Dhruv Rathee - Mystery of Hindenburg | The World’s Largest Airshi..

  • 2 months ago
The Hindenburg Disaster of 1937 was a tragic accident caused by the world's largest airship built by the Zeppelin Company. It's one of the most iconic incidents that have happened in the world. The disaster claimed the lives of 36 people and marked the end of the era of passenger air travel. The cause of the fire is still unknown, although it is believed to have been sparked by a combination of static electricity and a hydrogen leak. But what was the full story of this accident? Watch this video by Dhruv Rathee to find out!
Transcript
00:00The German Zeppelin Hindenburg, Queen of the Skies
00:06नमस्कार दोस्तों
00:073rd May 1937, शाम के करीब 8 बजे
00:11जर्मनी के शेहर फ्रैंकफॉर्ट से हिन्डनबर्ग हवाई जहास टेक औफ करता है
00:15यह हवाई जहास जा रहा है एटलांटिक ओशन के दूसरी और अमेरिका न्यू जरसी में
00:21इसमें बेठे हैं करीब 97 लोग जिनमें से 36 पैसेंजर्स हैं और 61 क्रू मेंबर्ज हैं
00:26और जब हवाई जहास शब्द के मैं यहाँ प्रयोग कर रहा हूं
00:28मेरा मतलब इससे कोई एरोपलेन नहीं है
00:31बलकि हवाई जहास का मतलब यहाँ पर है एक एर शिप
00:35हिंडनबर्ग एक एर शिप है और दुनिया का सबसे बड़ा एर शिप है यह
00:39लंबाई में 245 मीटर लंबा
00:42इसका साइस कमपेर कीजी आज के बोईंग 747 विमान से और तब आपको दिखेगा कि एक्शुली में यह कितना बड़ा है
00:48टाइटानिक जहाज जो एक समय पर दुनिया का सबसे बड़ा जहाज हुआ करता था
00:52लंबाई में उससे यह सिरफ 24 मीटर छोटा था
00:55यही कारण है कि हिंडनबर्ग को क्वीन ओफ दे स्काइस करके बुलाय जाता था और इसे नाजी जर्मनी की शान माना जाता था
01:02हिंडनबर्ग एरशिफ्ट के अंदर का नजारा कमाल का था
01:05आस्मान में उड़ते हुए लोगों को ऐसी लगजरी देखने को मिलती
01:08जो शायद आज के जमाने में भी ना मिले
01:11लोगों के सोने के लिए एलग-एलग कमरे थे, एक सेपरेट डाइनिंग रूम था
01:15जहाँ सब साथ में खाना खा सकते थे, एक सेपरेट लाउंज था
01:18जिसमें बड़ा सब ग्रांड-पियानो रखा गया था
01:20इसके लाव एक रीडिंग और राइटिंग का भी रूम हुआ करता था
01:23और एक टिकट का प्राइज उस जमाने के $700 के बराबर था
01:27जो कि आज के जमाने के $7000 से भी ज्यादा पड़ेगा
01:30बेसिकली सिर्फ अमीर लोग ही अफोर्ड कर सकते थे इसमें ट्रैवल करना
01:346th May 1937, तीन दिन के लंबे सफर के बाद
01:37हजारों मिलों दूर हिंडनबर्क पहुँचता है अमेरिका में
01:40इसे लैंड करना है न्यू जरसी के लेक हर्स्ट नेवल एर स्टेशन पर
01:45धीरे-धीरे ये नीचे उतरना शुरू होता है
01:47शाम के 7 बजे हैं
01:49नीचे उतरते वक्त जमीन पर मौझूद लोग इसकी रसियां पगड़ते हैं
01:53इसका लैंडिंग का लगी तरीका होता था
01:55आसपास बहुत सारे लोग आय हुए हैं इसकी लैंडिंग देखने
01:58क्योंकि ये बड़ा ही एतिहास एक जहास है
02:00तो कुछ कैमरामेन भी वहाँ मौझूद हैं
02:02उस दिन हिंडिनबर्क की ये लैंडिंग
02:04कैमरे में भी फिल्म करी जा रही है
02:06मौसम इस समय थोड़ा खराब दिख रहा है
02:08बादल चाय हुए हैं और तेज हवाई चल रही है
02:10जहास के कैप्टेन एक शार्प टर्न लेते हैं
02:13जहास को हवाओं के साथ अलाइन करने के लिए
02:16ग्राउंड पर मौझूद क्रू रस्यों को सेक्यौर करने भागता है
02:19लैंडिंग होने ही वाली होती है कि अचानक से
02:22एक बड़े धमाके की अवाद सुनाई देती है
02:26पलक जहपकते ही ये पूरी एर शिप
02:29आग के लब्टो में घिर चुकी है
02:3234 सेकिन्ड में, सिरफ 34 सेकिन्ड में
02:35ये जहास क्रैश करता है और आग में पूरा खतम हो जाता है
02:51हिंडनबर्ग डिजास्टर दुनिया हिला देता है
02:53आखिर क्या कारण था इस हादसे के पीछे?
