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00:00सड़क की नल के पास औरत सारे बहस कर रहे होते हैं
00:04हवा में मटके उड़ रहे हैं
00:07तुझसे पहले तुम मैं आई
00:08आहां तुझसे पहले मैं आई
00:11अरे रुको तुम चूले पे डाल पक रहा है
00:15एक मटका पानी तो लेने दो
00:18अरे तुम रुको वहाँ जूले में मेरा बेटा रो रहा है
00:22अरे निकलो तुम्हारी कहानिया चूले पे डाल पक रहा है तो मैं क्या करूँ
00:27और जूले में बच्चा रो रहा है तो मैं क्या करूँ
00:30ऐसे उन दोनों आरतों को बगल में धकेल कर
00:34तीसरी आरत नल के पास आकर उसका मटका भर देती है
00:38इतने में वही बगल में आमने सामने घरों में रहने वाले
00:43मंदाकिनी और मंगतायरू उनके अपने-अपने मटके लेकर वहां आते हैं
00:48एक दूसरे को देखते ही वो दोनों गुस्से से लाल हो जाते हैं।
00:52मंगतायरू और मंदाकिनी दोनों सास बहुं हैं और दोनों एक ही घर में रहते थी।
00:57मंदाकिनी मंगतायरू से बहुत लड़कर उसके पती को मनाकर अपनी सास की घर से बाहर आ जाती है।
01:08दोनों का अतीत उनके सामने आता है एक मटका पानी लाने के लिए इतना नाटक करती थी जब भी कुछ काम बोलू यहां दुख रहा है वहां दुख रहा है कहती थी और अब देखो मेंसाब सुबह ही उठकर मटका में पानी भरने नल के पास आ रही है
01:29सुबह उठते ही सारे पकवान को भैंस की तरह खाती रहती है चीजों को यहां से वहां तक नहीं लगाती है लेकिन अब देखो भैंस चलके आ रही है मटके पानी के लिए ऐसे एक दुस्वे को कोशते हुए वो दोनों नल के पास आते हैं
01:46सबसे पहले मंगतायरू पानी के लिए उसकी मटका नल के नीचे लगाती है लो आ गई भैंस आते ही अपना मटका लगा दिया इसने नल के नीचे जैसे इसका बाप का जागिर हो ऐसे उसका मजा कुड़ा कर मंगतायरू की मटके को एक जोर का जटका देती है बस मटका उप
02:16मेरे ही लटके को लाट मारा तुमने।
02:18ऐसे कहते हुए, मन्दाकिनी की मटके को भी जोर का जटका देती है।
02:23मंगतायरोग।
02:24मैं तुम्हारे बेडे के पैसे नहीं खा रही हूँ।
02:27तुम ही मेरे पती के पैसे खा रहे हो।
02:29मेरे सारे बनाये हुए पक्वान को सुबर से रात तक खाती रहती है,
02:33तो भैस की तरह ही दिखेगी ना, भैस कही की.
02:37मेरे ही मटके को लात माती है, कितनी घमंडी है तू.
02:41मटके को ही नहीं, अगर मेरी सत्की ना, तेरे को भी मारूंगी, समझी?
02:46मेरे घर से उसको निकाल दिया तू ने, और मेरे ही घर के सामने रह रही है.
02:58सिर्फ तेरे बेटे को ही नहीं, तुझे भी तेरे घर से निकाल दूगी, समझी?
03:03मुझसे पंगा लेगी ना, ऐसे ही होगा, तू तो जरूर करेगी.
03:09घमंडी औरत, बंदर मुवाली कही की.
03:16आप बेटे दोनों एक दूसरे को देख हस पड़ते हैं, मन्डाकी नहीं घर में सारा काम करते हुए रहते हैं.
03:46उसे देख मंगतायर हो, क्यों बहू, लगता है कि नल में ना, पानी खतम हो जाएगा, जाकर दो मटके लेया बेटी.
03:55ऐसे ओर्डर देथी थी मंगतायरू.
03:57मन्डाकी ने के हातों बनाए सारे पकवान खाते हुए, वो हमेशा शिकायत करती थी, कि इसमें नमक कम है, और इसमें मिर्ची ज्यादा है, ये तो बहुत तीखा हो गया, ये तो बहुत मीठा है.
04:09उसके शिकायत सुनने के दो दिन बात तक मन्डाकी नी रसोई घर का मूँ भी नहीं देखती थी, रूट कर अपना मूँ लटकाती थी, तब चुप चब मंगतायरू को ही सारे काम करना पड़ जाता था.
04:20जब मंदाकी नी सारा घर को साफ करके दो मिनट लेट जाती थी, तब मंगतायरू, घर के सामने रंगोली कौन डालेगा, तेरा बाप? ऐसे वो दोनों हमेशा बहस करते हुए लड़ते थे.
04:33संदीप आफिस से लोटते ही, एक तरफ मंगतायरू और दूसरी तरफ मंदाकी में. दोनों उसको शिकायते खूप सुनाते थे.
04:44ना अपने बीवी को बोलता था, और ना ही अपने मा से कह पाता. अपने आपने बहुत निराश हो जाता था संदी. बहुत दिन देखने के बाद, अब उसके पास ताकत नहीं था. वो एक दिन अपने पिता के पास जाकर ऐसे कहता है.
04:59पापा, मैं घर से अलग होने की सोच रहा हूँ. आपकी बहु भी मुझे हर रोज इसी बात के बारे में सताती रहती है.
05:10हाथो, तुम सच में अलग हो जाओगे पिता. तुम्हें क्या लगता है? अलग रहने से इन दोनों में ममता जाग उटेगी.
05:17ममता और प्यार भले ही बाहर ना आए. लेकिन इन दोनों को इतना तो समझ आएगा कि एक दूसरे के बिना अपने अपने घरों में अकेले रहते हुए.
05:29सारे काम अखेले करते हुए कितना मुश्किल है
05:32अब दोनों को समझ में आना है ना पपा कि अलग रहना कितना मुश्किल है
05:36ऐसे कहता है
05:37हाँ ठीक है तुम्हारी मर्जी लेकिन आपी के अब भी कहां जाओगे बिटा
05:42मैं कहां जाओगा
05:44हमारे घर के एकदम सामने जो घर है उसमें किराई पे रहूँगा
05:48ऐसे बाप बेटे दोनों ऐसी योजना बनाते हैं जिन से सास बहु अंजान है
05:54इन दोनों को सबक सिखाना तो छोड़ो
05:58एकदम पागलों की तरह लड़ रहे हैं ये दोनों
06:02ऐसे कीचड में गिरे सास बहु को दे उनके चारों और मौजोद सारे गाउं वाले जोर-जोर से हसते रहते हैं
06:10अब इन दोनों इसके बाद क्या करेंगे ये हम अगली वीडियो में जानेंगे