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पूरा वीडियो: धर्म का विकृत व प्रचलित रूप है "लोकधर्म" || आचार्य प्रशांत, गीता दीपोत्सव (2024)

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00:00ऐसे ही थोड़ी तुमसे साडी और गहने मांग रही हूँ, मैंने पूरे तुम्हारी लिवरत किया है, अब ऐसे तुम किसी को पकड़ो कि मुझे गहने लाके दो, मुझे साडी लाके दो, तो गहा है, काम की नकाद की दुश्मना नाजगी, और ऐसे बता दो नहीं है, तो धा
00:30खुष भरहा हुआ है? क्यों खुष हो जाएंगे?

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