02:55एक्सपर्ट्स और इंवेस्टिकेटर्स जवाब धूनने की कोशिश करते हैं
02:59तीन में थियोरी सामने आती हैं
03:01पहली थियोरी थी कि इस एर शिप को सैबोटाज का शिकार बनाया गया
03:05नाजी जर्मनी की शान को मिटाने के लिए ये एक खतरणाख प्लैन का हिस्सा था
03:09कुछ लोगों का मानना था कि कोई आंटी नाजी एक्टिविस या किसी दूसरे देश ने
03:13हिंडनबर्ग जहाज में कोई बम छुपा रखा था
03:16तभी अचानक से इतना बड़ा धमाका हुआ
03:19कुछ लोगों का मानना था कि एडॉल्फ हिटलर ने ही इस हिंडनबर्ग एरशिप को बम से उडाया
03:24हिटलर के लोगों ने ही यहाँ पर एक बम प्लांट किया अपने ही देश के जहाज को उडाने के लिए
03:29क्या कारण इसके पीछ है?
03:31असल में बात क्या थी कि इन एरशिप्स को बनाने वाली कमपनी के मालिक थे एक आदमी ह्यूगो एकनर नाम से
03:37इसके ऐसे गिने चुने लोगों में से थे जो हिटलर के समय में ओपनली हिटलर के और नाजी लोगों के अगेंस्ट बोलते थे
03:44पब्लीकली हिटलर के खिलाफ आवाज उठाना कोई आसान बात नहीं थी उस समय में
03:48यही रीजन है कि 1933 में जब नाजी पार्टी पावर में आई तो ह्यूगो एकनर को अरेस्ट करने की भी कोशिश करी गई थी हिटलर के दुआरा
03:57इसलिए आप गैस कर ही सकते हो ये नाम कहां से आया इस एरशिप का
04:12तीन साल बात साल 1936 में जब दुनिया का सबसे बड़ा एरशिप बन के तयार हुआ
04:18हिटलर के प्रापगैंडा मिनिस्टर गॉबल्स ने रिक्वेस्ट करी एकनर से की इस एरशिप का नाम हिटलर के नाम पर रख दो
04:25तो ह्यूगो एकनर ने अभी भी घुटने नहीं टेके उन्होंने इस हवाई जहास का नाम हिंडनबर्ग के नाम पर रख दिया
04:31तो कुछ लोगों का मानना था कि हिटलर ने इस एरशिप को बम से उड़वा दिया जलन की वज़े से और एकनर की रेपिटेशन खतम करने के लिए
04:38इससे पहले भी दोस्तों जब हिंडनबर्ग एरशिप अपने पहले सफर पर निकली थी
04:42हिटलर के सरकार ने इसका इस्तिमाल करने की कोशिश करी अपना नाजी प्रापगैंडा फैलाने के लिए
04:47इस जहास के कई फोटोज में आप देखो गए कि इस एरशिप के पीछे नाजी पार्टी के जहंडे लगे हैं
04:52कहा जाता है कि ह्यूगो एकनर सेफटी स्टैनेड्स को लेकर बड़े स्ट्रिक्ट थे
04:56लेकिन जब नाजी पार्टी ने कंट्रोल लिया इन एरशिप्स का तो नोंने अपने बंदों को बिठाया वहाँ पर
05:01और उनके चाटु कार लोग इतने क्वालिफाइड नहीं थे
