Pitru Paksha 2023 | पितृ पक्ष कब से शुरू हैं | पितृ पक्ष में इन वस्तुओं का प्रयोग भूलकर भी न करें @Mere Krishna
पितृ पक्ष पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करने का समय है। श्राद्ध पक्ष में तर्पण, पिंडदान करने से न सिर्फ पितरों को तृप्ति मिलती है बल्कि पूर्वजों का ऋण भी उतर जाता है। पितृ पक्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक रहते हैं।
पितृ पक्ष में दोपहर के समय धूप-ध्यान करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार सुबह और शाम को देवी-देवताओं के लिए पूजा-पाठ की जाती है। दोपहर का समय पितरों को समर्पित है। इस दौरान ही कौवे, चींटी, गाय, देव, कुत्ते को खिलाना चाहिए, ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। दोपहर में करीब 12 बजे पितरों को याद करते हुए श्राद्ध कर्म करना चाहिए। श्राद्ध संपन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण मुहूर्त अच्छे माने गए हैं।
पितृ पक्ष पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करने का समय है। श्राद्ध पक्ष में तर्पण, पिंडदान करने से न सिर्फ पितरों को तृप्ति मिलती है बल्कि पूर्वजों का ऋण भी उतर जाता है। पितृ पक्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक रहते हैं।
पितृ पक्ष में दोपहर के समय धूप-ध्यान करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार सुबह और शाम को देवी-देवताओं के लिए पूजा-पाठ की जाती है। दोपहर का समय पितरों को समर्पित है। इस दौरान ही कौवे, चींटी, गाय, देव, कुत्ते को खिलाना चाहिए, ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। दोपहर में करीब 12 बजे पितरों को याद करते हुए श्राद्ध कर्म करना चाहिए। श्राद्ध संपन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण मुहूर्त अच्छे माने गए हैं।
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