“ अरे मन ! लाख टका की बात सुन ! जो पुत्र,पिता,भाई आदि तुझे अपना मानते रहते हैं,यह सब धोखा है।क्योंकि वो लोग अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए ही ऐसा करते हैं।अरे मन ! जब ये लोग अपना ही वास्तविक हित नहीं समझते और सांसारिक विषयों में भटकते रहते हैं तब भला ये तेरा क्या हित करेंगे।तू इन पर क्या विश्वास करता है।अरे मन ! अब तू सबसे नाता तोड़कर एकमात्र श्यामसुन्दर से नाता जोड़ ले।”
*- जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज*
*- जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज*
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00:00From the Vedas to the Ramayana, every scripture, every saint, every sect says one thing,
00:13that one should have faith in God, one should remember God with one's heart,
00:23with one's mind,
00:26with one's senses,
00:30one should do work,
00:32one should chant God's name with one's tongue,
00:35one should worship God with one's hands,
00:37one should do something.
00:39But before this, one should have faith and meditation.
00:47These two are the most important.