05:04अकसर वो सेफ़टी स्टैनेड्स को इग्नोर कर देते थे
05:07इसलिए जब पहली उडान भरी थी इस हिंडनबर्ग एरशिप ने
05:10ये क्रैश होते होते बची थी इस शिप को बहुत डैमेज़ पहुचा था
05:31इसलिए जब पहली उडान भरी थी इस हिंडनबर्ग एरशिप ने
05:34इसलिए जब पहली उडान भरी थी इस हिंडनबर्ग एरशिप ने
05:37इसलिए जब पहली उडान भरी थी इस हिंडनबर्ग एरशिप ने
05:40कि एक शार्प टर्न लिया था पाइलेट ने जिसकी वज़े से ये चीज हुई
05:44फिर आती है तीसरी थियोरी जो एक लाइटनिंग स्ट्राइक पर फोकस करती है
05:49मैंने बताया था उस दिन मौसम खराब था
05:51कहा जाता है कि बिजली कड़की होगी जिससे हाइडरूजन पर आग लग गई
05:54अक्शुली कौन सी थियोरी यहाँ पर सबसे फिट बैठती है
05:57ये समझने से पहले हमें थोड़ा एतिहास समझना होगा एरशिप्स का
06:01आज के दिन हावा में उड़ान भरना एरो प्लेइन्स के जरीये बड़ी कॉमन चीज बन चूकी है
06:11लेकिन अगर हम 500 साल पीछे जाएं
06:13तो लोग बस सपने ही देख सकते थे हावा में उड़ने के
06:161500 साल की बात है लोग चिडियों को आसमान में उड़ते थे और बड़ा जेलस फिल करते थे
06:21लोगों को लगता था कि अगर हम भी किसी तरीके से पंख लगा ले अपने हातों पे तो हम भी उड़ जाएंगे
06:25और बहुत से लोगों ने यही करने की कोशिश करी
06:27साल 1507 में जॉन डामियन नाम के आदमी ने अपने हातों को मुर्गी के पंखो से कवर कर लिया
06:33और स्कॉटलेंड में एक कैसल की चथ से चलांग लगा लिया
06:38अपने हातों को ऐसे फढ़फढाने लगे जैसे चिडिया उड़ती है इस उमीद में कि वो भी उड़ने लगेंगे
06:43लेकिन अन्फोर्चिनेटली वो नीचे धम से जाकर गिरे अपनी हडियां तोड़ दी उनोंने
06:47और जब बाद में उनसे पूछा गया है तो वो ब्लेम करते हैं कि अगर मैं मुर्गी की जिगहें एक इगल के पंखों का इस्तिमाल करता थो शायद मैं उड़ सकता
06:55वो एकलोते नहीं थे दोस्तो, इतिहास में ऐसे बहुत से लोगों ने कोशिश करी टावर से, कभी किसी उची दिवार से छलांग लगाने की, कभी पंख अपने उपर लगाकर, कभी पतंगों का इस्तिमाल करके, तो कभी बैलून्स का इस्तिमाल करके
07:08इवेंचुली लोगों ने रेलाइस किया कि अगर हमें आस्मान में उड़ना हैं, तो दो ही तरीके हो सकते हैं, पहला कि हम अपने आपको हवा से हलका बना लें, जैसे बैलून के जरीये, या फिर दूसरा कि हम इतनी पावर जेनरेट करें कि हम आस्मान में टेक औफ कर सकें
