नमस्कार,
आज हम आपको करवाचौथ से जुड़ी कुछ विशेष जानकारी देने का प्रयास करेंगे
करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेशऔर राजस्थान का पर्व है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यहपर्व सौभाग्यवती यानी सुहागिन स्त्रियाँ मनाती हैं। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब ४बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है।
इस कथा का सार यह है कि एक समय एक करवा नाम की पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथनदी के किनारे के गाँव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान करने गया। स्नानकरते समय वहाँ एक मगर ने उसका पैर पकड़ लिया। वह मनुष्य करवा-करवा कह के अपनीपत्नी को पुकारने लगा। उसकी आवाज सुनकर उसकी पत्नी करवा भागी चली आई औरआकर मगर को कच्चे धागे से बाँध दिया। मगर को बाँधकर यमराज के यहाँ पहुँची औरयमराज से कहने लगी- हे भगवन! मगर ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है। उस मगर को पैरपकड़ने के अपराध में आप अपने बल से नरक में ले जाओ। यमराज बोले- अभी मगर की आयुशेष है, अतः मैं उसे नहीं मार सकता। इस पर करवा बोली, अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैंआप को श्राप देकर नष्ट कर दूँगी। सुनकर यमराज डर गए और उस पतिव्रता करवा के साथआकर मगर को यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु दी।
करवाचौथ ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रतबडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास केकृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्डसौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथमें भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने केउपरांत ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातरमहिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियांनिराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं।
आप सभी को हंगामा की तरफ से करवाचौथ की ढेर सारी शुभकामनाएं ….
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इस कथा का सार यह है कि एक समय एक करवा नाम की पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथनदी के किनारे के गाँव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान करने गया। स्नानकरते समय वहाँ एक मगर ने उसका पैर पकड़ लिया। वह मनुष्य करवा-करवा कह के अपनीपत्नी को पुकारने लगा। उसकी आवाज सुनकर उसकी पत्नी करवा भागी चली आई औरआकर मगर को कच्चे धागे से बाँध दिया। मगर को बाँधकर यमराज के यहाँ पहुँची औरयमराज से कहने लगी- हे भगवन! मगर ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है। उस मगर को पैरपकड़ने के अपराध में आप अपने बल से नरक में ले जाओ। यमराज बोले- अभी मगर की आयुशेष है, अतः मैं उसे नहीं मार सकता। इस पर करवा बोली, अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैंआप को श्राप देकर नष्ट कर दूँगी। सुनकर यमराज डर गए और उस पतिव्रता करवा के साथआकर मगर को यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु दी।
करवाचौथ ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रतबडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास केकृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्डसौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथमें भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने केउपरांत ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातरमहिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियांनिराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं।
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