सवाईमाधोपुर. राज्य सरकार ने भले ही गत दिनों प्रदेश में तबादला सूची जारी कर अधिकारियों को इधर-उधर कर दिया हो मगर सवाईमाधोपुर नगरपरिषद को स्थाई आयुक्त तक नहीं मिला। स्वायत्त शासन विभाग की स्थानान्तरण सूची में नगरपरिषद को स्थाई आयुक्त नहीं मिल पाया। ऐसे में फिर से नगरपरिषद प्रशासन कार्यवाहक आयुक्त के भरोसे है। इससे शहर का विकास कार्य लंबे समय से ठप पड़ा है।
क्या कहते है नियम...
नगर निकाय के प्रावधानों व हाइकोर्ट के निर्देशों की बात करें तो नगर निकाय में आयुक्त के पद पर 15 दिन से अधिक प्रतिनियुक्ति नहीं लगा सकते है। इसके बाद भी यदि आवश्यक हो तो अधिकतम 15 दिन और बढ़ाया जा सकता है। लेकिन सवाईमाधोपुर नगरपरिषद में करीब ढाई साल से स्थाई आयुक्त नहीं लगाया गया है। ऐसे में इन दिनों नगरपरिषद आयुक्त का पद कार्यवाहों के भरोसे ही चल रहा है।
आयुक्त के पद को बना दिया फुटबॉल
जिला मुख्यालय पर नगरपरिषद में इन दिनों अजीबोगरीब खेल रहा है। नगरपरिषद में आयुक्त की कुर्सी को भी फुटबॉल बना रखा है। हालात यह है वर्तमान में कार्यवाहक आयुक्त का पद भी कार्यवाहक के भरोसे ही चल रहा है। पूर्व में कार्यरत तहसीलदार व कार्यवाहक आयुक्त नीरूसिंह फिर से 15 दिन के अवकाश पर चली गई है। ऐसे में नगरपरिषद अधिशासी अभियंता नरसी मीणा को फिर से कार्यवाहक आयुक्त की जिम्मेदारी सौंपी है।
27 सितम्बर 2022 के बाद नहीं आया स्थाई आयुक्त
नगरपरिषद में 27 सितम्बर 2022 के बाद कोई अस्थाई आयुक्त नहीं आया है। इससे पहले नवीन भारद्वाज को ही स्थाई आयुक्त के पद पर लगाया था लेकिन इसके बाद आए अधिशासी अभियंता होतीलाल मीना, सहायक कलक्टर यशार्थ शेखर, अधिशासी अभियंता पंकज मीना व सचिव फतेहसिंह मीणा को कार्यवाहक आयुक्त के तौर पर लगाया है। वहीं दो माह पहले तहसीलदार नीरू सिंह को भी अस्थाई रूप से आयुक्त को अतिरिक्त कार्यभार सौंपा था
क्षेत्र का विकास हो रहा प्रभावित
जिले के सबसे बड़े शहरी निकाय सवाईमाधोपुर नगरपरिषद के प्रति राज्य सरकार गंभीर नहीं है। शायद इसलिए 60 वार्डों वाले निकाय में पिछले ढाई साल से स्थाई आयुक्त की नियुक्ति नहीं की जा रही है। उधर, बार-बार कार्यवाहक आयुक्त लगाए जाने से डेढ़ लाख की आबादी वाले नगरपरिषद क्षेत्र में विकास कार्य ठप पड़े है। स्थाई आयुक्त नहीं होने से सफाई और रोशनी जैसी मूलभूत सुविधाएं और जनसुनवाई तक नहीं हो पा रहे है।
क्या कहते है नियम...
नगर निकाय के प्रावधानों व हाइकोर्ट के निर्देशों की बात करें तो नगर निकाय में आयुक्त के पद पर 15 दिन से अधिक प्रतिनियुक्ति नहीं लगा सकते है। इसके बाद भी यदि आवश्यक हो तो अधिकतम 15 दिन और बढ़ाया जा सकता है। लेकिन सवाईमाधोपुर नगरपरिषद में करीब ढाई साल से स्थाई आयुक्त नहीं लगाया गया है। ऐसे में इन दिनों नगरपरिषद आयुक्त का पद कार्यवाहों के भरोसे ही चल रहा है।
आयुक्त के पद को बना दिया फुटबॉल
जिला मुख्यालय पर नगरपरिषद में इन दिनों अजीबोगरीब खेल रहा है। नगरपरिषद में आयुक्त की कुर्सी को भी फुटबॉल बना रखा है। हालात यह है वर्तमान में कार्यवाहक आयुक्त का पद भी कार्यवाहक के भरोसे ही चल रहा है। पूर्व में कार्यरत तहसीलदार व कार्यवाहक आयुक्त नीरूसिंह फिर से 15 दिन के अवकाश पर चली गई है। ऐसे में नगरपरिषद अधिशासी अभियंता नरसी मीणा को फिर से कार्यवाहक आयुक्त की जिम्मेदारी सौंपी है।
27 सितम्बर 2022 के बाद नहीं आया स्थाई आयुक्त
नगरपरिषद में 27 सितम्बर 2022 के बाद कोई अस्थाई आयुक्त नहीं आया है। इससे पहले नवीन भारद्वाज को ही स्थाई आयुक्त के पद पर लगाया था लेकिन इसके बाद आए अधिशासी अभियंता होतीलाल मीना, सहायक कलक्टर यशार्थ शेखर, अधिशासी अभियंता पंकज मीना व सचिव फतेहसिंह मीणा को कार्यवाहक आयुक्त के तौर पर लगाया है। वहीं दो माह पहले तहसीलदार नीरू सिंह को भी अस्थाई रूप से आयुक्त को अतिरिक्त कार्यभार सौंपा था
क्षेत्र का विकास हो रहा प्रभावित
जिले के सबसे बड़े शहरी निकाय सवाईमाधोपुर नगरपरिषद के प्रति राज्य सरकार गंभीर नहीं है। शायद इसलिए 60 वार्डों वाले निकाय में पिछले ढाई साल से स्थाई आयुक्त की नियुक्ति नहीं की जा रही है। उधर, बार-बार कार्यवाहक आयुक्त लगाए जाने से डेढ़ लाख की आबादी वाले नगरपरिषद क्षेत्र में विकास कार्य ठप पड़े है। स्थाई आयुक्त नहीं होने से सफाई और रोशनी जैसी मूलभूत सुविधाएं और जनसुनवाई तक नहीं हो पा रहे है।
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