07:38हवा में उड़ना अपने आपको और हलका बना कर।
07:41साल 1770's की बात है, फ्रांस में दो भाई थे, जोजफ मिशेल और जैक्स एटिन मोंट गोलफियर नाम से
07:48बड़े ही इंटेलिजेंट और क्रियेटिव भाई थे ये
07:50एक दिन ये अपने घर में देखते हैं कि आग के उपर कोई कपड़े सुखा रहे हैं
07:54जोजफ अब्सर्व करते हैं कि आग की वज़े से जो हीट निकल रही है, उससे कपड़े उपर की तरफ उड़ने लग जाते हैं
08:01इससे इन्हें आईडिया आता है कि क्यों न यही चीज बड़े स्केल पर करी जाएं
08:05शुरुवात में एक ये छोटा सा बक्सा बनाते हैं पतली लकडी से बना हुआ जिसको चारु तरफ एक लाइट वेट कपड़े से कवर कर दिया जाता है
08:12इस बक्से के अंदर ये थोड़ा सा पेपर क्रंपल करके उस पर आग लगा देते हैं
08:16ये देखते हैं कि कैसे आग की वजय से पूरा का पूरा बक्सा ही हवा में उड़ रहा हैं
08:20फिर इमिजेटली अपने भाई के साथ लग जाते हैं इसी चीज का एक बड़ा मॉडल बनाने में
08:2414 दिस्समबर, 1782 में पहली टेस्ट फलाइट करी जाती है एक बड़े मॉडल के साथ
08:29ये वूल और हे पर आग लगाते हैं
08:31जो लिफ्टिंग फोर्स प्रडीॉस होती है वो इतनी ज्यादा होती है कि अपने पक्से का कंट्रोल लूस कर जाते हैं
08:36और वो 2 किलूमेटर दूर जाकर कहीं उड़ता रहता है
08:38अगले साल, 1783 में ये एक पब्लिक डेमोन्स्ट्रेशन करते हैं
08:42फ्रांस के राजा किंग लूइ के सामने, उनके महल वर्साय में
08:46इस डेमोन्स्ट्रेशन में ये एक बतक और एक मुरगे को इसमें डाल देते हैं
08:51दिखाने के लिए कि देखो ये जानवर उड़ रहे हैं इसमें
08:53जब राजा इस चीज़ को होते हो देखते हैं, तो कहते हैं तो बड़ा अच्छा है
08:56तो पर्मिशन मिल जाती है इन्सानों को भी इसमें बैठने का मौका दिया जाए
09:00और कुछ इस तरीके से, दोस्तों, इन्वेंशन होता है होट एर बिलून का
09:04जैक्स पहले आदमी बनते हैं आस्मान में उड़ने वाले एक बिलून के जरिये
09:08आगे चले अपनी कहानी में साल 1850s में, जर्मणी के एक छोटे से शहर में
09:13यहाँ एक यंग लड़का रहता था, फ़र्डिनांड आडॉल्फ हाइन्रिश औगॉस्थ ग्राफ फॉन जेपलेन नाम से
09:19बढ़ा ही लंबा नाम है, यह पूरा इसका नाम था
09:22देखो, नाम बता ते बता ते, गोवा पहुंच जाएगा
09:25वाव!
