पूरा वीडियो: कल्पना, और कल्पना से आगे || आचार्य प्रशांत, वेदांत पर (2020)
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00:00कोई रिशी जा रहा है थे जंगल से उनको लूटने की कोशिश करी
00:02रिशी बोले लूट ले तेकिन जिनके लिए लूट रहा है तो तेरे काम नहीं आने के
00:06क्या आप तुम्हारी पत्नी तुम्हारा पुत्र इस पाप में तुम्हारे साथ है
00:10वालमी की बोला आपकी बात सही है
00:14लेकर अपकी बात गलत है
00:15तो सर कटेगा आपका
00:17इसे तो मैं अपने हाथों से मारओगा
00:20तू पहले इसके प्रशणों के उत्तर तो देदू
00:22घर जाता पत्न्ही भो पखड़ता बुलता है बता
00:24यह जो मैं पाप कर रहा हूँ, मेरे साथ नर्क जाएगी?
00:28मैं जो कर रहा हूँ, क्या तुम मेरे पाप में भागिदार हो?
00:32पत्मी में भी ना जाने कहां से इमांदारी आ गई उस छण?
00:35वो बोलती है, नर्क छोड़ दो, इन सब पापों के लिए तुम जेल जाओगे, मैं तो भी नहीं साथ जाओगे।
00:39नहीं स्वामी, मैंने आपके सुख में दुख में साथ देने की कासम खाई है, आपके पाप में भागिदार होने की नहीं?
00:45एक बार को जटका लगता है, निराशा होती, अफसोस होता है, जिंदगी की नीव हिल जाती ये बिलकुल, लेकिन फिर उसके बाद मैं अभवन खड़ा होगा।