिर आए सरिस्का*
इसके बाद वे सन् 1975 में पत्नी सोनिया और राहुल—प्रियंका के साथ अलवर आए। इस दाैरान उनकी कार अलवर में खराब हाे गई। कार काे ठीक कराने के लिए अट्टा मंदिर के पास लाया गया। इसके बाद वे अपने परिवार के साथ शहर में म्यूजियम देखने के लिए गए। कार ठीक होने के बाद वे सरिस्का गए। राजीव को सरिस्का इतना पसंद आया कि प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हाेंने दिसंबर 1987 में प्रधानमंत्री के रूप में अपनी कैबिनेट की मीटिंग सरिस्का के हाेटल टाइगर डैन में की। तब सरिस्का को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खूब ख्याति मिली। यह संभवत: दिल्ली के बाहर किसी पीएम की पहली कैबिनेट मीटिंग थी।
*निधन से दस दिन पहले जोधपुर में आमसभा*
अपने जमाने के युवा तुर्क रहे राजीव गांधी अपने निधन से केवल दस दिन पहले जोधपुर में आम सभा संबोधित की थी। यह संभवत: उनकी राजस्थान की अंतिम आमसभा थी। तब लोगों ने उनके भाषण की रिकार्डिंग की थी। क्या पता था कि दस दिन बाद ही इसे नम आंखों से सुनेंगे। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का 21 मई 1991 में श्री पैरुम्बुदूर में बम ब्लास्ट में निधन हो गया था। वे इससे दस दिन पहले ही जोधपुर आए थे।
*राजीव की आवाज गूंजी, कहां है अशोक*
जोधपुर में हुई उस आम सभा में वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, तत्कालीन पूर्व विधायक मानसिंह देवड़ा और प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन महामंत्री जुगल काबरा मंचासीन थे। उस सभा के लिए राजीव को बम्बा—हाथीराम का ओडा से होते हुए घंटाघर के सामने मंदिर के बाहर उतारा गया था। राजीव स्टेज पर पहले पहुंच गए और गहलोत पीछे रह गए। तब राजीव गांधी ने कहा था, अरे भई अशोक कहां है ? राजीव ने जैसे ही यह बोला माइक पर उनकी आवाज गूंज उठी थी।
*भाषण की रिकार्डिंग को सुन आंखें हुई नम*
इस सभा में हजारों का जन सैलाब उमड़ा था। तब मोबाइल का जमाना तो था नहीं, उनका भाषण लोगों ने रिकार्डर पर रिकार्ड किया। कुछ दिन बाद ही जब राजीव का बम ब्लास्ट में निधन हुआ तो नई सड़क की दुकानों पर उनका भाषण कई दिनों तक सुना गया। उनकी गूंजती आवाज को सुनकर लोग वहीं रुक जाते और जोधपुर के अंतिम भाषण को सुनकर उनकी आंखें नम हो जातीं। जोधपुर की सभा की याद में यहां उनकी प्रतिमा लगाई गई है।
*बाघ को शिकार करते देख हुए रोमांचित*
आज राजीव गांधी की पुण्यतिथि है। राजीव गांधी का अलवर से खास लगाव था। विशेष रूप से सरिस्का उनकाे बेहद पसंद था। इसलिए वे तीन बार सरिस्का आए। राजीव गांधी पहली बार 1970 में पत्नी सोनिया गांधी के साथ आए। इस दौरान उन्होंने सरिस्का घूमते हुए दो बार टाइगर को शिकार करते हुए देखा। इसे देखकर वे राेमांचित हुए और सरिस्का काे पसंद करने लगे।
*सोनिया—राहुल—प्रियंका के साथ फिर आए सरिस्का*
इसके बाद वे सन् 1975 में पत्नी सोनिया और राहुल—प्रियंका के साथ अलवर आए। इस दाैरान उनकी कार अलवर में खराब हाे गई। कार काे ठीक कराने के लिए अट्टा मंदिर के पास लाया गया। इसके बाद वे अपने परिवार के साथ शहर में म्यूजियम देखने के लिए गए। कार ठीक होने के बाद वे सरिस्का गए। राजीव को सरिस्का इतना पसंद आया कि प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हाेंने दिसंबर 1987 में प्रधानमंत्री के रूप में अपनी कैबिनेट की मीटिंग सरिस्का के हाेटल टाइगर डैन में की। तब सरिस्का को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खूब ख्याति मिली। यह संभवत: दिल्ली के बाहर किसी पीएम की पहली कैबिनेट मीटिंग थी।
*निधन से दस दिन पहले जोधपुर में आमसभा*
अपने जमाने के युवा तुर्क रहे राजीव गांधी अपने निधन से केवल दस दिन पहले जोधपुर में आम सभा संबोधित की थी। यह संभवत: उनकी राजस्थान की अंतिम आमसभा थी। तब लोगों ने उनके भाषण की रिकार्डिंग की थी। क्या पता था कि दस दिन बाद ही इसे नम आंखों से सुनेंगे। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का 21 मई 1991 में श्री पैरुम्बुदूर में बम ब्लास्ट में निधन हो गया था। वे इससे दस दिन पहले ही जोधपुर आए थे।
*राजीव की आवाज गूंजी, कहां है अशोक*
जोधपुर में हुई उस आम सभा में वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, तत्कालीन पूर्व विधायक मानसिंह देवड़ा और प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन महामंत्री जुगल काबरा मंचासीन थे। उस सभा के लिए राजीव को बम्बा—हाथीराम का ओडा से होते हुए घंटाघर के सामने मंदिर के बाहर उतारा गया था। राजीव स्टेज पर पहले पहुंच गए और गहलोत पीछे रह गए। तब राजीव गांधी ने कहा था, अरे भई अशोक कहां है ? राजीव ने जैसे ही यह बोला माइक पर उनकी आवाज गूंज उठी थी।
*भाषण की रिकार्डिंग को सुन आंखें हुई नम*
इस सभा में हजारों का जन सैलाब उमड़ा था। तब मोबाइल का जमाना तो था नहीं, उनका भाषण लोगों ने रिकार्डर पर रिकार्ड किया। कुछ दिन बाद ही जब राजीव का बम ब्लास्ट में निधन हुआ तो नई सड़क की दुकानों पर उनका भाषण कई दिनों तक सुना गया। उनकी गूंजती आवाज को सुनकर लोग वहीं रुक जाते और जोधपुर के अंतिम भाषण को सुनकर उनकी आंखें नम हो जातीं। जोधपुर की सभा की याद में यहां उनकी प्रतिमा लगाई गई है।
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