09:26यह लड़का अमेरिका में जाता है और एमेरिकन सिविल वोर के दुरान देखता है
09:29कैसे ऊऋनियन्स की जो आर्मी है, वो बैलून्स का इस्तिमाल कर रही है आर्मी में
09:33इसकी बैलून्स में दिल्चस्पी बढ़ती है
09:35जैसे ऐसे आर्मी में ये उपर भी उठता रहता है रैंक में
09:39और साल 1874 में ये लड़का अपनी डाइरी में
09:42एरशिप के आईडिया को पहली बार लिखता है
09:45इस पॉंट व टाइम तक आते आते
09:47बैलून्स काफी एडवांस्ट हो चुके थे
09:48बैलून्स पर भी इंजन्स लगाए जा रहे थे
09:50ताकि बैलून्स को किसी डारेक्शन में ले जाए जा सके
09:53कुछ बैलून्स स्टीम इंजन का इस्तिमाल करते थे
09:55कुछ एलेक्ट्रिक पावर्ड इंजन का इस्तिमाल करते थे
09:58साल 1891 में जेपलिन 52 येरस की एच पर रेजाइन कर जाता है आर्मी से
10:03और अपना पूरा ध्यान एयर शिप्स को डेवलब करने में लगाता है
10:06यहाँ आईडिया था कि बैलून में तो एक ही गैस बैग होता है
10:10मल्टिपल गैस बैगस को अगर हम इस्तिमाल करें
10:12और अगर हम किसी तरीके से पूरे स्ट्रक्चर को और रिजिड बना दें
10:15तो एक बहुत बड़ा और बहुत बड़िया तरीके का हवाई जहास बनाय जासकता है
10:19इंजिनियर्स की एक टीम के साथ जेपलिन काम करते हैं अपने आईडिया को रिफाइन करने में
10:23एक एल्यूमिनियम फ्रेम्वर्क बनाय जाता है
10:251898 में जाकर कुछ इंवेस्ट्मेंट इन्हें मिलती है और जिसकी मदद से अपनी पहली एरशिप ये डेवलब करते हैं
10:32इसका नाम ये रखते है LZ-1
10:34और यही कारण है दोस्तों कि आज के दिन तक एरशिप्स को हम जेपलिन करके भी पुकारते हैं
10:40क्योंकि जिस आदमी ने इन्हें इंवेंट किया था उसका खुदका नाम ही जेपलिन है
10:43आगे की कहानी में बहुत सारी प्रॉबलम्स और अडचने आती हैं
10:46जेपलिन्स हाइडरोजन पावर का इस्तिमाल करते थे
10:50लेकिन अमेरिका में हीलियम का इस्तिमाल किया जाता था
10:52दोनों गैसिस में फर्क बहुत बड़ा है
10:54हाइडरोजन गैस पर आग बढ़ी असानी से लग जाती है
10:57लेकिन हीलियम एक इनर्ट गैस है उस पर आग नहीं लगती
11:01कॉंसेब्ट सेम है ये दोनों गैसिस हावा से हलकी है
11:03जिसकी मदद से एरशिप हावा में उड़ती है
11:05सेकिन जुलाई 1900 को LZ-1 अपनी पहली उडान सक्सेस्फॉली कमप्लीट करता है
11:11बीस मिनट तक ये हावा में रहता है लेकिन कुछ डैमेज हो जाता है लैंडिंग पर
11:14जैपलेन इसे रिपैर करने का काम शुरू करते हैं लेकिन पैसे की कमी होती है
11:18मुश्किल से ये अपनी बीवी से कुछ चीजे मॉर्गेज रखवा कर और पैसे गैदर करते हैं
11:23और LZ-2 बनता है 1905 में लेकिन उडान भरने से पहले ही यहाँ पर एक कंट्रोल पार्ट तूट जाता है और ये कभी टेक औफ नहीं करता
11:31एक और साल लग जाता है इन्हें रिपैर करने में 1906 में दुबारा से टेस्टिंग करते हैं लेकिन एक और बड़ा फ्लॉब
11:37बड़ी तेज हवाई चल रही थी जिसके वज़े से कंट्रोल लूज हो गई बचे कुछे पार्ट से ये LZ-3 बनाते हैं
