• 2 days ago
माताजी हररोज़ असीम जयजयकार सुनती थीं और आरती-पाठ वगैरा करती थीं। उनका देहविलय हुआ तब वे बहुत शांत थीं, उन्हें कोई दर्द या पीड़ा नहीं थी। समाधि मृत्यु का इतना आनंद हुआ की लगा की इसका उत्सव मनाना चाहिए।

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