Papmochani Ekadashi Vrat Katha | पापमोचनी एकादशी व्रत कथा | Ekadashi Vrat Katha | Ekadashi Ki Kahani

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Papmochani Ekadashi Vrat Katha | पापमोचनी एकादशी व्रत कथा | Ekadashi Vrat Katha | Ekadashi Ki Kahani @LordKtishnabhajanKKB

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा मांधाता ने लोमश ऋषि से एक प्रश्न किया कि गलती से हुए पापों से मुक्ति कैसे प्राप्त की जा सकती है। तो ऐसे में लोमश ऋषि ने पापमोचनी एकादशी व्रत के बारे में बताया। कथा के अनुसार, एक बार च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी वन में तपस्या कर रहे थे। तभी वहां से एक अप्सरा जा रही थी। जिसका नाम मंजुघोषा था। उसकी नजर मेधावी पर पड़ी औरनी तरफ आकर्षित करने के लिए कई प्रयास किए। इस कार्य की मदद के लिए कामदेव भी आ सामने आ गए। तब मेधावी भी मंजुघोषा की तरफ आकर्षित हो गए। ऐसे में वह देवों के देव महादेव तपस्या की करना भूल गए। कुछ समय निकल जाने के बाद मेधावी को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उन्होंने मंजुघोषा को दोषी मानते हुए उन्हें पिशाचिनी होने का श्राप दिया, जिससे अप्सरा अधिक दुखी हुई।

इसके बाद अप्सरा ने मेधावी से माफी मांगी और इस बात को सुनकर मेधावी ने मंजुघोषा को चैत्र माह की पापमोचनी एकादशी व्रत के बारे में बताया। मेधावी के कहने पर मंजुघोषा ने विधिपूर्वक पापमोचनी एकादशी का व्रत किया। व्रत के पुण्य प्रभाव से अप्सरा को सभी पापों से छुटकारा मिल गया। इस एकादशी व्रत के प्रभाव से मंजुघोषा दोबारा से अप्सरा बन गई और स्वर्ग में वापस चली गई। मंजुघोषा के बाद मेधावी ने भी पापमोचनी एकादशी का व्रत किया और अपने पापों को दूर कर किया।

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