11:43मिलिटरी को दिखाना चाते थे कि इन्होंने क्या बनाया है यहाँ पर लेकिन मिलिटरी कहती है कि ये 24 घंटे तक डूरेबल रह सके पहले से ये डूरेबिलिटी टेस्ट पास करना होगा लेकिन ये फेल हो जाता है
11:54इस टेस्ट को पास करने के लिए ये LZ-4 बनाते हैं
11:58लेकिन एक रात बड़ी तेज तुफान आता है और ये LZ-4 इनका तुफान में पूरा डिस्ट्रोय हो जाता है
12:13ये कहानी एक बहुत अच्छा एक्जांपल है इस रियल लाइफ कोट का ट्राइ ट्राइ टिल यू सक्सीड
12:18कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
12:21वैसे इसी समय के राउंड सल 1903 में फेमस राइट ब्रदर्स अपनी पहली सक्सेस्वल उडान भी कमप्लीट करते हैं एक एरोप्लेइन में
12:29इनकी कहानी अपने आप में बड़ी अइतिहास है इसनी सारी कोशिशों के बाद जेपलिन को पबलिसिटी मिलने लगी
12:34लोगों ने देखना शुरू किया कि यहापर यह बंदा कितनी बारी ट्राय किये जा रहा है यह एरशिप्स बनाने की
12:39थोड़े और पैसे मिल पाते हैं इन्हें यह अपनी एक कमप्ली बनाते हैं
12:42LZ-3 में दुबारा से इंप्रूवमेंट्स करते हैं और 1908 में जाकर कुछ टेस्ट फलाइट्स करी जाती हैं
12:48खराब वेदर था लेकिन यह टेस्ट फलाइट्स सक्सेस्फॉल होती हैं
12:53LZ-3 को अफिशली एकसेप्ट कर लिया जाता है सरकार के दुबारा और जेपलिन की बहुत तारीफ करी जाती है यहां पर
12:59अगले कुछ सालों में जेपलिन काफी इंप्रूवमेंट करते हैं लेकिन इनका दिहान्त हो जाता है साल 1917 में
13:05वर्ल्ड वार वार खतम होती है 1918 में और ट्रीटी और वर्साय साइन करी जाती है जिसके एकोरडिंग अब जर्मनी को कोई मिलिटरी एरक्राफ्ट रखना अलाउड नहीं है
13:14अभी तक इन एरशिफ्स का इस्तिमाल सिरफ मिलिटरी के लिए किया जा रहा था
13:18यहाँ हमारी कहाणी में एंट्री होती है डॉक्टर ह्यूगो एकनर की
13:22जैपलिन के दिहांद के बाद ये कमपनी को टेक ओवर करते हैं और ये पहले होते हैं रेलाइज करने वाले की
13:28सिरफ मिलिटरी या वार के समय में नहीं हम जैपलिन का इस्तिमाल कर सकते हैं कमर्शिल फ्लाइट के लिए भी
13:34इसी के चलते साल 1924 में LZ-126 अपनी पहली उडान भरता है
13:39इसको उडाने वाले और कोई नहीं बलकि खुद ह्यूगो एकनर है
13:42आठ हजार से जादा किलोमेटर का सफर तै किया जाता है अस्सी घंटों में
13:46एमेरिका में जब ये एरशिप लैंड करती है तो लोग इसका तालियों से सुवागत करते हैं
13:52इसे एक एंजल अफ पीस बुलाते हैं
13:55एक ऐसी मशीन जिसका इस्तिमाल अभी तक सिरफ लड़ाई करने के लिए किया गया था
13:59अब इसे जंता के लिए इस्तिमाल किया जा रहा था
14:02एकनर इसका अगला मॉडल डेवलब करते हैं
14:04LZ-127 साल 1928 में लेकिन इनकी कहानी ज्यादा दिन चलने वाली नहीं थी
14:10साल 1933 में जैसा मैंने बताया नाजी पार्टी पावर में आती है
14:14और एकनर ऐसे लोगों मेंसे थे जो ओपनली हिटलर के खिलाफ बूलते थे
14:18अब इस हिंडन्बर्क डिजास्टर के बाद के समय पर वापस आये
14:22इस दश्योकों की इंवेस्टिकेशन के बाद पता चलता है कि यहाँ पर हिटलर और नाजी पार्टी का कोई रोल नहीं है
14:28सबसे बड़ा कारण इस एकसिडेंट के पीछे विश्वार थेओरी बतायी जाती है
14:34हईड्रोजन की लीकेज होना और स्टाटिक एलेक्ट्रिसिटी की बज़े से धमाका होना
14:40अनफोर्चिनेटली ये डिजास्टर सारी एरशिप्स की रेपिटेशन गिरा देता है
14:44लोगों को रेलाइज होता है कि हाइड्रोजन पर आग लगना कितना असान है
14:48इन में ट्रावल करना काफी खतरनाख चीज है
14:51हाला कि उस समय हीलियम गैस भी इस्तिमाल करी जा रही थी
14:54लेकिन प्रॉबलम ये थी कि हीलियम गैस की सप्लाइ अमेरिका के पास ही थी मेजर ली
14:59अमेरिका ने एक पाबंदी लगा दी थी हीलियम गैस के एकस्पोर्ट पर
15:031940s तक आते आते एक तरफ तो एर शिप्स की रेपिटेशन गिरती जा रही थी
15:07लोगों को डर लग रहा था इन में ट्रावल करने में
15:10दूसरी तरफ क्या होता है कि एर प्लेइन्स इंप्रूव होने शुरु होते हैं
15:13पैसेंजर एर प्लेइन्स की स्पीड, रिलाइबलेटी और ओपरेटिंग कोस्ट बड़ी तेजी से इंप्रूव होती है
15:18एर प्लेइन्स के कम्पारिजन में एर शिप्स की जो स्पीड थी वो बहुत धीरे थी
15:22अराउंड 100 किलोमेटर पर आवर और एर प्लेइन्स वहाँ 700, 800, 1000 किलोमेटर पर आवर की स्पीड से दोड रहे हैं
15:28हीलियम गैस मिलने में भी दिक्कत हो रही थी
15:30और खराब वेदर में ज्यादा वॉल्रेबल भी होती थी एर शिप्स
15:34यही कारण है दोस्तों कि हमारी जेनेरेशन के लोगों ने
15:37ना तो इन एर शिप्स में कभी ट्रावल किया ना ही इने कभी देखा
15:40बड़ा अंफोचुनेट है क्योंकि इन में ट्रावल करने का एकस्पिरियेंस बहुत अलग होता था
15:44एक लोग अल्टिट्यूट पर धीरे धीरे उड़ना वो भी इतनी बड़ी बड़ी विंडोस के साथ
15:48क्या बढ़िया नजारा दिखता होगा
15:50अच्छी ख़बर ये है कि आने वाले सालों में ये एरशिप्स दुबारा से रिवाइव हो सकती है
15:54साल 2017 में एक UK की कंपनी है Hybrid Air Vehicles
15:58इनोंने अपनी एक बड़ी सी एरशिप की टेस्ट फ्लाइट करी
16:02Air Lander 10 इसे दुनिया का लारजेस्ट एरक्राफ्ट कहा जाता है
16:06आज के दिन हीलियम गैस मिलने में इतनी दिक्कत नहीं होती तो ये ज्यादा सेफ है
16:10प्लस क्लाइमेट चेंज के वज़े से कार्बन एमिशिन्स की चिंता बढ़ रही है
16:13तो एरशिप्स एरोप्लेइन्स के कम्पैरिजन में
16:15दस गुना कम कार्बन एमिशिन्स रिलीस करती है
16:18फ्यूल कोस्ट भी कम होती है और अल्मोस्ट साइलेंटली ये उड़ती रहती है बिना ज्यादा नॉइस के
16:24तो एस्टिमेट किया जाता है इस कम्पनी के दुआरा कि 2030 के बाद ये कमर्शिल फ्लाइट भी शुरू करेंगे अपनी एरशिप में
16:30कैसी होंगी है ये तो टाइम ही बताएगा लेकिन अगर आपको ये वीडियो पसंद आया तो आप सूपरसोनिक प्लेइन्स वाला वीडियो भी देख सकते हो
16:37वो एक और ऐसी टेकनॉलिजी है जो एक समय पर हुआ करती थी लेकिन अब गायब हो चुकी है
16:41यहाँ क्लिक करके देख सकते हो बहुत-बहुत धन्यवाद

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